ब्लॉग: आखिर हम क्यों नहीं कर पाते गुणवत्तापूर्ण सड़कों का निर्माण?
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: September 28, 2024 06:59 IST2024-09-28T06:55:56+5:302024-09-28T06:59:05+5:30
क्या लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) या नगर निगम के भीतर कोई ऐसी व्यवस्था नहीं है जो यह सुनिश्चित करे कि हमेशा गुणवत्तापूर्ण सड़कें बनाई जाएं और उनका अच्छा रखरखाव किया जाए?

ब्लॉग: आखिर हम क्यों नहीं कर पाते गुणवत्तापूर्ण सड़कों का निर्माण?
अभिलाष खांडेकर
आईटी सिटी पुणे का एक हालिया वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें एक कार अचानक शहर की सड़क पर एक बड़े गड्ढे में गिरती दिखाई दे रही थी। इस वीडियो ने एक बार फिर पूरे भारत में सड़क निर्माण के बुनियादी मुद्दों पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पुणे अत्यधिक शहरीकृत महाराष्ट्र का दूसरा सबसे बड़ा शहर है और कई अच्छी चीजों के लिए जाना जाता है, जिनमें इंजीनियरिंग कॉलेजों की बहुलता भी शामिल है। महाराष्ट्र के बाहर के अनेक अखबारों ने भी यह तस्वीर छापी थी, जिसमें धीमी गति से चल रही छोटी कार के भार से सड़क धंसती हुई दिखाई दे रही थी।
देखते ही देखते कार लगभग पूरी तरह से उस गड्डे में डूब गई। सौभाग्य से इस विचित्र दुर्घटना में कोई हताहत नहीं हुआ।
एक राष्ट्रीय टीवी चैनल ने, सिर्फ एक पखवाड़े पहले, एक अन्य आईटी शहर बेंगलुरु की खराब सड़कों की हालत दिखाई थी, जिसमें उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार कह रहे थे कि शहर की सड़कों को बेहतर बनाने के लिए तत्काल मरम्मत करने के ‘निर्देश’ जारी किए गए हैं। क्या हमें वाकई शहरी सड़कों को बेहतर बनाने के लिए उपमुख्यमंत्री के निर्देशों की जरूरत है? क्या लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) या नगर निगम के भीतर कोई ऐसी व्यवस्था नहीं है जो यह सुनिश्चित करे कि हमेशा गुणवत्तापूर्ण सड़कें बनाई जाएं और उनका अच्छा रखरखाव किया जाए?
बिहार में सबने पिछले दिनों देखा कि एक के बाद एक कई नए बने पुल ढह गए और दोषियों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई। ये कैसे यंत्री और ठेकेदार हैं? भोपाल में स्थानीय अखबारों में गड्ढों से भरी सड़कों की बड़ी तस्वीरें छपी हैं, जो साफ तौर पर दिखाती हैं कि संबंधित सरकारी एजेंसियों या सरकारी इंजीनियरों अथवा भोपाल नगर निगम की देखरेख में निजी ठेकेदारों द्वारा किस तरह से सड़कों के निर्माण में गुणवत्ता से समझौता किया गया। भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई में भी यही स्थिति है, जहां अक्सर टैक्स देने वाले एक धनवान नगर निगम की आलोचना की जाती है. लेकिन किसी पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती।
अधिकांश महानगरों में सड़कें लगभग हमेशा खराब स्थिति में रहती हैं. क्यों? क्या हम भारत में बुनियादी गुणवत्ता वाली सड़कें नहीं बना सकते? क्या सड़क बनाना किसी तरह के रॉकेट विज्ञान जैसा है? आखिरकार, सड़कों को बनाना, दुबारा बनाना और मरम्मत करना करदाताओं की कीमत पर ही किया जाता है। लोग अच्छी, चिकनी सड़कों की उम्मीद में टोल टैक्स, रोड टैक्स देते हैं पर उनके साथ खुलेआम धोखा होता रहता है। हमारी सड़कों की दयनीय स्थिति न केवल राष्ट्रीय क्षति है, बल्कि इससे करदाता सैकड़ों भारतीयों की असामयिक मृत्यु भी हो रही है। कौन जिम्मेदार है इसके लिए?