ब्लॉग: आखिर क्यों नहीं थम रहे हैं रेल हादसे?

By रमेश ठाकुर | Updated: July 20, 2024 10:18 IST2024-07-20T10:18:15+5:302024-07-20T10:18:21+5:30

चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस हादसे में गनीमत है कि ट्रेन के कोच एलएचबी थे, जिससे वे एक-दूसरे के ऊपर नहीं चढ़े, वरना जान-माल के भारी नुकसान की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता था। 

Why are railway accidents not stopping | ब्लॉग: आखिर क्यों नहीं थम रहे हैं रेल हादसे?

ब्लॉग: आखिर क्यों नहीं थम रहे हैं रेल हादसे?

बीते 35 महीनों में 131 रेल हादसों को देखकर प्रतीत होता है कि रेल महकमे को यात्रियों की जान की परवाह नहीं है। शासन-प्रशासन द्वारा जांच-पड़ताल का हवाला दिया जाता है लेकिन अगले हादसे के बाद पता चलता है कि पिछले हादसे से कोई सबक ही नहीं लिया गया। इस कड़ी में ‘चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस’ हादसा हमारे सामने है।

रेलवे में खामियों की लंबी फेहरिस्त है। जहां चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस हादसा हुआ उससे ढाई सौ किमीमीटर दूर पीलीभीत जिले में अभी कुछ माह पूर्व ही नया बिछाया गया रेल ट्रैक बारिश में बह गया। जबकि उसके आगे अंग्रेजों के वक्त की बनी रेल पटरियां सुरक्षित हैं। हादसे कहां-कहां हो सकते हैं, इनका अंदाजा रेल विभाग को होना चाहिए। ऐसे प्वाइंट को चिन्हित करके रेल ट्रैक का निरीक्षण-परीक्षण करना चाहिए।

अधिकारियों को स्वयं जांच-पड़ताल करनी चाहिए, पर दुर्भाग्य से वे बारिश के मौसम में अपने कमरों से बाहर निकलना मुनासिब नहीं समझते। ऐसी सभी जिम्मेदारियां रेलवे के चतुर्थ कर्मचारियों पर छोड़ दी जाती हैं और जब ये कर्मचारी पटरियों से संबंधित खामियों की शिकायत उच्चाधिकारियों से करते हैं तो वे ध्यान नहीं देते। चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस हादसे के बारे में कहा जा रहा है कि जिस जगह पर हादसा हुआ, वहां चार दिन से बकलिंग (गर्मी में पटरी में फैलाव होना) हो रही थी।

बकलिंग के कारण ही गुरुवार को 70 किमी प्रति घंटा की गति से जा रही चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस बेपटरी हो गई थी। सेक्शन के कीमैन ने संबंधित सीनियर सेक्शन इंजीनियर और सहायक अभियंता को इसकी सूचना भी दी थी लेकिन पटरी को काटकर अलग करने की डिस्ट्रेस प्रक्रिया को किया ही नहीं गया।

रेल मंत्रालय की दिसंबर-2020 की एक रिपोर्ट के अनुसार रेल पटरियां लगभग पूरे देश में जर्जर हालत में हैं। पिछले तीन वर्षों में विभिन्न रेल हादसों में एक हजार से भी अधिक यात्रियों की मौत हुई है जिनमें 60 करोड़ का मुआवजा बंटा और 230 करोड़ रुपए की सरकारी सम्पत्ति का नुकसान हुआ।

हाल में मात्र तीन बड़े हादसों में 300 से ज्यादा यात्रियों ने अपनी जान गंवाई है। चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस हादसे में गनीमत है कि ट्रेन के कोच एलएचबी थे, जिससे वे एक-दूसरे के ऊपर नहीं चढ़े, वरना जान-माल के भारी नुकसान की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता था। 
 

Web Title: Why are railway accidents not stopping

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