ब्लॉग: दिनेश खटीक के इस्तीफे का ऐलान यूपी में योगी सरकार के लिए क्या संदेश दे गया

By अभय कुमार दुबे | Published: July 25, 2022 11:35 AM2022-07-25T11:35:28+5:302022-07-25T11:36:15+5:30

आदित्यनाथ के बारे में कहा जाता है कि वे ईमानदार हैं, और निजी तौर पर नहीं खाते. जब उन्हें भ्रष्टाचार के बारे में पता चलता है तो सजा भी देते हैं. लेकिन यह कोई नहीं कह सकता कि वे भ्रष्टाचार रोकने में कामयाब रहे हैं.

What message did the announcement of the resignation of Dinesh Khatik give for Yogi government in UP | ब्लॉग: दिनेश खटीक के इस्तीफे का ऐलान यूपी में योगी सरकार के लिए क्या संदेश दे गया

ब्लॉग: दिनेश खटीक के इस्तीफे का ऐलान यूपी में योगी सरकार के लिए क्या संदेश दे गया

उत्तरप्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में आजकल हंगामा चल रहा है. राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने अचानक अपना इस्तीफा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भेज दिया. जाहिर है कि वे मंत्री पद नहीं छोड़ना चाहते थे, वरना वे यही इस्तीफा राज्यपाल और मुख्यमंत्री को भेजते. खास बात यह है कि दिनेश खटीक ने न केवल अपना इस्तीफा अमित शाह को भेजा, बल्कि उसे सोशल मीडिया पर वायरल भी करवा दिया. 

दिनेश खटीक किसी गैर-संघी पृष्ठभूमि के या किसी दूसरी पार्टी से दल-बदल करके आने वाले दलित नेता नहीं हैं. इनके पिताजी भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक थे. दूसरी पीढ़ी के संघ कार्यकर्ता के रूप में दिनेश खटीक ने अपने निर्वाचन क्षेत्र की जनता के बीच अपने गहन संपर्क-अभियानों के चलते नाम कमाया था. इसी कारण से उन्हें विधानसभा चुनावों से कुछ पहले ही आदित्यनाथ सरकार में मंत्री बनने का मौका मिला था. 

दूसरे, वे जिस खटीक बिरादरी के पुत्र हैं, वह दलितों में संभवत: पहली बिरादरी है जिसने हिंदुत्ववादी विचारधारा का दामन शुरू से ही पकड़ा हुआ है. अपेक्षाकृत समृद्ध दलित समुदाय के रूप में खटीक या सोनकर लोग उत्तरप्रदेश में भाजपा के निष्ठावान वोटर रहे हैं.  
सोचने की बात है कि ऐसे समुदाय का एक लोकप्रिय दलित नेता भाजपा सरकार में दलित होने के नाते न केवल साथी मंत्रियों से (स्वतंत्र देव सिंह ओबीसी बिरादरी से आते हैं) उपेक्षित महसूस कर रहा है, बल्कि अफसर भी उसे नजरअंदाज करते हैं. और तो और, जब उसके अपने निर्वाचन क्षेत्र में उसके कार्यकर्ताओं पर कोई अत्याचार होता है तो पुलिस उनके कहने पर भी रपट नहीं लिखती. 

इन दिनेश खटीक को रातोंरात अपनी सुरक्षा और अमले को छोड़कर लखनऊ से हस्तिनापुर जाना पड़ता है, और थाने में जाकर रपट न लिखे जाने की सूरत में धरना देने की धमकी देनी पड़ती है. यह पूरा प्रकरण बताता है कि संघ और भाजपा ने हिंदू राजनीतिक एकता की संरचना में समाज की सर्वाधिक दुर्बल बिरादरियों को शामिल तो कर लिया है, लेकिन अभी तक इन समुदायों को हिंदुत्व की राजनीति के दायरे में व्यावहारिक रूप से समानता का धरातल नसीब नहीं हुआ है.

आदित्यनाथ सरकार के भीतर चल रहे हंगामे का दूसरा पहलू है मंत्रियों और नौकरशाही का संबंध. इस सरकार के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य विभाग के इंचार्ज ब्रजेश पाठक ने अपने ही विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को पत्र लिखकर अधिकारियों के तबादलों में हुई गड़बड़ियों का सवाल उठाया है. इसी तरह माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाबो देवी का टकराव अतिरिक्त मुख्य सचिव आराधना शुक्ला से चल रहा है. 

इन दोनों मंत्रियों की शिकायत दूर करने के लिए मुख्यमंत्री ने दो बैठकें करवाईं और तबादलों की समस्या दुरुस्त करने के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी भी बना डाली. पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद द्वारा नियुक्त किए गए ओएसडी (जो लंबे अरसे से उनके साथ जुड़े रहे हैं) को तो तबादलों में गड़बड़ी के कारण निलंबित किया ही गया, उनके साथ छह और अफसर निलंबित किए गए. एक अन्य मंत्री नंदगोपाल नंदी ने भी नोएडा में हुए तबादलों पर आपत्ति जताई है.

सभी जानते हैं कि तबादलों और तैनातियों में बहुत बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होता है. उसके जरिये सैकड़ों करोड़ रुपए जमा किए जाते हैं. इसका एक हिस्सा अय्याशियों में खर्च होता है- और ज्यादा बड़ा हिस्सा चुनाव लड़ने में जाता है. विचित्र बात है कि इस भ्रष्टाचार को सभी पक्षों ने कालाधन जमा करने की स्थापित युक्ति के रूप में स्वीकार कर लिया है. जो अफसर तगड़ा पैसा देकर दुधारू तैनाती पाता है, वह भी उसकी कई गुना भरपाई के लिए जम कर चांदी काटता है. 

अफसरों को अपने विभाग में ऊपर से नीचे तक हिस्सा बांटना पड़ता है. मंत्रियों को पता होता है कि किस पद पर और किस जिले में ज्यादा रिश्वत की संभावनाएं हैं इसलिए वे भी अफसरों को उसी के मुताबिक निचोड़ते हैं.

मुख्यमंत्री भले ही ईमानदार बना रहे, फिर भी यह सिलसिला कभी नहीं रुकता. आदित्यनाथ के बारे में कहा जाता है कि वे ईमानदार हैं, और निजी तौर पर नहीं खाते. जब उन्हें भ्रष्टाचार के बारे में पता चलता है तो सजा भी देते हैं. लेकिन यह कोई नहीं कह सकता कि वे भ्रष्टाचार रोकने में कामयाब रहे हैं. लोकतांत्रिक शासन-प्रशासन की इस बीमारी में उ.प्र. अकेला नहीं है. हर प्रदेश में यही होता है. 

Web Title: What message did the announcement of the resignation of Dinesh Khatik give for Yogi government in UP

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