कुलभूषण जाधव को ‘आईसीजे’ से क्या मिल पाएगा न्याय?

By शोभना जैन | Published: July 14, 2019 05:34 AM2019-07-14T05:34:00+5:302019-07-14T05:34:00+5:30

पाकिस्तान की जेल में बरसों से बंद, फांसी की सजा प्राप्त भारतीय नागरिक एवं पूर्व नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव, जो दुश्मन की कैद में सांस थामे पल-पल 17 जुलाई का इंतजार कर रहा है

What can Kulbhushan Jadhav get from 'ICJ' justice? | कुलभूषण जाधव को ‘आईसीजे’ से क्या मिल पाएगा न्याय?

कुलभूषण जाधव को ‘आईसीजे’ से क्या मिल पाएगा न्याय?

पाकिस्तान की जेल में बरसों से बंद, फांसी की सजा प्राप्त भारतीय नागरिक एवं पूर्व नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव, जो दुश्मन की कैद में सांस थामे पल-पल 17 जुलाई का इंतजार कर रहा है, दुआ मांग रहा होगा कि संयुक्त राष्ट्र के हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट ऑफ जस्टिस ‘आईसीजे’ उस दिन अपने फैसले में उसके मानवाधिकारों की रक्षा करे, उसे न्याय देकर उसके जीवन की रक्षा करे. कुलभूषण मामले को लेकर भारत और पाकिस्तान इस अंतर्राष्ट्रीय अदालत में आमने-सामने हैं. तीखी, तल्ख बहस के दौरान भारत ने कुलभूषण के बचाव में तथ्यात्मक तर्क दिए जबकि पाकिस्तान ने उसे दोषी ठहराने के लिए खासी कहानियां गढ़ीं. बहरहाल अब सबकी निगाहें 17 जुलाई पर  टिकी हैं जबहेग के स्थानीय समयानुसार 3 बजे और भारतीय समयानुसार शाम 6.30 बजे  बहुप्रतीक्षित फैसला आएगा. उम्मीद की जानी चाहिए कि उस दिन आईसीजे से उसे न्याय मिल सकेगा.

 भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्ति के बाद ईरान में व्यापार कर रहे जाधव को मार्च 2016 में ईरान से अपहरण कर पाकिस्तान ले जाया गया जहां उसे जेल में बंद कर दिया गया. पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने उसे भारतीय गुप्तचर एजेंसी रॉ का जासूस बताते हुए और उस पर जासूसी और आतंकी गतिविधियों में संलिप्त होने का मनगढ़ंत आरोप लगाते हुए ‘तुरत फुरत कार्रवाई’ का ‘दिखावा’ करके उसे मौत की सजा सुना दी. पाकिस्तान का आरोप रहा है कि उसके सुरक्षाबलों ने तीन मार्च 2016 को अशांत बलूचिस्तान प्रांत से जाधव को उस समय गिरफ्तार किया था जब वह कथित रूप से ईरान से घुसा था. जाधव की सजा पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की. साथ ही पाकिस्तान की जेल में बंद अपने भारतीय नागरिक से राजनयिक संपर्कसाधने की इजाजत  नहीं दिए जाने को वियना संधि का उल्लंघन बताते हुए इस मामले को लेकर आईसीजे का दरवाजा खटखटाया और इसे एक  भारतीय नागरिक के मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया. भारत ने आईसीजे से पाक सैन्य अदालत के फैसले को रद्द करने और पाकिस्तान को मौत की सजा का अनुपालन करने से रोकने की मांग की. 

दरअसल इस मामले में पाकिस्तान की नीयत और मंशा का मामले की शुरुआत से ही पता चलता है. पाकिस्तान ने जाधव को 3 मार्च 2016 को  गिरफ्तार किया लेकिन करीब एक महीने बाद मामले में प्राथमिकी दर्ज हुई. अप्रैल 2016 में जाधव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई और उसी दिन से  भारत ने उसके साथ राजनयिक संपर्ककरने की मांग उठाई और अब तक  राजनयिक संपर्कके लिए 13 रिमाइंडर भेजे, लेकिन पाकिस्तान भारत के बार-बार के आग्रह को नामंजूर करता रहा. ‘बंद कमरे में सुनवाई’ के बाद अप्रैल 2017 में पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने जाधव को जासूसी और आतंकवाद के आरोप में मौत की सजा सुनाई थी. 

इस मामले की सुनवाई के दौरान भारत ने मामले का फैसला होने तक जाधव की सजा पर रोक लगाए जाने की मांग की थी, जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया. मामले की सुनवाई के आखिरी दौर में साल्वे ने उम्मीद जताई थी कि ‘न्याय’ होगा. बहरहाल उम्मीद है कि अब आईसीजे से उसे अंतिम तौर पर न्याय मिल सकेगा जो न केवल जाधव और उसके परिजनों बल्कि भारत के लिए भी फौरी राहत की बात होगी. साथ ही फैसले के बाद पाकिस्तान के रुख से भी भारत और पाकिस्तान के रिश्ते काफी हद तक तय हो सकेंगे.

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