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डॉ. विजय दर्डा का ब्लॉग: ये मौत का तांडव कब तक चलता रहेगा?

By विजय दर्डा | Updated: August 5, 2024 05:27 IST

weather update: प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बना कर क्या इन लोगों को दूसरी जगह बसाना जरूरी नहीं है?

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ठळक मुद्देहमास और इजराइल की जंग में पिस रहे आम फिलिस्तिनियों की भी किसी को नहीं है.गजा में करीब 40 हजार फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं और 85 हजार से ज्यादा घायल हैं. खासकर महिलाओं और बच्चों का बुरा हाल है. इस जंग के रुकने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं.

weather update: मौत के तांडव से बहुत व्यथित हूं. वायनाड में भूस्खलन ने ढाई सौ से ज्यादा लोगों की जान ले ली. इधर हिमाचल से लेकर उत्तराखंड तक पहाड़ दरक रहे हैं और दिल दहल रहा है. मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि इन सारी घटनाओं के मूल में सरकारों की गंभीर लापरवाही है. मैं लापरवाही शब्द का उपयोग इसलिए कर रहा हूं क्योंकि सरकार को सब कुछ मालूम है, फिर भी खतरनाक जोन में लोग बसे हुए हैं क्योंकि वे गरीब हैं. इन इलाकों में पेड़ काट कर खेत के मैदान तैयार किए जा रहे हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बना कर क्या इन लोगों को दूसरी जगह बसाना जरूरी नहीं है? जरूरी तो बहुत है लेकिन दुर्भाग्य से किसी को फिक्र कहां है? फिक्र तो मिडिल ईस्ट यानी मध्य पूर्व में हमास और इजराइल की जंग में पिस रहे आम फिलिस्तिनियों की भी किसी को नहीं है.

जब इजराइल पर हमास ने हमला किया था तब पिछले साल अक्तूबर में इसी कॉलम में मैंने लिखा था कि जंग का सबसे बुरा खामियाजा आम फिलिस्तिनियों को भुगतना पड़ेगा और वही हो रहा है. गजा में करीब 40 हजार फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं और 85 हजार से ज्यादा घायल हैं. खासकर महिलाओं और बच्चों का बुरा हाल है. इस जंग के रुकने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं.

हमास के राजनीतिक प्रमुख इस्माइल हनियेह की हत्या ने सवाल खड़ा कर दिया है कि अब आगे क्या?  हनियेह की हत्या का मामला ईरान के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है. हनियेह ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने आए थे. इस समारोह में भारत की ओर से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी शामिल हुए थे.

शपथ के बाद हनियेह राष्ट्रपति से मिले और स्टेट गेस्ट होने के नाते ऐसे इलाके में रुके थे जहां के चप्पे-चप्पे पर ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड का पहरा रहता है. इसके बावजूद उनकी हत्या कर दी गई. इजराइल ने खुले तौर पर जिम्मेदारी नहीं ली है लेकिन तोहमत उसी पर लग रही है. हनियेह पर इससे पहले चार हमले हो चुके थे और इजराइल ने खुद कहा था कि हनियेह के परिवार के दस लोगों को उसने मार गिराया है.

हनियेह की हत्या के तत्काल बाद ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने कहा कि हनियेह की मौत का बदला लेना ईरान का फर्ज है. एक इजराइली अखबार ने तो सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि खामेनेई ने इजराइल पर हमले का आदेश दे दिया है. ईरान कोई कदम नहीं उठाता है तो उसकी कमजोरी मानी जाएगी और ईरान कमजोर नहीं दिखना चाहता.

अमेरिका एक ओर ईरान पर दबाव बना रहा है कि आग ज्यादा न भड़के लेकिन अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने खुले रूप से कह भी दिया है कि यदि ईरान ने हमला किया तो अमेरिका इजराइल की रक्षा करेगा. इसका मतलब है कि वह सीधे तौर पर जंग में कूद सकता है. यहां यह जानना जरूरी है कि चीन की भूमिका क्या होगी.

चीन ने अभी हाल ही में कहा है कि वह गाजा पट्टी में संहार को अनदेखा नहीं कर सकता. मुझे लगता है कि चीन जुबानी जंग लड़ने में तो आगे रहेगा लेकिन मध्य पूर्व की इस आग में अपने हाथ नहीं जलाएगा. तो क्या वह आर्थिक रूप से हमास की मदद करेगा? ऐसा हो सकता है.

एक सवाल यह भी है कि सऊदी अरब की भूमिका क्या होगी? सऊदी अरब की हमेशा यह चाहत रही है कि वह मुस्लिम देशों का नेता भी बना रहे और अमेरिका व इजराइल से उसके संबंध भी अच्छे रहें. सऊदी-इजराइल के बीच शांति समझौता होने वाला भी था. इजराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र के मंच पर कहा था कि इजराइल और सऊदी अरब के बीच अहम शांति समझौता लगभग होने ही वाला है जो अरब-इजराइल संघर्ष को खत्म करने और अन्य अरब मुल्कों के इजराइल के साथ रिश्ते सामान्य करने को बढ़ावा देगा.

इससे फिलिस्तीनियों के साथ शांति की संभावनाएं बढ़ेंगी. लेकिन इजराइल पर हमास के हमले ने सारी संभावनाएं खत्म कर दीं. हालांकि सऊदी अरब ने हमास से दूरी बना रखी है. इधर तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोआन ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर तुर्की इजराइल में घुस सकता है. इजराइल ने जवाब देते हुए कह दिया कि ऐसी जुर्रत की तो हश्र सद्दाम जैसा होगा.

यानी इजराइल किसी भी सूरत में पीछे हटने वाला नहीं है. आखिर इस इलाके को किसकी नजर लग गई है? इतिहास का कोई भी पन्ना उठा कर देखें, यह पूरा इलाका रक्तरंजित नजर आता है. इराक की जंग आपको याद ही होगी जिसमें करीब एक लाख निरीह लोग मारे गए थे.

इराकी शहर मोसुल के कब्रिस्तान बन जाने का मंजर आप भूले नहीं होंगे. जरा सोचिए कि इजराइल और हमास के बीच जंग में ईरान, तुर्की, लेबनान और अमेरिका भी कूद गए तो क्या होगा? निश्चय ही मौत का भीषण तांडव होगा.

साहिर लुधियानवी की गजल का ये टुकड़ा मेरे जेहन में कौंधता है..

जंग तो खुद ही एक मसअला हैजंग क्या मसअलों का हल देगी!आग और खून आज ब़ख्शेगीभूख और एहतियाज कल देगी!!  फिर मेरे शब्द छलकते हैं..संभल जाओ मौत के सौदागरोंमौत इंसानियत खाती है,आज किसी और की बारी हैकल तुम्हें भी निगल लेगी..!

टॅग्स :मौसमभारतीय मौसम विज्ञान विभागकेरलहिमाचल प्रदेशउत्तराखण्डमौसम रिपोर्टHamasइजराइल
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