विवेक शुक्ला का ब्लॉग: गांधीजी से क्यों डरता है पाकिस्तान?

By विवेक शुक्ला | Published: July 30, 2020 06:05 AM2020-07-30T06:05:39+5:302020-07-30T06:05:39+5:30

Vivek Shukla's blog: Why is Pakistan afraid of Gandhiji? | विवेक शुक्ला का ब्लॉग: गांधीजी से क्यों डरता है पाकिस्तान?

महात्मा गांधी भारत-पाक बंटवारे से आहत थे

Highlightsपाकिस्तान ने 31 प्रकाशकों की 100 किताबों को बैन कर दिया है. इनमें से अनेक में गांधी के विचारों को साफ किया गया है.

ये बात समझ से परे है कि पाकिस्तान का महात्मा गांधी को लेकर नफरत और भय का मिलाजुला भाव किसलिए है. पाकिस्तान ने उन पाठ्यपुस्तकों से महात्मा गांधी का नाम हटाने का फैसला किया है, जिनमें उनका किसी मसले पर मत दिया गया हो. ये पाकिस्तान के पंजाब सूबे की सरकार ने किया है. पंजाब पाकिस्तान का आबादी की दृष्टि से सबसे बड़ा सूबा है.

पाकिस्तान को दुनिया के नक्शे पर आए 75 साल होने वाले हैं, पर वह नफरत के रास्ते पर बढ़ता जा रहा है. पाकिस्तान ने 31 प्रकाशकों की 100 किताबों को बैन कर दिया है. इनमें से अनेक में गांधी के विचारों को साफ किया गया है. गांधी तो देश के बंटवारे के बाद लाहौर, रावलपिंडी और कराची जाना चाहते थे. वे पाकिस्तान जाकर इस तरह का संदेश देना चाहते थे कि हिंसक बंटवारे के बाद अब दोनों देश सौहार्द्रपूर्ण तरीके से रहें. क्या उन्होंने इस तरह से सोचकर बहुत बुरा किया था कि आज पाकिस्तान को उनके नाम से भी डर लगता है? क्या उन्होंने कभी मुसलमानों के साथ भेदभाव किया? बेशक, गांधी बंटवारे से आहत थे. बंटवारे के क्रम में जिस तरह से मानवता मरी थी, उससे वे अंदर तक हिल गए थे. उन्होंने पाकिस्तान जाने की इच्छा बिड़ला हाउस में 23 सितंबर 1947 को प्रार्थना सभा में जाहिर की थी.

गांधीजी ने कहा था, ‘‘मैं लाहौर जाना चाहता हूं. मैं पुलिस या सेना की सुरक्षा में वहां नहीं जाना चाहता. मुझे मुसलमानों और उनके मजहब पर विश्वास है. वे चाहें तो मुझे मार दें... मुझे वहां पर जाने से कोई सरकार नहीं रोक सकती.’’ दरअसल 23 सितंबर की प्रार्थना सभा बेहद खास थी. प्रार्थना सभा स्थल पर बापू आ गए थे. वहां सर्वधर्म सभा में कुरान की आयतें भी पढ़ी जानी थीं. दिल्ली में हुए भीषण दंगों के कारण वातावरण विषाक्त था. इस बीच, गांधीजी ने वहां उपस्थित लोगों से पूछा ‘‘क्या किसी को कुरान के पढ़े जाने पर आपत्ति है?’’ जब सब चुप रहे तो कुरान की आयतें पढ़ी गईं. उसके बाद गांधीजी बोले थे पाकिस्तान जाने के संबंध में.

हां, पाकिस्तान का बनना गांधीजी के विश्वास पर चोट था. वे मानते थे कि भारत सबका है. इस भारत पर सभी धर्मों को मानने वालों का बराबर का हक है. क्या पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान, जो अपने को इतिहास का विद्यार्थी कहते हैं, को पता है कि दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी गांधीजी के आशीर्वाद और सक्रिय सहयोग से बनी थी? क्या उनकी पंजाब सरकार को उपर्युक्त तमाम तथ्यों की जानकारी है? यकीनन नहीं होगी. अगर होती तो वे गांधीजी को अपना नायक नहीं मानते तो कम से कम उनका अनादर तो नहीं करते

Web Title: Vivek Shukla's blog: Why is Pakistan afraid of Gandhiji?

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