विवेक शुक्ला का ब्लॉग: नेहरूजी ने खोजे थे प्रयोगधर्मी वास्तुकार

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: May 27, 2020 06:16 IST2020-05-27T06:16:37+5:302020-05-27T06:16:37+5:30

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जी चाहते थे कि नए उत्साही वास्तुकार केंद्रीय लोकनिर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) से जुड़ जाएं.

Vivek Shukla's blog: Nehruji discovered experimental architects | विवेक शुक्ला का ब्लॉग: नेहरूजी ने खोजे थे प्रयोगधर्मी वास्तुकार

जवाहर लाल नेहरू (फाइल फोटो)

पंडित जवाहरलाल नेहरू देश की आजादी के बाद कुछ प्रयोगधर्मी वास्तुकार तलाश रहे थे. आखिर देश में नए भवनों, पार्को, पुलों वगैरह का निर्माण होना था. चुनौती बड़ी थी. नेहरूजी चाहते थे कि नए उत्साही वास्तुकार केंद्रीय लोकनिर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) से जुड़ जाएं.

उसी दौर में नेहरूजी को न्यूयॉर्क तथा कलकत्ता में काम कर रहे दो नौजवान आर्किटेक्ट्स राणा मानसिंह और हबीब रहमान के बारे में पता चला. नेहरूजी ने दोनों को तुरंत दिल्ली आने को कहा ताकि वे सीपीडब्ल्यूडी को ज्वाइन कर लें.

ये दोनों दिल्ली आए और फिर दशकों तक यहां की महत्वपूर्ण इमारतों के डिजाइन तैयार करते रहे. राणा ने पहला खास काम यहां किया बाल भवन (1953) का डिजाइन बनाकर. राणा ने बाल भवन में बच्चों के खेलने और क्रिएटिव गतिविधियों के लिए भरपूर स्पेस दिया. बाल भवन से पहले दिल्ली या भारत में इस तरह का प्रयोग संभवत: नहीं हुआ था.

नेहरूजी ने राणा को 1956 में बुद्ध जयंती पार्ककी लैंड स्केपिंग का दायित्व खुद सौंपा. ये भगवान बुद्ध के निर्वाण के 2500वें वर्ष के स्मरणोत्सव के समय तैयार किया गया था. ये अजीब संयोग है कि राणा ने ही अपने संरक्षक की समाधि शांति वन (1964) तथा नेहरू तारामंडल (1980) का भी डिजाइन तैयार किया पर उनके करियर का सर्वश्रेष्ठ काम नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी (एनएमएमएल) को माना जाएगा.

उधर, नेहरूजी ने हबीब रहमान को पहली बड़ी जिम्मेदारी दी कि वे तय करें कि राजघाट का डिजाइन और लैंडस्केपिंग कौन बनाएगा. रहमान ने अनेक डिजाइनरों और लैंड स्केप विशेषज्ञों के काम को देखने-जांचने के बाद ये  जिम्मेदारी क्र मश: वानूजी, भूपा तथा एंग्लो इंडियन एलिश पर्सी लैंकस्टेर को दी.

रहमान ने दिल्ली में रामकृष्ण पुरम के सरकारी बाबुओं के घरों से लेकर चिड़ियाघर (1959) और रवींद्र भवन (1961) वगैरह के डिजाइन भी बनाए.  आपको रवींद्र भवन में जाते ही इस तरह की अनुभूति होती है मानो आप कला और संस्कृति के संसार में आ गए हों.

राणा और रहमान के काम में नयापन और विविधता मिलती है. नेहरूजी ने दिल्ली आईआईटी के कैंपस के डिजाइन के लिए जे.के.चौधरी को चुना था. वे   चंडीगढ़ के चीफ आर्किटेक्ट ली कार्बूजिए के सहयोगी रहे थे.

Web Title: Vivek Shukla's blog: Nehruji discovered experimental architects

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