विजय दर्डा का ब्लॉग: दुनिया पर मंडरा रहा है साइबर युद्ध का खतरा

By विजय दर्डा | Published: July 20, 2020 09:29 AM2020-07-20T09:29:44+5:302020-07-20T09:29:44+5:30

दुनिया जानती है कि हाल के समय में उत्तर कोरिया के हैकर्स ने दुनिया के कई बैंकों पर बड़े साइबर हमले करके करोड़ों की रकम उड़ाई है. इनमें कई भारतीय बैंक भी शिकार हुए हैं.

Vijay Darda's blog: Cyber ​​war threat looms over the world | विजय दर्डा का ब्लॉग: दुनिया पर मंडरा रहा है साइबर युद्ध का खतरा

साइबर क्राइम का सांकेतिक फोटो (फाइल फोटो)

पिछले सप्ताह एक के बाद एक कई ऐसी खबरें आईं जिन्होंने साइबर दुनिया में बढ़ते खतरे की गंभीरता का एहसास करा दिया. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा सहित दुनिया के कई दिग्गज राजनेताओं, माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स, अमेजन के सीईओ जेफ बेजोस, कारोबारी एलन मस्क सहित बहुत से महारथियों और बड़ी कंपनियों के ट्विटर एकाउंट हैक कर लिए गए.

दूसरी खबर ब्रिटेन की तरफ से आई. ब्रिटेन के नेशनल साइबर सिक्योरिटी सेंटर (एनसीएससी) ने आरोप लगाया कि रूस के हैकर्स उन संगठनों को निशाना बना रहे हैं, जो कोरोना वायरस की वैक्सीन विकसित करने में लगे हैं.

एनसीएससी ने दावा किया कि ये हैकर्स रूसी खुफिया एजेंसी के हैं और रूस की सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं. इसके पहले अमेरिका भी आरोप लगा चुका है कि रूसी हैकर्स वैक्सीन से जुड़े रिसर्च की चोरी कर रहे हैं.

तीसरी खबर चीनी कंपनी हुवावे पर अमेरिका, ब्रिटेन, भारत और ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों की बढ़ रही सख्ती की थी. अब सबको लगने लगा है कि 5जी के मामले में हर देश में अपनी पैठ बनाने की कोशिश में लगी हुवावे कंपनी साइबर दुनिया के लिए गंभीर खतरा है. यह आरोप लग रहे हैं कि चीन की यह कंपनी अपने उपकरणों के माध्यम से चीन के लिए जासूसी कर सकती है.

हालांकि हुवावे ने इनकार किया है लेकिन दुनिया को इस पर पूरा शक है. इसलिए इसके पर कतरे जा रहे हैं. चीन पर वैसे भी साइबर चोरी के आरोप लगते रहे हैं. इसीलिए भारत ने उसके 59 एप्प बंद भी कर दिए हैं.

ये घटनाएं बता रही हैं कि आने वाला वक्त साइबर चोरी से बहुत आगे बढ़ चुका होगा और एक तरह से साइबर युद्ध का गंभीर खतरा दुनिया पर मंडराने लगा है. वैसे भी दुनिया भर में हर साल 20 लाख से ज्यादा साइबर हमले होते हैं.

ब्रिटेन, चीन और अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा हमले भारत पर होते हैं. ये साइबर हमलावर कितने ताकतवर हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मई 2017 में हुए सबसे बड़े साइबर हमले में हैकर्स ने दुनिया के 150 देशों के 2 लाख से ज्यादा कम्प्यूटरों पर कब्जा कर
लिया था.

सवाल यह उठता है कि ये हैकर्स वास्तव में हैं कौन और क्या उन्हें किसी और का भी सहयोग मिलता है? माना जाता है कि सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस में हैकर्स की एक पीढ़ी ने जन्म लिया. उस दौर में इंटरनेट की दुनिया इतनी विकसित नहीं थी और सुरक्षा की भी बेहतर व्यवस्था नहीं थी.

बाद में रूस को लगा कि ये हैकर्स तो बड़े काम की चीज हैं. उसने अपनी खुफिया एजेंसी केजीबी और फेडरल सिक्योरिटी सर्विस (एफएसबी) में हैकर्स के लिए गोपनीय जगह बनाई और उन्हें तेजी से प्रशिक्षित करना शुरू किया. 2007 में रूसी हैकर्स ने पड़ोसी एस्टोनिया पर बड़ा साइबर हमला किया और सैकड़ों वेबसाइट को हैक कर लिया.

अगले साल फिर इसी तरह का हमला जार्जिया पर किया और तमाम सरकारी वेबसाइट को तबाह कर दिया. आज यह माना जाता है कि रूस के पास सबसे बड़ी और ताकतवर साइबर सेना है.

इन हैकर्स पर अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप से लेकर पश्चिमी देशों के मीडिया तक को निशाना बनाने के आरोप लगते रहे हैं.

साइबर सेना के मामले में रूस के बाद नंबर आता है अमेरिका, चीन और इजराइल का. इसके बाद यूरोप के देशों का नंबर आता है. अमेरिका तेजी से इस कोशिश में लगा है कि वह साइबर सेना के मामले में रूस को पछाड़ सके.

अमेरिका के लास वेगास में हर साल हैकर्स का मेला लगता है. उस मेले में हर उम्र के लोग अपना हुनर दिखाते हैं. अमेरिकी अधिकारी कहते हैं कि इस मेले के माध्यम से वे यह समझने की कोशिश करते हैं कि हैकर्स का दिमाग काम कैसे करता है लेकिन हकीकत में वे अपनी साइबर सेना के लिए हैकर्स तलाशते हैं.

साइबर हमलों के मामलों में अमेरिका और इजराइल की मिलीजुली ताकत उसे ज्यादा प्रभावी बना देती है. दोनों ने मिलकर 2012 में ईरान के तेल उद्योग के सिस्टम हार्ड ड्राइव से पूरा डेटा उड़ा दिया था. हालांकि इसके जवाब में ईरान ने सऊदी अरब के तीस हजार से ज्यादा कम्प्यूटरों का डेटा नष्ट कर दिया.

और हां, उत्तर कोरिया की साइबर सेना को हम कैसे भूल सकते हैं! वहां तो 13 से 14 साल की उम्र में ही प्रतिभावान छात्रों को साइबर सेना में शामिल कर लिया जाता है ताकि वे बेहतरीन हैकर्स बन सकें.

दुनिया जानती है कि उत्तर कोरिया के हैकर्स ने दुनिया के कई बैंकों पर बड़े साइबर हमले करके करोड़ों की रकम उड़ाई है. इनमें कई भारतीय बैंक भी शिकार हुए हैं.

खासकर सीआईए दुनिया भर में टेरर फंडिंग और  ड्रग फंडिंग पर खास नजर रखती है. कहां से कितना फंड ट्रांसफर हुआ, यह जानने के लिए वे एकाउंट को हैक करते हैं.

अफगानिस्तान, ईरान, सीरिया और  इराक के मामले में यह खेल वर्षो से चलता रहा है. पाकिस्तान के एक साइंटिस्ट को न्यूक्लियर बम के फॉमरूले के लिए पैसा मिलने की बात सीआईए ने ही उजागर की थी.

कई और भी करप्शन उजागर हुए हैं. आखिर टेरर और ड्रग फंडिंग के पैसे से ही तो अवैध हथियारों का बाजार फलता-फूलता है. इसके साथ ही अनेक देशों में अपने फायदे और पसंद के अनुरूप प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति को सत्ता में लाने या बनाए रखने का काम भी ये खुफिया एजेंसियां करती हैं.

इसमें हैकिंग का बहुत रोल होता है. कुछ जगह अमेरिका और इजराइल एक होकर काम करते हैं तो कुछ जगह अलग-अलग उनकी हरकतें चलती हैं. जब सोवियत यूनियन टूट रहा था, तब भी सीआईए तेजी से अपना काम कर रही थी. हालांकि पुतिन के आने के बाद  रूस भी बड़ा खिलाड़ी बन गया है.

इनकी साइबर सेना न केवल साइबर अपराध में लगी है बल्कि जैविक हमले में भी बड़ी भूमिका निभाने की ताकत रखती है. इसके कई प्रमाण भी दुनिया के सामने
आए हैं.

साइबर सेना में यह ताकत होती है कि वह दुश्मन के बैंकों पर हमला करके उसे कंगाल बनाए ही, उसके रक्षा प्रतिष्ठानों के डेटा उड़ाकर दुश्मन को कमजोर कर दे. यह एक नए तरह का खतरा है जो हर रोज और बलवान होता जा रहा है.

भविष्य को देखते हुए हमें भी अपनी मजबूत साइबर सेना बनानी चाहिए जो भले ही किसी देश पर हमला न करे क्योंकि यही हमारी संस्कृति है, लेकिन उनमें इतनी क्षमता होनी चाहिए कि वे दुश्मन के हमले को विफल कर दें. और हां, हमें
निजी स्तर पर भी सतर्क रहना चाहिए क्योंकि साइबर हमला तो कहीं भी हो सकता है. आपके मोबाइल पर भी और आपके बैंक खाते पर भी!

Web Title: Vijay Darda's blog: Cyber ​​war threat looms over the world

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