विजय दर्डा का ब्लॉग: बापू! आप फिर लौटकर क्यों नहीं आते ?

By विजय दर्डा | Published: October 3, 2022 08:09 AM2022-10-03T08:09:53+5:302022-10-03T08:09:53+5:30

महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने महात्मा गांधी के बारे में कहा था कि 'भविष्य की पीढ़ियों को इस बात पर विश्वास करने में मुश्किल होगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई व्यक्ति भी कभी धरती पर आया था.' वाकई आज की पीढ़ी बापू को क्या ठीक से नहीं जानती है. बापू का सपना आखिर अब तक अधूरा क्यों पड़ा है?

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बापू! आप फिर लौटकर क्यों नहीं आते ?

प्रिय बापू!

माफी चाहता हूं आपसे. कल 2 अक्टूबर को आपका जन्मदिन था. आपके जन्मदिन पर कुछ न कुछ लिखने की परंपरा सी बन गई है, ठीक उसी तरह जैसे विभिन्न चौराहों पर आपकी मूर्तियों पर माला चढ़ाने की परंपरा है. आपका गुण गाने की परंपरा है..और अगले दिन सब कुछ भूल जाने का दुर्भाग्य है. मैंने भले ही कुछ नहीं लिखा बापू लेकिन मेरा मन मुझे दिन भर मथता रहा. सवालों की बौछार होती रही मेरे भीतर. मैं सोचता रहा कि हमारे प्रिय बापू को आखिर किसने केवल मूर्तियों में कैद कर दिया? बापू! आपने दुनिया के सबसे बड़े साम्राज्य से इतनी सहजता और सरलता से लोहा लिया कि दुनिया दंग रह गई! सदियों की गुलामी से हमें मुक्त कराने वाली महान हस्ती को हमने भुला दिया?

आपके जन्मदिन की तारीख का सुनहरा सूरज जब अस्ताचल की ओर जा रहा था तो मुझे लगा कि जो सवाल मुझे मथ रहे हैं, वो हमारे जैसे और भी लोगों को मथ रहे होंगे. सदियों से सोए हुए करीब-करीब अशिक्षित देश को जगाना क्या कोई आसान काम था. बापू जब आप 1915 में भारत आए, पूरे देश का दौरा किया और 1917 से आजादी के आंदोलन में सक्रिय हुए तब देश की साक्षरता दर 7 प्रतिशत भी नहीं थी. अंग्रेज आपके बेटे-बेटियों को गुलाम बनाकर समंदर पार भेज रहे थे. देश का मनोबल टूटा हुआ था लेकिन आपने कमाल कर दिया बापू! 

किसी ने सोचा भी नहीं था कि बहुत साधारण से दिखने वाले आपके प्रयास देश में चेतना का संचार कर देंगे. चंपारण का निलहा किसान आंदोलन हो या फिर नमक के अधिकार को लेकर मार्च-अप्रैल 1930 में चौबीस दिनों का वो दांडी मार्च, भारत की सोई हुई आत्मा जाग उठी थी. आपने इस देश को अंग्रेजों की आंख में आंख डालकर बात करना सिखाया. जब वायसराय ने आपको दिल्ली आकर मिलने का संदेश दिया तो आपने क्या जबर्दस्त जवाब दिया. ये देश हमारा है. आपको मिलना है तो सेवाग्राम आकर मिलिए! मैं वो प्रसंग फिर याद कर रहा था कि जब आप लंदन में जॉर्ज पंचम से मिले थे. आपसे पूछा गया कि इतने कम कपड़ों में क्यों आए हैं? तब आपका जवाब लाजवाब था कि सारे कपड़े तो राजा ने पहने हुए हैं!

बापू! न केवल भारत बल्कि चालीस से अधिक देशों में आजादी की प्रेरणा आपसे ही पहुंची. आज वो मुल्क आजाद हैं तो कारण आप ही हैं बापू! रंगभेद के खिलाफ अलख तो आपने ही जगाई. अपने भारत प्रवास के दौरान बराक ओबामा ने संसद में कहा भी था कि यदि गांधीजी न होते तो मैं राष्ट्रपति नहीं बन पाता.
आपने आम आदमी की जिंदगी के मर्म को छुआ इसलिए आपने वो कर दिखाया जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था. वो मर्म छूने का भाव हमारे नेतृत्वकर्ताओं में कहां बचा है बापू? काश हमारे नेतृत्वकर्ता यह सब सीख पाते! 

आज पूरा देश बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान में लगा हुआ है, यह सीख भी तो बापू आप ही ने दी थी. आपने स्त्री शिक्षा और महिलाओं को समान अधिकार देने की वकालत तब की जब घर-परिवार से लेकर समाज में भी कोई सोचता नहीं था. आज सर्व शिक्षा अभियान की धूम है लेकिन इसका श्रेय तो आपको ही जाता है बापू! आप जहां भी हो, वहां से देख रहे होंगे बापू कि भारत माता की बेटियां आज शिखर छू रही हैं. पूरी दुनिया में परचम फहरा रही हैं. 

आज महिलाओं के लिए एक तिहाई सीट आरक्षित करने की बात हो रही है लेकिन आपने तो बहुत पहले बता दिया था कि देश को विकास के पथ पर ले जाना है तो महिलाओं को समान अधिकार देना होगा. आप की सोच के बारे में विचार करता हूं तो गर्व होता है कि हमारी धरती पर मोहनदास करमचंद गांधी नाम का एक ऐसा महात्मा हुआ जिसने मानवता के कल्याण के बारे में सोचा. चूल्हा जलाने के लिए फूंक मारकर फेफड़े को जख्मी करने के लिए मजबूर महिलाओं को देखा तो वैज्ञानिक मगन भाई को सेवाग्राम बुला लिया और कहा कि ऐसा चूल्हा बनाओ जो इससे निजात दिलाए. इस तरह मगन चूल्हा वजूद में आ गया! 

खुले में शौच की प्रथा आज खत्म हो रही है तो इसका श्रेय भी आपको ही जाता है बापू. आपने गड्ढा खोद कर गंदगी को दबा देने का हुनर दिया ताकि वो खाद के रूप में परिवर्तित हो जाए. आपका लक्ष्य था कि आदमी को आदमी का मैला ढोने से मुक्ति मिले.

आपने सही मायनों में हिंदुस्तान को समझा और उसकी तासीर के अनुरूप समस्याओं के समाधान भी तलाशे. आपने नेचुरोपैथी की बात की. पशु धन से लेकर मिट्टी का मोल तक हमें सिखाया. राजीव गांधी ने गांव के अंतिम व्यक्ति तक सत्ता का फल पहुंचाने की बात की और आज हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस दिशा में तेजी से प्रयास कर रहे हैं लेकिन ग्राम विकास की इस सीख के जनक भी तो आप ही हैं बापू! आपने युवाओं की ताकत को समझा, महिलाओं की शक्ति को पहचाना, समाज की एकजुटता की जरूरत को महसूस किया. 

छुआछूत को मिटाने की शुरुआत आपने की. दलितों के लिए मंदिर के द्वार खुलवाए. आपने जाति, धर्म और पंथ में बंटे देश को एकजुट करने के लिए मानवता को सबसे बड़ा धर्म बताया. आपने जब रामराज की बात की तो उसमें कहीं भी धार्मिक अलगाव नहीं था. सबके लिए समानता का भाव था. जब हिंसा के लंबे कालखंड से इतिहास रक्तरंजित हो रहा था तब आपने सत्य और अहिंसा का मार्ग प्रशस्त किया. यह कितने कमाल की बात है! 

इसीलिए आपने गाया- रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीता राम/ ईश्वर अल्लाह तेरो नाम, सबको सन्मति दे भगवान..! आप क्षमा, अहिंसा, उपवास, मैत्री, बंधुभाव में विश्वास करते थे. आपके अंत:करण में भगवान महावीर और भगवान बुद्ध बसे थे.

आप गांवों को भी विज्ञान से लाभान्वित करना चाहते थे इसलिए महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन से आपकी मित्रता हुई. उन्होंने सही कहा था कि ‘भविष्य की पीढ़ियों को इस बात पर विश्वास करने में मुश्किल होगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई व्यक्ति भी कभी धरती पर आया था.’ आज हालात यही हैं. ये हमारा दोष है बापू कि आज की पीढ़ी को आपके बारे में ठीक से कुछ भी पता नहीं! इस भारत भूमि पर एक बार फिर क्यों नहीं आते बापू? आपके काफी सपने अभी भी अधूरे पड़े हैं बापू!

Web Title: Vijay Darda blog, Mahatma Gandhi birth anniversary, a open letter to bapu

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