विजय दर्डा का ब्लॉग: तीर निशाने पर मगर कौशल की असली परीक्षा अब

By विजय दर्डा | Published: December 2, 2019 07:24 AM2019-12-02T07:24:21+5:302019-12-02T07:24:21+5:30

जब भी कोई नया मुख्यमंत्री कुर्सी संभालता है तो स्वाभाविक तौर पर जनता और ब्यूरोक्रेसी के बीच चर्चा और विश्लेषणों का दौर शुरू हो जाता है कि हमारे मुख्यमंत्री का दृष्टिकोण क्या है?

Vijay Darda blog: Maharashtra: Uddhav Thackeray done it brilliantly, but real test will be now | विजय दर्डा का ब्लॉग: तीर निशाने पर मगर कौशल की असली परीक्षा अब

विजय दर्डा का ब्लॉग: तीर निशाने पर मगर कौशल की असली परीक्षा अब

उद्धव ठाकरेजी से जब मेरी मुलाकात हुई थी तो उन्होंने स्पष्ट कहा था कि मुख्यमंत्री तो शिवसेना का ही होगा. यदि भाजपा नहीं मानी तो हम किसी के भी साथ जा सकते हैं. उन्होंने कहा था कि बालासाहब ठाकरे को दिया यह वचन जरूर पूरा करूंगा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद पर किसी शिवसैनिक को पहुंचाऊंगा. तब मुङो लगा नहीं था कि वे इतनी हिम्मत दिखाएंगे लेकिन उन्होंने यह कर दिखाया.

महत्वपूर्ण बात यह है कि वे खुद मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते थे इसीलिए उन्होंने विधानसभा चुनाव  नहीं लड़ा था. लेकिन परिस्थितियां ऐसी बन गईं कि घड़ी की सुई उनके नाम पर आकर टिक गई. महाविकास आघाड़ी को आकार दे रहे शरद पवार और मल्लिकाजरुन खड़गे ने स्पष्ट कहा कि यदि उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे तो सरकार स्थायी नहीं होगी. पवार साहब और खड़गेजी ने यह बात मुझसे भी कही थी. जाहिर है, स्थायी सरकार सभी का लक्ष्य है इसलिए उन्हें सहमत होना पड़ा.

जब भी कोई नया मुख्यमंत्री कुर्सी संभालता है तो स्वाभाविक तौर पर जनता और ब्यूरोक्रेसी के बीच चर्चा और विश्लेषणों का दौर शुरू हो जाता है कि हमारे मुख्यमंत्री का दृष्टिकोण क्या है? आम आदमी की उम्मीदों पर उनकी सरकार कितनी खरी उतरेगी? वगैरह-वगैरह! 

स्वाभाविक तौर पर उद्धव ठाकरे को लेकर भी चर्चाएं चल रही हैं. वे राजकीय गठबंधन के मुख्यमंत्री हैं. सबकी अपनी समझ है और सबके अपने इरादे हैं जिसे अंजाम देने की हर व्यक्ति कोशिश करेगा चाहे वह राकांपा का हो या कांग्रेस का! उन्हें राष्ट्रवादी कांग्रेस और कांग्रेस की सलाह से ही काम करना होगा और उन्हें मजबूत विपक्ष का भी सामना करना होगा. इसके साथ ही यह कौशल भी सीखना होगा कि ब्यूरोक्रेसी के काम करने के तरीके को अपनी नीतियों के अनुसार कैसे मोड़ें.

प्रदेश के विकास को लेकर निश्चय ही उनके अपने सपने हैं लेकिन इन सपनों में राकांपा और कांग्रेस कितना शामिल होती हैं, यह वक्त ही बताएगा. महाविकास आघाड़ी के न्यूनतम साझा कार्यक्रम में किसानों के लिए कई वादे किए गए हैं, समाज के अन्य तबकों के लिए भी कुछ वादे हैं लेकिन ये पूरे कैसे होंगे? यह चुनौती इसलिए है क्योंकि खजाने की स्थिति ठीक नहीं है. पैसे की किल्लत है. बहुत सारे काम केंद्र सरकार के भरोसे होते हैं. 

देखने वाली बात होगी कि केंद्र से उन्हें कितना सहयोग मिलता है क्योंकि केंद्र में भाजपा की सरकार बैठी है जिसके साथ उन्होंने चुनाव लड़ा था और मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर ही जबर्दस्त लड़ाई भी हुई. भाजपा शायद इसे भुला न पाए! उद्धवजी भी कैसे भूल पाएंगे कि भाजपा ने शिवसेना को समाप्त करने की कोशिश की. किस तरह का व्यवहार उनके साथ हुआ.

खैर, महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार पांच साल चलनी चाहिए. इसके लिए उन्हें बहुत से समझौते करने होंगे, बहुत सारा त्याग भी करना होगा. सरकार को बनाए रखने की बहुत बड़ी जिम्मेदारी उन पर है. तुलनात्मक दृष्टि से देखें तो ये चुनौतियां देवेंद्र फडणवीस के साथ नहीं थीं. देवेंद्रजी सीधे विधायक से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जरूर पहुंचे थे लेकिन उनके पास कार्यपालिका का अनुभव था. उन्होंने अपने कामकाज से अपने विचार स्पष्ट कर दिए थे. उनके कामकाज में किसी का हस्तक्षेप नहीं था, यहां तक कि दिल्ली का भी नहीं.
 
उद्धवजी के काम में भले ही दिल्ली का हस्तक्षेप न हो लेकिन गठबंधन के कारण बहुत से लोगों का हस्तक्षेप होगा. उनके साथ बड़े-बड़े खिलाड़ी हैं. इन सबसे तालमेल बिठाना कठिन होगा. मैं उन्हें यह भी कहना चाहता हूं कि बेवजह हस्तक्षेप पर काबू पाने के लिए उन्हें कुछ कठोर निर्णय भी लेने होंगे.

उन्हें यह भी ध्यान रखना होगा कि देवेंद्र फडणवीस के दौर में विकास के जो अच्छे काम शुरूहुए उन पर कोई आंच न आए. उम्मीद है उद्धवजी इन कार्यो को जरूर आगे बढ़ाएंगे. उद्धवजी से यह कहना चाहूंगा कि वे उद्योगों के विकास पर खास ध्यान दें ताकि प्रदेश में पूंजी का सृजन हो और रोजगार पैदा हों.

उद्धवजी की सफलता में मुङो कोई संदेह नहीं है क्योंकि वे शांत दिमाग से और सोच-समझकर निर्णय लेते हैं. वे हड़बड़ी नहीं दिखाते. यह उनकी सबसे बड़ी ताकत है. इसके साथ ही हर मोर्चे पर साथ देने के लिए उनके साथ हैं उनकी पत्नी रश्मि ठाकरे. अपने पति के साथ वे पहले दिन से ही कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. वे बहुत जागरूक और प्रतिभाशाली महिला हैं. शिवसेना को संभालने में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है. वे निश्चय ही उद्धव ठाकरे की बड़ी ताकत हैं. इसलिए उम्मीद करें कि हमारे नए मुख्यमंत्री सारी चुनौतियों का बखूबी सामना करेंगे और महाराष्ट्र को विकास के नए पथ पर ले जाएंगे.

और अंत में..

महिलाओं के साथ अपराध की रोकथाम के लिए न जाने कितने कानून हमने बना लिए लेकिन अभी भी हैवानियत रुकी नहीं है. हैदराबाद में एक युवा महिला चिकित्सक रेप के बाद जिंदा जला दी जाती है. झारखंड में कुछ गुंडे रिवाल्वर की नोंक पर एक लड़की के साथ गैंगरेप करते हैं. हर रोज देश के किसी न किसी हिस्से में ऐसी दर्दनाक घटनाएं हो रही हैं. आखिर हैवानियत का यह नंगा नाच कब तक चलता रहेगा? 

सबसे बड़ा सवाल है कि कानून का खौफ क्यों नहीं है? बलात्कार की घटनाओं पर कानून इतना सख्त होना चाहिए कि सुनवाई फास्टट्रैक कोर्ट में हो और फैसला आते ही अपराधी को फांसी पर लटका देना चाहिए.

Web Title: Vijay Darda blog: Maharashtra: Uddhav Thackeray done it brilliantly, but real test will be now

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