विजय दर्डा का ब्लॉग: कोरोना पर विजय के बाद बहुत कुछ बदल जाएगा

By विजय दर्डा | Published: April 20, 2020 06:57 AM2020-04-20T06:57:29+5:302020-04-20T07:24:22+5:30

कोरोना ने हेल्थ के मामले में जिस तरह भय का वातावरण बनाया है, उससे उम्मीद की जानी चाहिए कि हमारे देश में भी स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर और आम आदमी के बजट में होंगी. सरकारी अस्पतालों की स्थिति सुधरेगी. जिस तरह की स्वच्छता इंटेंसिव केयर यूनिट में रखी जाती है, उस तरह की स्वच्छता पूरे अस्पताल में रखी जाएगी. स्वच्छता को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य सरकारों ने पहले ही जंग छेड़ रखी है, आम आदमी पूरी शिद्दत से हर तरफ सफाई में सहयोगी बनेगा.

Vijay Darda blog: A lot will change after the victory over Coronavirus | विजय दर्डा का ब्लॉग: कोरोना पर विजय के बाद बहुत कुछ बदल जाएगा

विजय दर्डा का ब्लॉग: कोरोना पर विजय के बाद बहुत कुछ बदल जाएगा

बहुत पुरानी मान्यता है कि वक्त बहुत कुछ बदल देता है, लेकिन इतिहास गवाह है कि कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जो अकेले ही दुनिया को बदल डालती हैं या फिर दुनिया बदलने को मजबूर हो जाती है. इन घटनाओं का जनक इंसान हो या फिर प्रकृति, हकीकत यही है कि इसके बाद जिंदगी की प्राथमिकताएं बदल जाती हैं, जरूरतें बदल जाती हैं. नए क्षेत्र विकसित होने लगते हैं. तो कोरोना काल के बाद भी बहुत कुछ बदलने वाला है. ठीक उसी तरह जैसे 9/11 और 26/11 के बाद दुनिया में बहुत कुछ बदल गया.

11 सितंबर 2001 के पहले दुनिया में कहीं भी, किसी भी एयरपोर्ट पर सुरक्षा के इतने कड़े इंतजाम नहीं हुआ करते थे. सुरक्षा जांच के लिए न अत्याधुनिक मशीनों का इस्तेमाल होता था और न जांच के लिए लंबी कतार लगती थी. लेकिन 9/11 की घटना ने न केवल अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया के एविएशन सिस्टम को बदल कर रख दिया. हमले के ठीक बाद अमेरिका ने इस बात पर खुद को फोकस किया कि अब कोई ऐसी घटना न हो और इसके लिए ट्रांसपोर्टेशन सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन की स्थापना कर दी. सुरक्षा के और कड़े नए नियम निर्धारित किए गए. पूरी दुनिया ने इसे फॉलो किया.

अमेरिका के अलावा इजराइल, रूस, फ्रांस और चीन ने तो इस मामले में गजब की तरक्की की है. अब तो विमान यात्र के दौरान एयरपोर्ट पर आपके बैग में क्या है या किसी ने अपने शरीर में क्या छिपा रखा है, इसका पता मशीन लगा लेती है. यहां तक कि किसी बैग में रखे फाउंटेन पेन में इंक की जगह किसी ने यदि कोई पेस्ट या कोई अन्य द्रव भर रखा है तो वह बैग भी कतार से अलग हो जाएगी. अब तो कई देशों के कई हवाई जहाज इतने सक्षम हैं कि वे अपने ऊपर गिरने वाली बिजली को डिफ्यूज कर देते हैं. कई विमान ऐसे हैं जो मिसाइल हमले को भी नाकाम कर देते हैं.

9/11 का असर ये हुआ कि चौबीस घंटे के भीतर बड़ी-बड़ी कंपनियों ने सुरक्षा के जो भी इंतजाम हो सकते थे, वो किए. उसके बाद तो सिक्योरिटी इंडस्ट्री का अमेरिका में बूम आ गया. यह बढ़ती ही जा रही है. 2015 से 2019 के बीच सिक्योरिटी इंडस्ट्री की ग्रोथ रेट ढाई प्रतिशत से ज्यादा ही रही है.

अब जरा भारत की बात करते हैं. 26 नवंबर 2008 को मुंबई में आतंकी हमले ने हमें एहसास करा दिया कि चाकचौबंद आंतरिक सुरक्षा हमारी  सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए. हमारा खुफिया तंत्र बहुत मजबूत होना चाहिए. कुछ ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि सार्वजनिक स्थानों पर आने-जाने वालों पर नजर रखी जा सके. इसके बाद हमारे देश में जगह-जगह तेजी से क्लोज सर्किट कैमरे लगाए जाने का काम शुरू हुआ. बेहतर रिजॉल्यूशन वाले कैमरे और सुरक्षा के दूसरे उपकरणों के साथ नई-नई कंपनियां बाजार में उतरीं और आज यह इंडस्ट्री पूरे बूम पर है. ग्रोथ रेट करीब 20 से 25 प्रतिशत के बीच है. हर महीने 20 लाख कैमरे बिक रहे हैं.

भारत में 2017 में जहां सिक्योरिटी और सर्विलांस मार्केट 8200 करोड़ रु. का था, वहीं 2018 में यह 11000 करोड़  रु. का हो गया और उम्मीद की जा रही है कि इस साल यह मार्केट 20000 करोड़ रु. का हो जाएगा. लेकिन सुरक्षा मामलों में सबसे जबर्दस्त काम चीन ने किया है. वहां चप्पे-चप्पे पर कैमरे की नजर है. फेस डिटेक्शन टेक्नोलॉजी के माध्यम से अपने देश में हर व्यक्ति को वह ट्रैक कर रहा है.  

कहने का आशय यह है कि कोरोना के बाद एक बार फिर हमारी दुनिया बदलेगी. जरूरत के हिसाब से भारत तो और ज्यादा बदलेगा. कोरोना पर विजय पाने के बाद हेल्थ और हाइजीन हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता होगी. दुर्भाग्य देखिए कि भारत में वर्षो तक हेल्थ और हाइजीन हमारी प्राथमिकता में ही नहीं रहा. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि 2018 में हमारे देश में कुल जीडीपी का केवल 1.28 प्रतिशत हिस्सा ही स्वास्थ्य पर खर्च किया गया. इससे पहले तो यह आंकड़ा केवल एक प्रतिशत के आसपास था. आपको बता दें कि अमेरिका जैसा विकसित देश अभी भी हेल्थ पर अपने जीडीपी का 4.6 प्रतिशत खर्च करता है. अमेरिका का जीडीपी हमने बहुत ज्यादा है.  

कोरोना ने हेल्थ के मामले में जिस तरह भय का वातावरण बनाया है, उससे उम्मीद की जानी चाहिए कि हमारे देश में भी स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर और आम आदमी के बजट में होंगी. सरकारी अस्पतालों की स्थिति सुधरेगी. जिस तरह की स्वच्छता इंटेंसिव केयर यूनिट में रखी जाती है, उस तरह की स्वच्छता पूरे अस्पताल में रखी जाएगी. स्वच्छता को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य सरकारों ने पहले ही जंग छेड़ रखी है, आम आदमी पूरी शिद्दत से हर तरफ सफाई में सहयोगी बनेगा. निश्चित रूप से निजी और सार्वजनिक सफाई के प्रति चेतना बढ़ेगी. हाथ धोने की जो प्रवृत्ति अभी बढ़ी है, वह स्थायी हो जाएगी. स्वास्थ्य को लेकर सरकार नए दिशानिर्देश जारी करेगी कि अपने आवास और कार्यालय को कैसे

स्वास्थ्य के अनुकूल रखना है. क्या सावधानियां बरतनी हैं. हेल्थ और हाइजीन सेक्टर बड़ा औद्योगिक रूप ले लेगा. साबुन, सैनिटाइजर, मास्क और कुछ दवाइयों की खपत निश्चय ही बहुत बढ़ जाएगी.

कोरोना काल के बाद और भी बहुत कुछ बदलेगा. किचन और कैटरिंग का स्वरूप बदल जाएगा. हाइजीन पर सबसे ज्यादा ध्यान होगा. योग और व्यायाम की ओर लोग ज्यादा आकर्षित होंगे. शैक्षणिक संस्थाओं का स्वरूप भी बदलेगा. ऑनलाइन पढ़ाई की दिशा में हमारा देश भी आगे बढ़ेगा. विमान में यात्र के तरीके बदल सकते हैं. मास्क पहनने का प्रचलन बढ़ेगा. और हां, कुछ चीजें हमारी जिंदगी से बिल्कुल दरकिनार भी हो जाएंगी. अब लोग शायद ही एक दूसरे से हाथ मिलाएंगे. गले उसी से मिलेंगे जो बहुत करीबी होगा..! सलाम नमस्ते सलीका बन  जाएगा.

Web Title: Vijay Darda blog: A lot will change after the victory over Coronavirus

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे