वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कोरोना के कहर से ऐसे निपटें नेता
By वेद प्रताप वैदिक | Published: May 7, 2021 01:05 PM2021-05-07T13:05:16+5:302021-05-07T13:11:06+5:30
कोरोना संकट के बीच एक बड़ी मुश्किल ऑक्सीजन की किल्लत भी है. इस बीच में इसकी जमाखोरी और मनमाने दाम पर बेचने आदि की घटनाओं ने भी परेशानी को बढाया है।
दिल्ली के पास फरीदाबाद के विधायक नीरज शर्मा का एक वीडियो देखकर मैं दंग रह गया. नीरज ने बड़ी हिम्मत की और वे एक ऐसे गोदाम में घुस गए, जहां ऑक्सीजन के दर्जनों सिलेंडर रखे हुए थे. उन्हें देखते ही उस गोदाम के चौकीदार भाग खड़े हुए.
नीरज ने अपने वीडियो में यह सवाल उठाया है कि फरीदाबाद और गुड़गांव में लोग ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ रहे हैं और यहां इतने सिलेंडरों का भंडार कैसे जमा हुआ है?
हो सकता है कि ये सिलेंडर किसी ऑक्सीजन पैदा करनेवाली कंपनी के हों और किसी कालाबाजारी दलाल के न हों लेकिन नीरज शर्मा की पहल का परिणाम यह हुआ कि उस गोदाम के मालिक ने वे सिलेंडर तुरंत ही हरियाणा सरकार के एक अस्पताल को समर्पित कर दिए.
नीरज ने उस गोदाम पर छापा इसलिए मारा था कि उनके विधानसभा क्षेत्र के कई लोगों ने आकर शिकायत की थी कि उनके परिजन ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ रहे हैं और फलां जगह सिलेंडर का भंडार भरा हुआ है. यहां असली सवाल यह है कि हमारे देश के पंच, पार्षद, विधायक और सांसद नीरज शर्मा की तरह सक्रिय क्यों नहीं हो जाते?
कोरोना समस्या से निपटने के लिए सभी को आना होगा साथ
सारे राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं की संख्या लगभग 15 करोड़ है. यदि ये सब एक साथ जुट जाएं तो एक कार्यकर्ता को सिर्फ 14-15 लोगों की देखभाल करनी होगी. यानी अपने अड़ोस-पड़ोस के सिर्फ 3-4 घरों की जिम्मेदारी वे ले लें तो सारा देश सुरक्षित हो सकता है. वे मरीजों के लिए ऑक्सीजन, इंजेक्शन, पलंग और दवाई का पर्याप्त इंतजाम कर सकते हैं.
प्रशासनिक अधिकारी उनकी मांग पर अपेक्षाकृत जल्दी और ज्यादा ध्यान देंगे. आम लोगों का मनोबल भी अपने आप ऊंचा हो जाएगा.
लगभग इसी तरह का काम अलवर (राजस्थान) के एक विधायक संजय शर्मा ने किया है. उन्होंने कलेक्टर के दफ्तर पर धरना देकर मांग की है कि अलवर के अस्पतालों में ऑक्सीजन तुरंत पहुंचाई जाए. यदि हमारे जन-प्रतिनिधि सक्रिय हो जाएं तो कालाबाजारी पर भी तुरंत लगाम लग सकती है. हमारी सरकारें इस भयंकर अपराध पर सिर्फ जबानी जमा-खर्च कर रही हैं.
इस तरह के जनशत्रुओं को कैसे दंडित किया जाता है, यह मैंने अपनी आंखों से अफगानिस्तान में देखा है. अरब देशों में ऐसे नरपशुओं को सरेआम कोड़ों से पीटा जाता है, उनके हाथ काट दिए जाते हैं और उन्हें फांसी पर लटका दिया जाता है.
उनकी दुर्गति देखकर भावी अपराधियों की रूह कांपने लगती है. यदि हमारी सरकारें और पार्टियां इन जनशत्रुओं का इलाज तुरंत नहीं करेंगी तो उनके सारे इलाज नाकाम हो सकते हैं.