वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कांग्रेस के मोदी-विरोधी तेवर के खिलाफ पार्टी में उठती आवाज

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: August 26, 2019 07:11 AM2019-08-26T07:11:24+5:302019-08-26T07:11:24+5:30

कांग्रेस में इस तरह के मतभेद कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति के बारे में भी प्रकट हो रहे हैं. कुल मिलाकर इस प्रपंच को हम कांग्रेस का स्वाभाविक आंतरिक लोकतंत्न नहीं कह सकते हैं. इस पार्टी में यह खुलेआम असहमति या बगावत तब से प्रकट होने लगी है, जब से 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस बुरी तरह से हारी है.

Vedapratap Vedic's blog: Raising voice in the party against the anti-Modi stance of the Congress | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कांग्रेस के मोदी-विरोधी तेवर के खिलाफ पार्टी में उठती आवाज

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कांग्रेस के मोदी-विरोधी तेवर के खिलाफ पार्टी में उठती आवाज

कांग्रेस का मोदी-विरोध कैसे-कैसे रंग दिखा रहा है. कश्मीर के मुद्दे पर पहले से ही कई विपक्षी दल कांग्रेस का साथ नहीं दे रहे हैं. वे मौन हैं और कुछ सिर्फ मानव अधिकारों के हनन की बात कर रहे हैं. लेकिन अब जयराम रमेश, शशि थरूर और अभिषेक मनु सिंघवी जैसे वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने खुलेआम पार्टी की समग्र नीति पर प्रश्नचिह्न् लगा दिया है. इनके पहले जनार्दन द्विवेदी और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी कांग्रेस की कश्मीर-नीति पर अपनी असहमति जाहिर की थी. 

कांग्रेस में इस तरह के मतभेद कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति के बारे में भी प्रकट हो रहे हैं. कुल मिलाकर इस प्रपंच को हम कांग्रेस का स्वाभाविक आंतरिक लोकतंत्न नहीं कह सकते हैं. इस पार्टी में यह खुलेआम असहमति या बगावत तब से प्रकट होने लगी है, जब से 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस बुरी तरह से हारी है. यह असंभव नहीं कि कई प्रांतीय नेताओं की तरह अब कुछ केंद्रीय नेता भी भाजपा-प्रवेश के लिए अपनी राह बना रहे हों. दूसरे शब्दों में कांग्रेस नेताविहीन तो है ही, वह नीतिविहीन भी होती जा 
रही है. 

यदि कांग्रेस में आज दम होता तो वह मोदी सरकार को नोटबंदी, राफेल सौदा और जीएसटी जैसे मुद्दों पर घेर सकती थी. गिरती हुई अर्थव्यवस्था को भी मुद्दा बना सकती थी. लेकिन उसने अपनी साख इतनी गिरा ली है कि उसकी सही बातें भी जनता के गले नहीं उतरती हैं. वे तर्क-संगत नहीं लगती हैं. उसका कारण क्या है? यह कारण ही जयराम रमेश, शशि थरूर और अभिषेक मनु सिंघवी ने खोज निकाला है. उनका यह कहना बिल्कुल सही है कि मोदी की उचित नीतियों को भी गलत बताना और उन पर सदा दुर्वासा-दृष्टि ताने रखना- यही कारण है, जिसके चलते कांग्रेस की बातों पर से अधिकांश लोगों का भरोसा उठ सा गया है. 

भाजपा की उज्ज्वला योजना, स्वच्छता अभियान, बालाकोट, वीआईपी कल्चर-विरोध, धारा 370 और 35-ए का खात्मा, वित्तीय सुधार की ताजा घोषणा जैसे कामों का स्वागत करने की बजाय कांग्रेस ने उनकी खिल्ली उड़ाई है. कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ और पढ़े-लिखे नेताओं ने इस तेवर को रद्द किया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं द्वारा खुलेआम ऐसा रवैया अपनाना भारतीय लोकतंत्न के उत्तम स्वास्थ्य का परिचायक है. यह हमें उस नेहरू-युग की याद दिलाता है, जब सेठ गोविंददास पं. जवाहरलाल नेहरू की हिंदी नीति और महावीर त्यागी उनकी चीन-नीति की खुलेआम आलोचना करते थे. 
यह लोकतांत्रिक धारा अकेली कांग्रेस में ही नहीं, सभी पार्टियों में प्रबल होनी चाहिए, खास तौर से हमारी प्रांतीय पार्टियों में, जो प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों जैसी बन चुकी हैं. 

Web Title: Vedapratap Vedic's blog: Raising voice in the party against the anti-Modi stance of the Congress

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