वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: अब तो सीखें कोरोना से सबक

By वेद प्रताप वैदिक | Published: May 5, 2021 03:01 PM2021-05-05T15:01:54+5:302021-05-05T15:03:30+5:30

भारत में कोरोना का कहर अभी थमता नजर नहीं आ रहा है. साथ ही ये भी अनुमान लगाना मुश्किल हो रहा है कि कब इस मुश्किल से देश को लोंगों को निजात मिलेगी.

Vedapratap Vedic's blog: India need to learn lesson from Corona | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: अब तो सीखें कोरोना से सबक

भारत में कब थमेगी कोरोना की रफ्तार (फाइल फोटो)

पांच राज्यों के चुनाव परिणामों के बाद आशा थी कि सरकार, संचार माध्यमों और जनता का ध्यान पूरी तरह से कोरोना को काबू करने पर लगेगा लेकिन अभी भी हताहतों के जो आंकड़े आ रहे हैं, वे दुखद और निराशाजनक हैं. यह ठीक है कि जगह-जगह तालाबंदी होने से मरीजों की संख्या में थोड़ी कमी बताई जा रही है लेकिन वह कितनी सही है, कुछ पता नहीं. 

हजारों-लाखों लोग तो ऐसे हैं, जिन्हें पता ही नहीं चल रहा है कि वे संक्रमित हुए हैं या नहीं. वे डर के मारे डॉक्टरों के पास ही नहीं जा रहे हैं. ज्यादातर लोगों के पास पैसे ही नहीं हैं कि वे डॉक्टरों की हजारों रु. की फीस भर सकें. अस्पतालों में उनके भर्ती होने का सवाल ही नहीं उठता.

अस्पतालों का हाल यह है कि सेवानिवृत्त राजदूत, जाने-माने फिल्मी सितारे और नेताओं के रिश्तेदार तक अस्पताल में भर्ती होने के इंतजार में दम तोड़ रहे हैं. जो लोग अपने रसूख के दम पर किसी अस्पताल में पलंग पा जाते हैं, वे भी कराह रहे हैं. जो लोग महलनुमा बंगलों में रहने के आदी हैं और घर से बाहर वे पांच-सितारा होटलों में ही रुकते हैं, ऐसे लोग या तो कई मरीजोंवाले कमरों में पड़े हुए हैं या अस्पताल के बरामदे में लेटे हुए हैं. 

कई लोग भर्ती नहीं हो पाते तो वे अपनी कार या ठेले पर पड़े-पड़े ऑक्सीजन लेकर अपनी जान बचा रहे हैं. लेकिन अफसोस है कि परेशानी के इस माहौल में हमारे देश में ऐसे नरपशु भी हैं, जो दवा और इंजेक्शनों की कालाबाजारी बड़ी बेशर्मी से कर रहे हैं. पिछले 15-20 दिनों में ऐसी खबरें रोज आ रही हैं. 

लोग ऑक्सीजन की कमी से कई शहरों में रोज मर रहे हैं और उसके सिलेंडरों की सरेआम कालाबाजारी हो रही है. मेरी समझ में नहीं आता कि हमारी अदालतें और सरकारें क्या कर रही हैं? वे विशेष अध्यादेश के जरिए इन लोगों को फांसी पर तुरंत क्यों नहीं लटकातीं?

मुझे अमेरिका, चीन, यूरोप, जापान आदि देशों में बसे भारतीय मित्रों ने बताया कि वे करोड़ों रु. इकट्ठा करके सैकड़ों ऑक्सीजन-यंत्र और इंजेक्शन भेज रहे हैं, हमारे उद्योगपतियों ने अपने कारखानों की ऑक्सीजन अस्पतालों के लिए खोल दी है और सरकार दावा कर रही है कि ऑक्सीजन की कमी नहीं है, फिर भी देश के अस्पतालों में अफरातफरी क्यों मची हुई है? 

अब यह कोरोना शहरों से निकलकर गांवों तक पहुंच गया है और मध्यम व निम्न वर्ग में भी उसकी घुसपैठ हो गई है. जिन लोगों के पास खाने को पर्याप्त रोटी भी नहीं है, उनके इलाज का इंतजाम मुफ्त में क्यों नहीं होता और तुरंत क्यों नहीं होता? देश के करोड़ों समर्थ लोग आगे क्यों नहीं आ रहे हैं? क्या कोरोना से उन्होंने कोई सबक नहीं सीखा? सब यहीं धरा रह जाएगा. खाली हाथ ही ऊपर जाना होगा.

Web Title: Vedapratap Vedic's blog: India need to learn lesson from Corona

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