वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः लुभावने बजट में गलत क्या है?
By वेद प्रताप वैदिक | Published: February 3, 2019 01:03 PM2019-02-03T13:03:55+5:302019-02-03T13:03:55+5:30
विपक्ष का यह कहना कि यह चुनावी बजट है, बिल्कुल ठीक है. यदि इस मौके को मोदी सरकार नहीं भुनाती तो क्या करती?
कल शुक्रवार को जो बजट वित्त मंत्नी पीयूष गोयल ने पेश किया, उसने विपक्ष की हवा निकाल दी थी. उनकी बोलती बंद कर दी थी. अब वे यह आलोचना कर रहे हैं कि पीयूष गोयल ने तीन-चार महीने के सरकारी खर्च की अनुमति संसद से लेने के बजाय पूरे साल भर का बजट पेश कर दिया. तीन-चार महीने बाद पता नहीं कौन सी सरकार बनेगी और फिर उसे इस सरकार का बोझ ढोना पड़ेगा.
तर्क की दृष्टि से यह बात ठीक है लेकिन वर्तमान बजट में ऐसी कोई भी आपत्तिजनक बात दिखाई नहीं पड़ती, जो देश के लिए हानिकारक हो. हां यह ठीक है कि नागरिकों को जो रियायतें दी गई हैं, उनसे सरकार का घाटा 3.3 प्रतिशत से बढ़कर 3.4 प्रतिशत हो जाएगा. यानी अरबों रु. बढ़ जाएगा. लेकिन कांग्रेस राज में यह 2.7 से कूदकर 5.8 प्रतिशत हो गया था.
विपक्ष का यह कहना कि यह चुनावी बजट है, बिल्कुल ठीक है. यदि इस मौके को मोदी सरकार नहीं भुनाती तो क्या करती? राम मंदिर का मसला अभी अधर में लटका हुआ है. पांच लाख रु. तक की आय पर टैक्स की रियायत देकर लगभग तीन करोड़ लोगों को और किसानों को 6000 रु. सालाना देकर, 14 करोड़ परिवारों और 42 करोड़ मजदूरों को (जिनकी आय 15000 रुपए तक है) पेंशन देने का प्रावधान करके यदि यह सरकार अपने वोट बढ़ाना चाहती है तो इसमें गलत क्या है? सभी दल वोट बढ़ाने के लिए तरह-तरह के पैंतरे अपनाते हैं. क्या कांग्रेस ने हर नागरिक को न्यूनतम आय का सपना नहीं दिखाया है?
दोनों प्रमुख पार्टियां नागरिकों को सब्जबाग दिखाती हैं, ये बात दूसरी है कि ऐन चुनावों के वक्त दी गई इन रियायतों को जनता रिश्वत के रूप में लेगी या उत्तम नीतियों के रूप में? यह तो किसान ही बता सकता है कि उसके परिवार में प्रति व्यक्ति मिलने वाले तीन-साढ़े तीन रुपए रोज में वह क्या करेगा? किसी किसान को 3 रुपए रोज देने को क्या हम किसान सम्मान राशि कह सकते हैं? उसे कुछ देना ही था तो उसे तेलंगाना और ओडिशा जैसी योजना देते.