वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: यह गोरक्षा है या राष्ट्रीय कलंक?
By वेद प्रताप वैदिक | Published: December 5, 2018 07:35 AM2018-12-05T07:35:32+5:302018-12-05T07:35:32+5:30
मैं पूछता हूं, ये दोनों कौन थे? क्या ये गो-हत्यारे थे? क्या इन पर भीड़ को गोहत्या का शक था? क्या इनकी हत्या से जो गायें मरी हैं, वे वापस जीवित हो जाएंगी?
गोरक्षा के नाम पर बुलंदशहर में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और सुमित नामक नौजवान की हत्या राष्ट्रीय कलंक है। बुलंदशहर के महाव नामक गांव में कुछ पशुओं के कंकाल देखकर ‘गोप्रेमियों’ ने तोड़-फोड़ शुरू कर दी और सारे रास्ते रोक दिए। जब पुलिस ने उन्हें समझाने की कोशिश की तो उन्होंने थाने में आग लगा दी, कई मकानों-दुकानों और कारों को फूंक दिया और इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी। साथ में सुमित भी मारा गया।
मैं पूछता हूं, ये दोनों कौन थे? क्या ये गो-हत्यारे थे? क्या इन पर भीड़ को गोहत्या का शक था? क्या इनकी हत्या से जो गायें मरी हैं, वे वापस जीवित हो जाएंगी? जो कंकाल उन्होंने किसी ट्रक में देखे थे, उन्हें क्या पता कि वे गायों के ही थे, किन्हीं और जानवरों के नहीं थे? सिर्फ अंधविश्वास और अफवाह के आधार पर भीड़ हिंसा पर उतर आए, यह तो वहशीपन है। इतना घृणित काम करनेवाले लोग अपने आप को हिंदुओं का नेता कैसे कह सकते हैं।
जो सच्चा हिंदू है, वह हिंसा क्यों करेगा? हिंसा तो अष्टांग योग का सबसे पहला उल्लंघन है। और उससे भी बड़ा सवाल यह है कि एक पशु और एक मनुष्य में कोई फर्कहै या नहीं? यदि किसी मनुष्य ने स्वार्थवश या अज्ञानवश किसी पशु की हत्या कर दी तो क्या उसके बदले आप उस इंसान की हत्या कर देंगे? कानून में गोहत्या निषेध है। गोहत्यारे को कानून सजा देता है, लेकिन उसकी हत्या नहीं करता है।
आप उसकी हत्या करके कानून को अपने हाथ में ले लेते हैं तो आपसे बड़ा अपराधी कौन है? यह अच्छी बात है कि गोवध-निषेध कानून के बारे में लोग-बाग इतने जागरूक हैं। हर कानून के बारे में उनको सजग होना चाहिए लेकिन जिस तरह से वे हत्या कर देते हैं, उससे कानून की धज्जियां उड़ जाती हैं। ऐसी भीड़ को सामूहिक सजा मिलनी चाहिए। गोरक्षा के नाम पर मानव-हत्या का समर्थन न तो केंद्र सरकार कर सकती है, न उत्तर प्रदेश सरकार, न भाजपा और न ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ!