वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: अल्पसंख्यक की परिभाषा क्या हो?

By वेद प्रताप वैदिक | Published: July 22, 2019 10:47 AM2019-07-22T10:47:12+5:302019-07-22T10:47:12+5:30

1992 के अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम में मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी- इन पांच समुदायों को मजहब के आधार पर अल्पसंख्यकों का दर्जा दिया गया था. इन पांचों को ही क्यों, अन्य 50 को क्यों नहीं? मजहब के नाम पर 1947 में यह मुल्क टूटा और उसी आधार को आपने फिर जिंदा कर दिया.

Ved Pratap Vaidik blog: What is the definition of minority? | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: अल्पसंख्यक की परिभाषा क्या हो?

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (Image Source: pixabay)

सर्वोच्च न्यायालय के सामने एक बड़ी मजेदार याचिका आई है. इस याचिका में अश्विनी उपाध्याय ने तर्क दिया है कि भारत में अल्पसंख्यक की परिभाषा बदली जाए. किसी भी मजहब के आदमी को अल्पसंख्यक घोषित करते समय उसके संप्रदाय के लोगों की संख्या का हिसाब राष्ट्रीय नहीं, प्रांतीय आधार पर किया जाए. यानी पूरे भारत की जनसंख्या में सिख अल्पसंख्यक हैं लेकिन पंजाब में वे बहुसंख्यक हैं.

इसी तरह कश्मीर में मुसलमान बहुसंख्यक हैं लेकिन सारे भारत में उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा मिला हुआ है. ईसाई मिजोरम, मेघालय और नगालैंड में बहुसंख्यक हैं लेकिन अखिल भारतीय स्तर पर वे अल्पसंख्यक हैं. 

अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए अल्पसंख्यक आयोग बना हुआ है. उन्हें विशेष सुविधाएं उन प्रांतों में भी मिलती हैं, जहां वे बहुसंख्यक हैं. जिन राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं, उन्हें वहां अल्पसंख्यकों की सुविधाएं नहीं मिलतीं. क्यों नहीं मिलतीं ?

1992 के अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम में मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसी- इन पांच समुदायों को मजहब के आधार पर अल्पसंख्यकों का दर्जा दिया गया था. इन पांचों को ही क्यों, अन्य 50 को क्यों नहीं? मजहब के नाम पर 1947 में यह मुल्क टूटा और उसी आधार को आपने फिर जिंदा कर दिया.

यदि भाजपा सचमुच राष्ट्रवादी पार्टी है तो उसे अल्पसंख्यकता के इस छलावे को तुरंत ध्वस्त करना चाहिए. भारत की जनता की मजहबी पहचान को आपने इतनी अधिक सरकारी मान्यता दे दी है कि अंतरधार्मिक शादियां आसानी से नहीं हो पातीं.

सच्चे लोकतंत्न और सच्चे राष्ट्रवाद के लिए यह निहायत जरूरी है कि आम नागरिकों की मजहबी और जातीय पहचान अत्यंत व्यक्तिगत रहे. उसका सार्वजनिक और राजनीतिक रूप हो ही नहीं. किसी की वेशभूषा और नाम उसकी जातीय या मजहबी पहचान प्रकट करते हों तो उस पहचान को हतोत्साहित किया जाना चाहिए.

Web Title: Ved Pratap Vaidik blog: What is the definition of minority?

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