वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कश्मीर में संवाद का रास्ता खुला

By वेद प्रताप वैदिक | Published: March 18, 2020 12:20 PM2020-03-18T12:20:33+5:302020-03-18T12:20:33+5:30

फारूक ने रिहा होने के बाद कोई भी उत्तेजक बयान नहीं दिया है बल्कि उन्होंने सभी कश्मीरी नेताओं को रिहा करने की मांग की है ताकि कश्मीर के पूर्ण विलय पर सबके बीच सार्थक संवाद हो सके. यह संवाद जम्मू-कश्मीर की अपनी पार्टी ने शुरू भी कर दिया है.

Ved Pratap Vaidik blog: The path of dialogue opened in Kashmir | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कश्मीर में संवाद का रास्ता खुला

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अबदुल्ला। (फाइल फोटो)

कश्मीर के सवाल पर इधर कुछ अच्छी घटनाएं हो रही हैं. शेख अब्दुल्ला के बेटे और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्नी डॉ. फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी से रिहाई और जम्मू-कश्मीर की अपनी पार्टी के नेताओं की नरेंद्र मोदी और अमित शाह से हुई भेंटों से एक नए अध्याय का सूत्नपात हो रहा है.

फारूक अब्दुल्ला के अलावा भी कई कश्मीरी नेताओं को अब तक रिहा किया गया है लेकिन उनकी रिहाई का खास महत्व है. तीन गिरफ्तार मुख्यमंत्रियों में वे सबसे वरिष्ठ हैं. वे आतंकवादियों के प्रति सख्त रहे थे. राज्य के विकास में उनका योगदान उल्लेखनीय रहा है.

उनकी रिहाई को लेकर एक निराधार अफवाह यह भी चल रही है कि उनके दामाद और राजस्थान कांग्रेस के नेता सचिन पायलट को भाजपा तोड़ने पर आमादा है. राजस्थान की सरकार को वह म.प्र. की सरकार की तरह डावांडोल करना चाहती है. लेकिन सच्चाई तो यह है कि फारूक की रिहाई से अब सरकार का कश्मीरियों से सीधा संवाद हो सकेगा.

फारूक ने रिहा होने के बाद कोई भी उत्तेजक बयान नहीं दिया है बल्कि उन्होंने सभी कश्मीरी नेताओं को रिहा करने की मांग की है ताकि कश्मीर के पूर्ण विलय पर सबके बीच सार्थक संवाद हो सके. यह संवाद जम्मू-कश्मीर की अपनी पार्टी ने शुरू भी कर दिया है.

उसके प्रतिनिधिमंडल ने पहले प्रधानमंत्नी और अब गृह मंत्नी के साथ लंबी बातचीत की है. दोनों नेताओं ने उन्हें आश्वस्त किया है कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा शीघ्र ही बहाल किया जाएगा और अगले चार साल में जम्मू-कश्मीर को पिछले 70 साल में मिले 1300 करोड़ रु. से तीन गुना ज्यादा सहायता मिलेगी.

दोनों नेताओं ने यह भी दोहराया कि जम्मू-कश्मीर में नौकरियों और जमीन पर बाहरी लोगों का कब्जा नहीं होने दिया जाएगा. पिछले सात माह से चले आ रहे प्रतिबंधों में अब काफी छूट शुरू हो गई है. मेरा खुद यह ख्याल है कि यदि ये प्रतिबंध नहीं लगाए जाते तो पता नहीं कश्मीर में कितनी हिंसा और प्रतिहिंसा होती. बेहतर हो कि डॉ. फारूक अब्दुल्ला की तरह अन्य नेताओं को भी शीघ्र रिहा किया जाए और उनके साथ सार्थक संवाद शुरू किया जाए.

Web Title: Ved Pratap Vaidik blog: The path of dialogue opened in Kashmir

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