वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: पेट्रोल-डीजल की कीमतों से परेशान होती जनता

By वेद प्रताप वैदिक | Published: June 15, 2021 01:43 PM2021-06-15T13:43:14+5:302021-06-15T13:44:47+5:30

इस समय देश के छह राज्यों में पेट्रोल की कीमत 100 रु. से ऊपर पहुंच गई है. राजस्थान के गंगानगर में यही पेट्रोल 110 रु. तक चला गया है.

Ved Pratap Vaidik blog People getting upset increasing prices of petrol and diesel | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: पेट्रोल-डीजल की कीमतों से परेशान होती जनता

देश में पेट्रोल-डीजल के तेजी से बढ़ते दाम (फाइल फोटो)

पेट्रोल और डीजल के दाम इन दिनों जितने बढ़े हुए हैं, पहले कभी नहीं बढ़े. वे जिस रफ्तार से बढ़ रहे हैं, यदि उसी रफ्तार से बढ़ते रहे तो देश की कारें, बसें, ट्रैक्टर, ट्रक खड़े-खड़े जंग खाने लगेंगे. देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो जाएगी. महंगाई आसमान छूने लगेगी. 

देश में विरोधी दल इस बारे में कुछ आवाज जरूर उठा रहे हैं लेकिन उनकी आवाज का असर नक्कारखाने में तूती की तरह डूबता जा रहा है. कोरोना महामारी ने इतनी जोर का डंका बजा रखा है कि इस वक्त कोई भी कितना ही चिल्लाए, उसकी आवाज कोई कंपन पैदा नहीं कर पा रही है.

इस समय देश के छह राज्यों में पेट्रोल की कीमत 100 रु. से ऊपर पहुंच गई है. राजस्थान के गंगानगर में यही पेट्रोल 110 रु. तक चला गया है. पिछले सवा महीने में पेट्रोल की कीमतों में 22 बार बढ़ोत्तरी हो चुकी है. उसकी कीमत को बूंद-बूंद करके बढ़ाया जाता है. 

दूसरे शब्दों में चांटा मारने की बजाय चपत लगाई जाती है. सरकार ने इधर किसानों को राहत देने के लिए उनकी फसलों के न्यूनतम खरीद मूल्य को बढ़ा दिया है. यह अच्छा किया है लेकिन कितना बढ़ाया है? एक से छह प्रतिशत तक! जबकि पेट्रोल की कीमतें एक साल में लगभग 35 प्रतिशत और डीजल की 25 प्रतिशत बढ़ चुकी हैं. 

खेती-किसानी की हर चीज पर बढ़े टैक्स के इस दौर में तेल की कीमत का बढ़ना कोढ़ में खाज का काम करेगा. आज के युग में पेट्रोल और डीजल के बिना आवागमन और यातायात की कल्पना नहीं की जा सकती. 
भारत के एक कोने में पैदा होनेवाला माल दूसरे कोने में बिकता है यानी उसे दो से तीन हजार किलोमीटर तक सफर करना पड़ता है. अब तो हाल यह होगा कि किसी चीज की मूल कीमत से ज्यादा कीमत उसके परिवहन की हो जाया करेगी. दूसरे शब्दों में महंगाई आसमन छूने लगेगी.

यह ठीक है कि सरकार को कोरोना से निपटने पर मोटा खर्च करना पड़ रहा है लेकिन उस खर्च की भरपाई क्या जनता की खाल उधेड़ने से ही होगी? मनमोहन सिंह की कांग्रेसी सरकार पेट्रोल पर लगभग 9 रु. प्रति लीटर कर वसूलती थी, जो भाजपा के राज में बढ़कर 32 रु. हो गया है. 

सरकार ने इस साल पेट्रोल-डीजल पर टैक्स के तौर पर 2.74 लाख करोड़ रु. वसूले हैं. इतने मोटे पैसे से कोरोना का इलाज पूरी तरह से मुफ्त हो सकता था. आज से सात-आठ साल पहले अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल की कीमत प्रति बैरल 110 डॉलर थी जबकि आज वह सिर्फ 70 डॉलर है. 

इसके बावजूद इन आसमान छूती कीमतों ने पेट्रोल और डीजल को भारत में जनता का सिरदर्द बना दिया है. सरकार जरा संवेदनशील होती तो अपनी फिजूलखर्ची में जबर्दस्त कमी करती और पेट्रोल पहले से भी ज्यादा सस्ता कर देती ताकि लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था दौड़ने लगे.

Web Title: Ved Pratap Vaidik blog People getting upset increasing prices of petrol and diesel

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे