वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: ..ताकि किसी को शिकायत न रहे
By वेद प्रताप वैदिक | Published: February 7, 2020 07:23 AM2020-02-07T07:23:31+5:302020-02-07T07:23:31+5:30
भाजपा की सरकार अपने मन ही मन खुश हो सकती है कि उसने देश के हिंदुओं की मुराद पूरी कर दी लेकिन मैं पूछता हूं कि किसी भी लोकतांत्रिक सरकार का कर्तव्य क्या है? उसका काम वही है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते-कहते नहीं थकते यानी सबका साथ, सबका विश्वास!
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए सरकार ने न्यास की घोषणा कर दी है और पांच एकड़ जमीन 25 किलोमीटर दूर मस्जिद के लिए तय कर दी है. सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को लागू करके सरकार ने अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ
ली है.
मंदिर तो बन ही जाएगा. संघ और भाजपा की मुराद तो पूरी हो ही जाएगी. मुस्लिम संगठनों और नेताओं में से आज तक किसी ने भी सरकारी घोषणा का स्वागत नहीं किया है. जिस सुन्नी वक्फ बोर्ड को यह 5 एकड़ जमीन दी गई है, उसके पदाधिकारी भी नहीं जानते कि बोर्ड जमीन स्वीकार करेगा या नहीं.
दूसरे शब्दों में अदालत का फैसला लागू तो हो रहा है लेकिन डर है कि वह अधूरा ही लागू होगा. इसके लिए क्या अदालत जिम्मेदार है? नहीं, इसकी जिम्मेदारी उसकी है, जिसने उस पांच एकड़ जमीन की घोषणा की है. वह कौन है? वह सरकार है.
भाजपा की सरकार अपने मन ही मन खुश हो सकती है कि उसने देश के हिंदुओं की मुराद पूरी कर दी लेकिन मैं पूछता हूं कि किसी भी लोकतांत्रिक सरकार का कर्तव्य क्या है? उसका काम वही है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते-कहते नहीं थकते यानी सबका साथ, सबका विश्वास!
मैं तो कई वर्षो से कह रहा हूं कि यह मंदिर-मस्जिद का मामला अदालत के बजाय सरकार, नेताओं और धर्मगुरुओं को आपसी संवाद से मिलकर हल करना चाहिए ताकि किसी को कोई शिकायत नहीं रहे.
चंद्रशेखर और नरसिंहराव के काल में इस तरह के कई अप्रचारित संवाद हुए थे. उसी पृष्ठभूमि के आधार पर 1993 में नरसिंहराव ने 67 एकड़ जमीन इसीलिए अधिगृहीत की थी कि वहां भव्य राम मंदिर के साथ ही सभी प्रमुख धर्मो के तीर्थ-स्थल बनें. राम की अयोध्या विश्व तीर्थ बने. सर्वधर्म सद्भाव की वह मिसाल बने.