वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कोरोना से लड़ाई में कई बातों का रखना होगा ध्यान

By वेद प्रताप वैदिक | Published: May 1, 2020 10:08 AM2020-05-01T10:08:21+5:302020-05-01T10:08:21+5:30

आयुर्वेदिक नुस्खों का सम्मानपूर्ण उल्लेख मोदी ने जरूर किया लेकिन उस पर जोर नहीं दिया. इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्नी, आयुष मंत्नी और उनके अफसरों से मेरी बात बराबर हो रही है लेकिन उन्होंने बहुत देर कर दी है. 1994 में जब सूरत में प्लेग फैला तो  गुजरात के मुख्यमंत्नी छबीलदास मेहता ने काढ़े और हवन-सामग्री के लाखों पूड़े बंटवाए थे.

Ved Pratap Vaidik blog: Many things have to be kept in mind in fight against Coronavirus | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कोरोना से लड़ाई में कई बातों का रखना होगा ध्यान

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

पिछले एक माह से मैं निरंतर याद दिला रहा हूं, चार बातों की. एक, तब्लीगी मौलाना साद की गैर-जिम्मेदाराना हरकत के लिए देश के सारे मुसलमानों पर तोहमत नहीं लगाई जानी चाहिए. दूसरी, विषाणु से लड़ने में हमारे आयुर्वेदिक (हकीमी भी) घरेलू नुस्खों का प्रचार किया जाए और घर-घर में भेषज-होम (हवन) किया जाए. तीसरी, जो लोग, खास तौर से प्रवासी मजदूर अभी तक अधर में लटके हुए हैं, उनकी घर वापसी का इंतजाम हमारी केंद्र और राज्यों की सरकारें करें. चौथी बात, कोरोना की लड़ाई में अंग्रेजी के अटपटे शब्दों के बजाय हिंदी के सरल शब्दों का प्रयोग किया जाए.

मुझे खुशी है कि इन चारों बातों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया मोहन भागवत और प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने अब दो-टूक शब्दों में दोहराया है. कोई बात नहीं, देर आयद, दुरुस्त आयद!

यदि इन बातों पर महीने भर पहले से ही अमल शुरू हो जाता तो भारत में कोरोना उतना भी नहीं फैलता, जितना कि वह अभी थोड़ा-बहुत फैला है.

देश के 101 अफसर बुद्धिजीवियों ने घुमा-फिराकर मीडिया, भाजपा और सरकार पर तब्लीगी जमात को लेकर सांप्रदायिकता फैलाने का आरोप लगाया है. यह आरोप निराधार था लेकिन अब भागवत के बयान के बाद उनकी गलतफहमी दूर हो जानी चाहिए.

कुछ टीवी चैनलों को संयम बरतने की बात तो मैं पहले ही कह चुका हूं. मोदी ने भी अपनी ‘मन की बात’ में मुसलमानों के लिए अपनी बात बहुत अच्छे ढंग से कही है. उन्होंने कहा है कि रमजान के दिनों में इस बार घर में रहो और अल्लाह की इबादत जरा ज्यादा करो.

आयुर्वेदिक नुस्खों का सम्मानपूर्ण उल्लेख मोदी ने जरूर किया लेकिन उस पर जोर नहीं दिया. इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्नी, आयुष मंत्नी और उनके अफसरों से मेरी बात बराबर हो रही है लेकिन उन्होंने बहुत देर कर दी है. 1994 में जब सूरत में प्लेग फैला तो  गुजरात के मुख्यमंत्नी छबीलदास मेहता ने काढ़े और हवन-सामग्री के लाखों पूड़े बंटवाए थे.

Web Title: Ved Pratap Vaidik blog: Many things have to be kept in mind in fight against Coronavirus

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