वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: मालदीव में भारत की विजय
By वेद प्रताप वैदिक | Published: April 9, 2019 07:24 AM2019-04-09T07:24:12+5:302019-04-09T07:24:12+5:30
हजारों भारतीय नौकरियां छोड़कर भागने लगे. भ्रष्टाचार चरम सीमा पर पहुंच गया. तभी सितंबर 2018 में राष्ट्रपति के चुनाव में इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने यामीन को हरा दिया.
मालदीव में मोहम्मद नशीद की पार्टी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रचंड विजय वास्तव में भारत की विजय है. नशीद भारत के मित्न रहे हैं लेकिन उन्हें 2012 में राष्ट्रपति पद छोड़ना पड़ा था. वे 2008 में राष्ट्रपति चुने गए थे लेकिन उनके खिलाफ फौज व न्यायाधीशों ने मिल तख्ता-पलट की कार्रवाई कर दी थी. 2013 में अब्दुल्ला यामीन राष्ट्रपति चुने गए. उन्होंने और अदालत ने मिलकर 2015 में नशीद को 13 साल की सजा सुनाई. नशीद इलाज के लिए ब्रिटेन और श्रीलंका में रहने लगे. इस बीच भारत भी आए.
नशीद ने 2008 में 30 साल तक राज करनेवाले मामून अब्दुल गय्यूम को हराकर राष्ट्रपति पद हासिल किया था. गय्यूम और यामीन सौतेले भाई हैं लेकिन यामीन इतने भारत-विरोधी हो गए थे कि उन्होंने गय्यूम जैसे भारतप्रेमियों को या तो जेल में डाल दिया या मालदीव से भागने के लिए मजबूर कर दिया. गय्यूम जब भारत आए तो मुझसे मिले थे. 1988 में उनके तख्ता-पलट की जब कोशिश हुई थी, तब भारत ने उनकी मदद की थी. वे भारत के बहुत आभारी हैं लेकिन अपने पांच साल के राज में यामीन ने पूरे मालदीव को चीने के हाथों गिरवी रख दिया.
चीन से मालदीव ने 9 हजार करोड़ रु. का कर्ज ले लिया. अपने 16 द्वीप चीन को सौंप दिए. चीन के पर्यटकों की संख्या कई गुना हो गई. मालदीव का पर्यटन उद्योग भी भारतीयों के हाथों से निकलकर चीन की जेब में चला गया. माले हवाई अड्डे का निर्माण-कार्य भारत से छीनकर चीन को दे दिया गया. चीनी और मालदीवी नेताओं की परस्पर यात्नाएं शुरू होने लगीं. भारतीय प्रधानमंत्नी अब तक मालदीव नहीं जा सके.
हजारों भारतीय नौकरियां छोड़कर भागने लगे. भ्रष्टाचार चरम सीमा पर पहुंच गया. तभी सितंबर 2018 में राष्ट्रपति के चुनाव में इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने यामीन को हरा दिया. सोलिह नशीद की एमडीपी पार्टी के ही उम्मीदवार थे. अब संसद में दो-तिहाई बहुमत मिल जाने पर इस पार्टी के अध्यक्ष नशीद ही वास्तव में मालदीव के शासक होंगे.