वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: यूक्रेन मुद्दे पर भारत की ठोस भूमिका

By वेद प्रताप वैदिक | Published: April 7, 2022 11:33 AM2022-04-07T11:33:33+5:302022-04-07T11:35:44+5:30

भारत ने बूचा को बूचड़खाना बनाने का जो विरोध किया, वह ठीक है. भारत की आलोचना का शायद रूस पर कोई असर न पड़े लेकिन भारत की तटस्थता को अब दुनिया के राष्ट्र भारत का गूंगापन नहीं समझेंगे.

Ved pratap Vaidik blog: India's role on Russia Ukraine crisis | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: यूक्रेन मुद्दे पर भारत की ठोस भूमिका

यूक्रेन मुद्दे पर भारत की ठोस भूमिका (फाइल फोटो)

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हमारे प्रतिनिधि टी.एस. तिरुमूर्ति ने यूक्रेन के बारे में जो बयान दिया है, वह विश्व राजनीति में भारत की छवि को तो बेहतर बनाएगा ही, रूस को भी अपनी पशुता से बाज आने के लिए शायद प्रेरित कर दे. तिरुमूर्ति ने यूक्रेन के शहर बूचा में हुए नरसंहार की दोटूक शब्दों में भर्त्सना की है. उन्होंने मांग की है कि इस नरसंहार की जांच की जानी चाहिए और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए. 

उन्होंने नरसंहार करने वाले रूस का नाम नहीं लिया. यह सावधानी उन्होंने जरूर बरती लेकिन यह स्पष्ट है कि उन्होंने रूसी फौज के अत्याचार की उतनी ही सख्त आलोचना की है, जितनी अमेरिका और यूरोपीय देश कर रहे हैं.

भारत की इस आलोचना का शायद रूस पर कोई असर न पड़े लेकिन भारत की तटस्थता को अब दुनिया के राष्ट्र भारत का गूंगापन नहीं समझेंगे. हालांकि कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जब भी रूस का विरोध हुआ, भारत ने उसके समर्थन में मतदान नहीं किया लेकिन उसने हर बार यह कहा कि प्रत्येक राष्ट्र को संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र का सम्मान करना चाहिए, हर देश की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा करनी चाहिए और अपने विवादों को युद्ध से नहीं, बातचीत से हल करना चाहिए. 

तिरुमूर्ति ने यही बात बूचा के नरसंहार पर बोलते हुए दोहराई है. मुझे लगता है कि भारत के इस ताजा तेवर से अमेरिका के घाव पर थोड़ा मरहम जरूर लगा होगा, क्योंकि अमेरिका के नेता और अफसर बार-बार भारत से आग्रह कर रहे हैं कि वह रूस-विरोधी तेवर अपनाए और रूस के विरुद्ध घोषित पश्चिमी प्रतिबंधों को भी लागू करे. 

पश्चिमी राष्ट्रों के ये दोनों आग्रह निर्थक हैं. वे दुनिया के सबसे शक्तिशाली और मालदार देश हैं. उनके द्वारा की गई भर्त्सना का क्या असर हो रहा है? इसी तरह का काम अमेरिका ने अफगानिस्तान, लीबिया, इराक, वियतनाम और कोरिया में किया था. जहां तक प्रतिबंधों का सवाल है, यह भी शुद्ध ढोंग है, क्योंकि रूसी तेल और गैस अब भी यूरोपीय राष्ट्र धड़ल्ले से खरीद रहे हैं. लेकिन यूक्रेन के विभिन्न शहरों को पुतिन का रूस जिस तरह तबाह कर रहा है, वैसा तो मुसोलिनी की इटली और हिटलर के जर्मनी ने भी नहीं किया था. 

यूक्रेन के शहर बूचा में 300 शव पाए गए हैं. उन्हें टीवी चैनलों पर देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं. मकानों, दुकानों और दफ्तरों को भस्मीभूत कर दिया गया है. भारत ने बूचा को बूचड़खाना बनाने का जो विरोध किया, वह ठीक है लेकिन पुतिन को कोई समझाए कि यदि यही क्रूरता जारी रही तो कहीं चीन और भारत-जैसे देशों को भी उसके विरुद्ध अपना मुंह खेलना न पड़ जाए.

Web Title: Ved pratap Vaidik blog: India's role on Russia Ukraine crisis

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