वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कश्मीरी नेताओं से संवाद जरूरी
By वेद प्रताप वैदिक | Published: February 10, 2020 07:27 AM2020-02-10T07:27:45+5:302020-02-10T07:27:45+5:30
जब प्रधानमंत्री यह कहते नहीं थकते कि कश्मीरी जनता पूर्ण विलय से खुश है और नई व्यवस्था उन्हें बहुत लाभ पहुंचा रही है तो फिर डर किस बात का है? नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी के नेताओं ने तो बहुत बुरे हालात में भी हमेशा भारत का साथ दिया है. जरूरी है कि उनके घावों पर अब और नमक न छिड़का जाए.
जम्मू-कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर अब जन-सुरक्षा कानून थोप दिया गया है. यानी छह माह तो वे पहले नजरबंदी में काट ही चुके हैं और अब दो साल तक वे हिरासत में रखे जा सकते हैं. वे अदालत की शरण भी नहीं ले सकेंगे. उन्होंने ऐसा क्या गंभीर अपराध किया है कि उन पर यह कानून थोप दिया गया है?
यह कानून उन पर थोपा गया है प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी के संसद में दिए गए भाषण के बाद! उस भाषण में मोदी ने उमर अब्दुल्ला को उद्धृत किया, जिसमें उन्होंने कहा था धारा 370 को हटाने से भयंकर भूकंप आ जाएगा. वह कश्मीर को भारत से अलग कर देगा. अब पता चला है कि यह उद्धरण उमर अब्दुल्ला का नहीं, बल्कि एक वेबसाइट का है, जिसका नाम ही है- ‘फर्जी खबरें’. यदि इसी आधार पर उमर और महबूबा को फिर से अंदर किया गया है तो यह बहुत ही आपत्तिजनक है. प्रधानमंत्नी के भाषण तैयार करने में जो अफसर मदद करते हैं, उन्हें काफी सावधान किए जाने की जरूरत है.
सच्चाई तो यह है कि उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती, दोनों ही कांग्रेस और भाजपा के साथ हाथ से हाथ मिलाकर काम करते रहे हैं. इसमें शक नहीं है कि यदि भाजपा इन नेताओं पर प्रतिबंध नहीं लगाती तो कश्मीर में उस समय कुछ भी हो सकता था लेकिन अब जबकि धीरे-धीरे सभी क्षेत्नों में सामान्य स्थिति बहाल हो रही है तो इन प्रमुख कश्मीरी नेताओं के साथ इतनी सख्ती क्यों की जा रही है?
जब प्रधानमंत्री यह कहते नहीं थकते कि कश्मीरी जनता पूर्ण विलय से खुश है और नई व्यवस्था उन्हें बहुत लाभ पहुंचा रही है तो फिर डर किस बात का है? नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी के नेताओं ने तो बहुत बुरे हालात में भी हमेशा भारत का साथ दिया है. जरूरी है कि उनके घावों पर अब और नमक न छिड़का जाए.
यह मैं पहले ही लिख चुका हूं कि सरकार को चाहिए कि कुछ गैर-सरकारी और गैर-भाजपाई नेताओं तथा स्वतंत्न बुद्धिजीवियों और विचारशील पत्नकारों को उनके पास भेजकर उनसे सार्थक संवाद किया जाए. कश्मीरी जनता अब तक बहुत नुकसान और परेशानी भुगत चुकी है. उसे तुरंत राहत मिलनी चाहिए.