वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: तुष्टिकरण नहीं तृप्तिकरण...अल्पसंख्यकों को लेकर पीएम मोदी की यही सोच है
By वेद प्रताप वैदिक | Published: July 5, 2022 11:47 AM2022-07-05T11:47:16+5:302022-07-05T11:50:07+5:30
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अल्पसंख्यकों के लिए तुष्टिकरण नहीं, तृप्तिकरण की बात कही है. यह भी संतोष का विषय है कि भाजपा ने उदयपुर और अमरावती की घटनाओं को ज्यादा तूल नहीं दिया वरना अराजकता फैल सकती थी.
हैदराबाद में भाजपा की कार्यसमिति की बैठक संपन्न हो गई. अभी यह पता नहीं चला है कि भाजपा की सरकारों और पार्टी ने कौन-कौन-से कार्य करने का संकल्प लिया है लेकिन उसमें शामिल हुए नेताओं के भाषणों में से कुछ उल्लेखनीय बिंदु जरूर उभरे हैं. जैसे अल्पसंख्यकों के कमजोर वर्गाों (पसमांदा) की भलाई का आह्वान, राजनीति में परिवारवाद का उन्मूलन और अगले 25-30 साल तक भाजपा-शासन के चलते रहने की आशा.
जहां तक अल्पसंख्यकों यानी मुसलमानों के कमजोर वर्ग का सवाल है, इसमें शक नहीं कि ये लोग गरीब हैं, मेहनतकश हैं और ज्यादातर अशिक्षित हैं. विदेशी हुक्मरानों के इन कृपाकांक्षी लोगों का उद्धार करने में वे शासक भी असमर्थ रहे. 1947 में भारत-विभाजन के कारण इनकी हालत पहले से भी ज्यादा बदतर हो गई.
कुछ मुट्ठीभर लोगों ने अपने अल्पसंख्यक होने का फायदा भले उठाया लेकिन ज्यादातर मुसलमानों की आर्थिक, शैक्षणिक और जातीय हैसियत आज भी ज्यों की त्यों है. राजनीति के दांव-पेंचों ने इनके अलगाववाद को मजबूत ही किया है. यदि इनकी तरफ भाजपा विशेष ध्यान देगी तो देश का भला ही होगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इनके तुष्टिकरण नहीं, तृप्तिकरण की बात कही है. यह संतोष का विषय है कि उदयपुर और अमरावती की घटनाओं कों भाजपा तूल नहीं दे रही है वरना भारत में अराजकता फैल सकती थी. यह भाजपा के नेतृत्व की दूरंदेशी का परिचायक है.
जहां तक परिवारवाद का सवाल है, उसके खिलाफ मैं बराबर लिखता रहा हूं लेकिन दुनिया में लोकतंत्र को खतरा सिर्फ परिवारवाद से ही नहीं है, नेताओं और कार्यकर्ताओं के अहंकार से भी है. यदि भाजपा-सरकार की नीतियां सच्ची लोकहितकारी रहीं तो वह अगले 25-30 साल क्या, और भी ज्यादा वर्षों तक राज करती रह सकती है.
इसमें शक नहीं कि भारत का विपक्ष इस वक्त डावांडोल है. उसके पास न कोई ठोस नीति है, न नेता है लेकिन यह भी सच है कि किसी भी लोकतंत्र में विपक्ष को जिंदा रखना भी बेहद जरूरी है. सरकार को ऊंघने से बचाने के लिए विपक्ष की जरूरत तो हमेशा रहती ही है.