ब्लॉग: बसपा नाम की बहुजन रह गयी है

By डॉ उदित राज | Published: September 10, 2021 08:41 PM2021-09-10T20:41:54+5:302021-09-10T20:51:43+5:30

बसपा की बुनियाद ही एक अव्यावाहारिक और बड़ा सपना दिखाकर रखी गयी थी. हुक्मरान बनाने का सपना बहुत बड़ा होता है और एक बार जब उम्मीद जग जाती है तो लोगों को वर्षों गुजर जाता है कुछ हटकर सोचने में.

Udit Raj Blog: Mayawati and Bahujan Samaj Party politics and future | ब्लॉग: बसपा नाम की बहुजन रह गयी है

ब्लॉग: बसपा नाम की बहुजन रह गयी है

7 सितम्बर को लखनऊ में बसपा सुप्रीमो सुश्री मायवती ने ब्राह्मण सम्मलेन को संबोधित किया. कभी- कभार परिस्थितिजन्य राजनितिक दल सत्ता में आने के लिए अवसरवादिता का सहारा लेते हैं. लेकिन मूल विचार से नहीं हटते हैं. 

सवा सौ वर्ष से ज्यादा पुरानी पार्टी कांग्रेस है जो सत्ता में आने के लिए मूल विचारधारा से नहीं हटी और कम्युनिस्ट पार्टियाँ समाप्त होना स्वीकार किया लेकिन विपरीत विचारधारा को स्वीकार नहीं किया. बसपा ने राजनैतिक एवं आर्थिक रूप से कार्यकर्ता एवं समाज को सशक्त नहीं किया और अब विचारधारा से भी गयी. काम और विकास के आधार पर वोट भी नहीं मिला लेकिन एक समतामूलक विचारधारा ही थी जो जोड़ने की कड़ी थी, वह भी समाप्त हो गया.

भारतीय जनता पार्टी की स्थापना ही वर्ण व्यवस्था को मजबूत करने के लिए हुयी और वोट लेने के लिए सबको हिन्दू बनाया लेकिन कभी ब्राह्मणवाद का त्याग करके अम्बेडकरवादी कर्मकांड को नही स्वीकारा. डॉ भीमराव आंबेडकर की 22 प्रतिज्ञाओं को सामने रखकर देखा जाय तो एक को भी बसपा नहीं मानती. 

त्रासदी है कि लोग फिर भी जुड़े हुए हैं तो सिर्फ एक कारण नजर आता है वो है समतामूलक विचारधारा. बसपा की बुनियादी तौर तरीके को देखा जाय तो आश्चर्य नहीं होता क्योंकि जनतांत्रिक तौर तरीके से पार्टी को कभी संचालित नही किया. पढ़े- लिखे लोगों को पार्टी में नहीं लिया गया. 

प्रवक्ता भी नहीं रहे और यहाँ तक की चुनावी घोषणापत्र भी कभी नहीं रहा. कार्यकर्ता अंधभक्त होते गए तो ऐसी परिस्थिति में समर्थन के बदले में पार्टी से माँगा कुछ नहीं. समय- अंतराल में नेतृत्व पूरा अधिनायकवादी हो गया और कार्यकर्त्ता अंधभक्त और गुलाम.

अंधभक्ति का आलम ये है की कार्यकर्ता सतीश मिश्र को ही पार्टी डूबाने का कारण मान लेते हैं. उनसे पूछा जाये कि पद और प्रतिष्ठा अगर किसी को मिले तो क्या वो त्याग देगा? जब- जब सत्ता में बसपा रही तो अधिकतम फायदा सतीश मिश्र को मिला. तो क्या वो इसे त्याग देते? 

कुछ लोग ये भी मानते हैं कि मायावती के खिलाफ इनकम टैक्स सीबीआई और इडी की जांच है और सतीश मिश्र वकील होने की वजह से कमजोर नस हाथ में है. इसलिए उनको साथ रखना मजबूरी है. मान भी लिया जाय भ्रष्टाचार के मामले में मायावती को फंसा रखा है और मजबूरीवश पग- पग पर समझौता करना पड़ा रहा है तो वह भी स्वीकार्य कतई नहीं है. मगर सुश्री मायावती को दलितों – गरीबों से लगाव होता तो जेल जाना स्वीकार कर लेना चाहिए था बजाय इनके हितों को बेंच दिया. 

वैचारिक रूप से भी अगर वो मजबूत होती तो भी जेल जाना स्वीकार्य होता. कभी- कभी परिस्थितिजन्य कुर्बानी भी देनी पड़ती है न कि हमेशा लाभ की स्थिति में ही रहा जाय .

बाबा साहब डॉ आंबेडकर पंडित नेहरु के मंत्री मंडल से त्यागपत्र दिया जबकि कारण भी बहुत बड़ा नहीं था. महिलाओं को अधिकार देने वाला हिन्दू कोड बिल पास नहीं हो सका और उसके कारण नाराज होकर के बाबा साहब ने त्याग पत्र दे दिया. हिन्दू कोड बिल केवल दलित समाज से नही जुड़ा था बल्कि पूरे महिला वर्ग से सम्बंधित था चाहे वो किसी जाति से हो. 

देखा जाय तो बहुत बड़ा मुद्दा नहीं था क्योंकि संसदीय प्रणाली में ऐसा होता रहता है. इस परिपेक्ष्य में सुश्री मायावती को देखा जाय तो दूर तक उनमे कुछ सामाजिक न्याय या दलित उत्थान की बात है ही नहीं. बाबा साहब जरा सा भी समझौता नहीं कर सके और यहाँ पूरा सिद्धांत ही बदल दिया. 

भारतीय जनता पार्टी को परोक्ष रूप से लाभ ब्राम्हण सम्मलेन के माध्यम से भी पंहुचा रही है. इस विचारधारा को शोषण का कारण बताकर बसपा की स्थापना हुयी. अंततः उसी को समर्थन देना कितना अंतर्विरोध है. शुरुआत का आन्दोलन विचार के आधार पर था और राम लहर में भी बसपा मजबूत हुयी. 1993 में नारा था की मिले मुलायम कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्री राम. जो आवाज ब्राह्मण सम्मलेन से निकली उसके ठीक विपरीत जाकर सफल हुए हैं. कांशीराम जी बाबरी मस्जिद के विवाद के सम्बन्ध में कहा था की विवादित जगह पर शौचालय बना देना चाहिए. पार्टी कहीं रुकी नही बल्कि दिन दुनी रात चौगुनी गति से बढती रही.

सुश्री मायावती अब इस कदर आत्मकेंद्रित हो गयी है की स्वयं के हित में दलित समाज को भाजपाई रंग देने की जरुरत पड़ी तो उस कार्य को भी करने से परहेज नहीं होगा.

बसपा की बुनियाद ही एक अव्यावाहारिक और बड़ा सपना दिखाकर रखी गयी थी. हुक्मरान बनाने का सपना बहुत बड़ा होता है और एक बार जब उम्मीद जग जाती है तो लोगों को वर्षों गुजर जाता है कुछ हटकर सोचने में. अभी भी लोगों में यह आशा और उम्मीद जिन्दा है की एक न एक दिन वो हुक्मरान बनेंगे. पंद्रह पचासी के नारे की वजह से दशकों तक लोग मन्त्र मुग्ध रहे और झाँक कर यह नहीं देखा की यह बात व्यवहारिक रूप से कितना संभव है. 

दलितों की कुल आबादी लगभग सोलह फीसदी है जो हजारों जातियों में बाते हुए हैं . क्या इनके इतने से वोट से चुनाव जीता जा सकता है? पिछड़ा वर्ग को इसमें जोड़ा गया . क्या कोई इकरारनामा हुआ था? पिछड़ा वर्ग स्वयम अपनी लडाई नहीं लड़ पा रहा है वो कहाँ से साथ देता? वो भी हजारों जातियों में बाते हुए हैं. 

पचासी फीसदी हमारी आबादी है. यह बात हमें जरुर आशावादी बनाती है की एक दिन हमारा राज होगा. लेकिन आंतरिक अंतर्विरिध को बिना देखे, बिना जांचे, बिना परखे यह आकलन गलत है.

बहुजन समाज पार्टी ने जितनी क्षति डाली-आदिवासियों का किया उतना कोई और न कर सका. कांग्रेस को दुश्मन नंबर एक बताया और उसे कमजोर किया. इससे कांग्रेस कमजोर हो गयी. दलितों के उत्थान का कोई श्रोत किसी राजनितिक दल को माने तो वो कांग्रेस है. एल आई सी, बैंक, कोयला, तेल ट्रांसपोर्ट क्षेत्रों का राष्ट्रीयकरण किया जिसकी वजह से आरक्षण संभव हुआ. 

तमाम सारी संस्थाएं जैसे विश्वविद्यालय, कोलेज, पी एस यू आदि खड़े किये. भूमिहीनों को भूमि, मुफ्त शिक्षा, स्पेशल कम्पोनेंट प्लान, ट्रायबल सब्प्लान, विभिन्न क्षेत्रों में कोटा से दलितों का भला हुआ . अब भी यही एक पार्टी है. जो दलित पिछड़े महिलाओं का उत्थान कर सकती है. 

क्षेत्रीय पार्टियों के सहयोग से केंद्र में साझी सरकार बही लेकिन एक दो दृष्टांत भी ऐसे नहीं मिलते हैं. जो सामजिक न्याय की दिशा में कुछ कर सकते हों. एक अपवाद बी पी सिंह की सरकार को छोड़कर. भारतीय जनता पार्टी का मूल मकसद ही है दलित-पिछड़े और महिलाओं को पुरानी स्थिति में पंहुचा देना. बसपा के बिना ब्राह्मण सम्मलेन के इतना कुछ क्षति हो सकी लेकिन अब और आगे जाकर के कितना बुरा होगा, अंदाज़ लगाना मुश्किल नहीं है. जो सशक्तिकरण हो भी रहा था उसपर रुकावट लग गयी और आगे कोई उम्मीद नज़र नहीं आती.

(लेखक पूर्व सांसद, कांग्रेस प्लानिंग कमिटी के सदस्य एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं.)

Web Title: Udit Raj Blog: Mayawati and Bahujan Samaj Party politics and future

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे