संसद की गरिमा बहाली के लिए कुछ ठोस पहल करने की दरकार
By अरविंद कुमार | Published: December 16, 2023 05:17 PM2023-12-16T17:17:31+5:302023-12-16T17:17:37+5:30
लोकसभा में जिन 14 सांसदों को निलंबित किया गया उसमें डीएमके सांसद एस.आर. पार्थिबन का नाम भी शामिल था जो दिल्ली में भी मौजूद नहीं थे।
संसद के मौजूदा शीत सत्र के दौरान संसद की सुरक्षा में चूक के मुद्दे पर आंदोलित विपक्षी सांसदों के निलंबन के क्रम में लोकसभा में सांसद की पहचान को लेकर जो अभूतपूर्व चूक हुई, उससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं। लोकसभा में जिन 14 सांसदों को निलंबित किया गया उसमें डीएमके सांसद एस.आर. पार्थिबन का नाम भी शामिल था जो दिल्ली में भी मौजूद नहीं थे। खैर इस प्रकरण में बाद में केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इसे पहचान में गलती का मामला बताते हुए लोकसभा अध्यक्ष से उनका नाम वापस करने का अनुरोध किया।
मानसून सत्र 2021 में राज्यसभा में सदन में आखिरी दिन 40 मार्शल पहुंचे, तनाव रहा, पर इसे आधार बना कर 29 नवंबर 2021 को सरकार के प्रस्ताव पर इलामारम करीम, छाया वर्मा, फूलो देवी नेताम, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, डोला सेन, शांता छत्री, प्रियंका चतुर्वेदी, अनिल देसाई और विनय विश्वम को सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया, जिसके विरोध में 14 विपक्षी दलों ने भारी विरोध जताया।
दूसरे सत्र की घटना के आधार ऐसा निलंबन अनहोनी घटना थी। दिसंबर 2021 में तृणमूल नेता डेरेक ओ’ब्रायन को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया और फिर 20 विपक्षी सांसदों के निलंबन का एक नया रिकॉर्ड बना। 2022 के मानसून सत्र में विपक्ष महंगाई, अग्निपथ जैसे मुद्दों पर व्य़ापक चर्चा चाहता था लेकिन सरकार तैयार नहीं हुई। उस दौरान राज्य सभा के 23 सांसदों और लोक सभा के 4 सांसदों के निलंबन से सत्ता और विपक्ष में तकरार और बढ़ गई।
संसद में सत्ता या विपक्ष के सांसदों की हैसियत एक जैसी ही होती है। सरकार संसद के प्रति जवाबदेह है। हर सांसद सवाल पूछ सकते हैं पर अलग-अलग दलों का प्रतिनिधि होने के कारण उनके एक विचार के हों ये जरूरी नहीं। आपसी समन्वय के लिए ही 1952 में संसदीय कार्य मंत्री का पद बना, पर वह आज सत्तादल के प्रवक्ता की भूमिका में हैं। विपक्ष के साथ उसका संवाद नहीं रहता।
देश में सबसे लंबी अवधि करीब 17 सालों तक पंडित जवाहरलाल नेहरू लोकसभा में नेता सदन रहे। उनके दौर में लोकसभा सांसद और राज्यसभा के केवल एक-एक सांसद का निलंबन हुआ। लालबहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री काल में कोई सांसद निलंबित नहीं हुआ।
इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री काल में 1966 में 5 सांसदों का निलंबन हुआ पर 1967 से 1971 के बीच कोई सांसद निलंबित नहीं हुआ, जिस तरह से संसदीय निलंबन बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए सत्तापक्ष, विपक्ष और पीठासीन अधिकारियों को सदनों की गरिमा बहाली के लिए कुछ ठोस पहल करने की दरकार है।