ब्लॉग: गौरैया के विलुप्त होते जाने की त्रासदी चिंताजनक

By ललित गर्ग | Published: March 20, 2024 11:45 AM2024-03-20T11:45:16+5:302024-03-20T11:48:40+5:30

विश्व गौरैया दिवस 20 मार्च को दुनियाभर में मनाने का उद्देश्य गौरैया पक्षी की लुप्त होती प्रजाति को बचाना है। पेड़ों की अंधाधुंध होती कटाई, आधुनिक शहरीकरण और लगातार बढ़ रहे प्रदूषण से गौरैया विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी है।

The tragedy of extinction of sparrows is worrying | ब्लॉग: गौरैया के विलुप्त होते जाने की त्रासदी चिंताजनक

ब्लॉग: गौरैया के विलुप्त होते जाने की त्रासदी चिंताजनक

Highlightsविश्व गौरैया दिवस 20 मार्च को गौरैया पक्षी की लुप्त होती प्रजाति को बचाना है मकसदपेड़ों की अंधाधुंध होती कटाईआधुनिक शहरीकरण और लगातार बढ़ रहे प्रदूषण से गौरैया विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी

विश्व गौरैया दिवस 20 मार्च को दुनियाभर में मनाने का उद्देश्य गौरैया पक्षी की लुप्त होती प्रजाति को बचाना है। पेड़ों की अंधाधुंध होती कटाई, आधुनिक शहरीकरण और लगातार बढ़ रहे प्रदूषण से गौरैया विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी है। इस दिवस की थीम पिछले कुछ वर्षों से एक ही रही है, 'आई लव स्पैरोज'। यह थीम इस दुनिया को पक्षियों, जानवरों और मनुष्यों के लिए एक बेहतर जगह बनाने के सपने एवं उनके संरक्षण से प्रेरित है। एक वक्त था जब गौरैया की चीं-चीं की आवाज से ही लोगों की नींद खुला करती थी लेकिन अब ऐसा नहीं है। यह एक ऐसा पक्षी है जो मनुष्य के इर्द-गिर्द रहना पसंद करता है।

भारत और दुनियाभर में गौरैया पक्षी की संख्या में लगातार कमी आ रही है। दिल्ली में तो गौरैया इस कदर दुर्लभ हो गई है कि ढूंढ़े से भी यह पक्षी देखने को नहीं मिलता, इसलिए वर्ष 2012 में दिल्ली सरकार ने इसे राज्य-पक्षी घोषित कर दिया था।

पहली बार यह दिवस नेचर फॉरएवर सोसाइटी द्वारा भारत में गौरैया और अन्य सामान्य पक्षियों की घटती आबादी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लक्ष्य के साथ मनाया गया था। नासिक निवासी मोहम्मद दिलावर ने गौरैया पक्षियों की सहायता हेतु नेचर फॉरएवर सोसाइटी(एनएफएस) की स्थापना की थी। इनके इस कार्य को देखते हुए टाइम पत्रिका ने 2008 में इन्हें हीरोज ऑफ दी एनवायरनमेंट नाम दिया था। पर्यावरण के संरक्षण और इस कार्य में मदद की सराहना करने हेतु एनएफएस ने 20 मार्च 2011 में गुजरात के अहमदाबाद शहर में गौरैया पुरस्कार की शुरुआत की थी। 

ब्रिटेन की 'रॉयल सोसायटी ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ बर्ड्स' ने भारत से लेकर विश्व के विभिन्न हिस्सों में अनुसंधानकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययनों के आधार पर गौरैया को 'रेड लिस्ट' में डाला है। आंध्र विश्वविद्यालय द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक गौरैया की आबादी में करीब 60 फीसदी की कमी आई है। यह ह्रास ग्रामीण और शहरी, दोनों ही क्षेत्रों में हुआ है।

गौरैया जैसे पक्षी विभिन्न रसायनों और जहरीले पदार्थों के प्रति अति संवेदनशील होते हैं। ऐसे पदार्थ भोजन या फिर पक्षियों की त्वचा के माध्यम से शरीर में पहुंचकर उनकी मौत का कारण बनते हैं। यह चिड़िया अब भारत ही नहीं, यूरोप के कई बड़े हिस्सों में भी काफी कम रह गई है। ब्रिटेन, इटली, फ्रांस, जर्मनी और चेक गणराज्य जैसे देशों में इनकी संख्या जहां तेजी से गिर रही है तो नीदरलैंड में इन्हें ‘दुर्लभ प्रजाति’ के वर्ग में रखा गया है।

मोबाइल फोन तथा मोबाइल टॉवरों से निकलने वाली सूक्ष्म तरंगें गौरैया के अस्तित्व के लिए खतरा बन रही हैं। कई बार लोग अपने घरों में इस पक्षी के घोंसले को बसने से पहले ही उजाड़ देते हैं।

Web Title: The tragedy of extinction of sparrows is worrying

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे