ब्लॉग: देशभक्ति की भावना का दोहन
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: June 12, 2019 10:18 AM2019-06-12T10:18:36+5:302019-06-12T10:18:36+5:30
हालिया लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी को प्रचंड बहुमत के साथ मिली जीत ने स्पष्ट कर दिया है कि मतदाता राष्ट्रीय और स्थानीय प्रश्नों पर अलग-अलग ढंग से विचार करना सीख गए हैं
(लेखक-संतोष देसाई)
हालिया लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी को प्रचंड बहुमत के साथ मिली जीत ने स्पष्ट कर दिया है कि मतदाता राष्ट्रीय और स्थानीय प्रश्नों पर अलग-अलग ढंग से विचार करना सीख गए हैं. एक वर्ष पूर्व ही भाजपा की जिन राज्यों में भारी पराजय हुई थी, उन राज्यों में लोकसभा सीटों पर पार्टी की जीत से यही निष्कर्ष निकाला जा सकता है. तेलंगाना में कुछ माह पूर्व हुए राज्य विधानसभा के चुनाव में टीआरएस ने जहां शानदार जीत हासिल की थी, लोकसभा चुनाव में वहां उसे पराजय का सामना करना पड़ा.
ओडिशा में नवीन पटनायक ने विधानसभा चुनाव में अपनी पकड़ कायम रखी, लेकिन लोकसभा चुनाव में भाजपा ने वहां भी अपनी ताकत दिखाई. राष्ट्रीय स्तर पर नरेंद्र मोदी का नेतृत्व सर्वमान्य हो चुका है. चुनावी अंकगणित के आधार पर किए गए स्थानीय गठबंधन विफल सिद्ध हुए हैं. राष्ट्रीय मुद्दों पर क्षेत्रीय दलों द्वारा एकजुट होकर चुनाव लड़ने का समय बीत चुका है.
मोदी और भाजपा ने लोगों के भीतर देशभक्ति की भावना पैदा करने के फायदे को जिस तरह से समझा, वैसा अन्य दल नहीं समझ पाए. राष्ट्रीय प्रतीकों को राष्ट्रीयता की भावना जगाने के लिए प्रमुख उपकरणों के रूप में इस्तेमाल किया गया. राष्ट्रवाद को परिभाषित करने के लिए मानदंड तय किए गए. इसके लिए राष्ट्रीय प्रतीकों को आक्रामक तरीके से उभारा गया और हिंदुत्व को इससे जोड़ा गया. राष्ट्रीय पहचान के जरिए समाज में देशभक्ति की भावना जागृत करने का प्रयास किया गया.
एक राष्ट्र की संकल्पना उसकी सीमाओं से परिभाषित होती है. सीमा पर होने वाले हमले की लोगों में भावनात्मक प्रतिक्रिया होती है और इस तरह का वर्गीकरण प्रबल हो जाता है कि देश का शत्रु कौन है, मित्र कौन है, यहां का निवासी कौन है, बाहरी कौन है. राष्ट्रीयता की भावना जागृत करने के अनेक फायदे हैं. सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे राष्ट्र की संकल्पना मजबूत होती है. लोगों को लगता है कि ऐसे नेता को चुना जाए जो राष्ट्र को सुरक्षित रख सके और लोग अपनी व्यक्तिगत समस्याओं को भूलकर राष्ट्र के लिए मतदान करते हैं.
यह सोचने वाली बात है कि कांग्रेस कई दशकों तक देश पर शासन करने और ‘राष्ट्रीय पार्टी’ होने के बावजूद लोगों में राष्ट्रीयता की भावना पैदा करने के इस महत्व को समझ नहीं सकी. वह स्थानीय मुद्दों में ही उलझी रही. इसके विपरीत भाजपा ने लोगों की देशभक्ति की भावना को उभारा, जिससे नरेंद्र मोदी की राष्ट्रीय नेता की छवि बनी.