भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: बढ़ती जनसंख्या का लाभ उठाएं

By भरत झुनझुनवाला | Published: December 3, 2018 02:06 PM2018-12-03T14:06:52+5:302018-12-03T14:06:52+5:30

देश के नागरिकों की ऊर्जा उत्पादन के स्थान पर वृद्धों की देखभाल में लगने लगी। कई विश्लेषकों का आकलन है कि 2010 के बाद चीन की विकास दर में आ रही गिरावट का कारण कार्यरत वयस्कों की यह घटती जनसंख्या है।

Take advantage of increasing population | भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: बढ़ती जनसंख्या का लाभ उठाएं

भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: बढ़ती जनसंख्या का लाभ उठाएं

वर्ष 1979 में चीन ने एक संतान की नीति लागू की थी। एक से अधिक संतान उत्पन्न करने पर दंपति को भारी फाइन अदा करना पड़ता था। फाइन न चुका पाने की स्थिति में जबरन गर्भपात करा दिया जाता था। इस कठोर नीति के कारण चीन की जनसंख्या वृद्धि नियंत्रण में आ गई। वर्तमान में चीन में दंपतियों के औसत 1़ 8 संतान हो रही है। दो व्यक्तियों-मां एवं पिता द्वारा 2 से कम संतान उत्पन्न करने के कारण जनसंख्या  कम हो रही है। 

एक संतान नीति का चीन को लाभ मिला है। 1950 से 1980 के बीच चीन के लोगों ने अधिक संख्या में संतान उत्पन्न की थी। माओ ने लोगों को अधिक संख्या में संतान पैदा करने को प्रेरित किया था। 1990 के लगभग ये संतान कार्य करने लायक हो गई। परंतु ये लोग कम संख्या में संतान उत्पन्न कर रहे थे क्योंकि एक संतान नीति लागू कर दी गई थी। इनकी ऊर्जा संतानोत्पत्ति के स्थान पर धनोपार्जन में लग गई। इस कारण 1990 से 2010 के बीच चीन को आर्थिक विकास दर 10 प्रतिशत की अप्रत्याशित दर पर रही।

2010 के बाद परिस्थिति ने पलटा खाया। 1950 से 1980 के बीच भारी संख्या में जो संतान उत्पन्न हुई थी वो अब बुजुर्ग होने लगी। परंतु 1980 के बाद संतान कम उत्पन्न होने के कारण 2010 के बाद कार्यक्षेत्र में प्रवेश करने वाले वयस्कों की संख्या घटने लगी। उत्पादन में पूर्व में हो रही वृद्धि में ठहराव आ गया। साथ-साथ वृद्धों की संभाल का बोझ बढ़ता गया जबकि उस बोझ को वहन करने वाले लोगों की संख्या घटने लगी।

देश के नागरिकों की ऊर्जा उत्पादन के स्थान पर वृद्धों की देखभाल में लगने लगी। कई विश्लेषकों का आकलन है कि 2010 के बाद चीन की विकास दर में आ रही गिरावट का कारण कार्यरत वयस्कों की यह घटती जनसंख्या है। इससे स्पष्ट है कि जनसंख्या नियंत्रण का लाभ अल्पकालिक होता है। संतान कम उत्पन्न होने पर कुछ दशक तक संतानोत्पत्ति का बोझ घटता है और विकास दर बढ़ती है।

परंतु कुछ समय बाद कार्यरत श्रमिकों की संख्या में गिरावट आती है और उत्पादन घटता है। साथ-साथ वृद्धों का बोझ बढ़ता है और आर्थिक विकास दर घटती है। स्पष्ट है कि आर्थिक विकास की कुंजी कार्यरत वयस्कों की संख्या है। इनकी संख्या अधिक होने से आर्थिक विकास में गति आती है। 

चीन समेत भारत को समझना चाहिए कि जनसंख्या सीमित करने से आर्थिक विकास मंद पड़ेगा। जरूरत ऐसी आर्थिक नीतियों को लागू करने की है जिससे लोगों को रोजगार मिले और वे उत्पादन कर सकें। पर्यावरण पर बढ़ते बोझ को सादा जीवन अपना कर मैनेज 
करना चाहिए, न कि जनसंख्या में कटौती करके।

Web Title: Take advantage of increasing population

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