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ब्लॉग: सोनिया गांधी: गरिमामय इंसान और राजनेता

By अश्वनी कुमार | Updated: December 9, 2021 11:20 IST

प्रधानमंत्री पद और शुरुआत में पार्टी अध्यक्ष के पद का त्याग उनके आलोचकों का मुंह बंद करने के लिए पर्याप्त होना चाहिए, जो उनके इरादों पर गलत तरीके से हमला करते हैं. मेरे साथ बातचीत में उन्होंने एक बार कहा था, ‘हम सही काम करके ही चुनाव जीत सकते हैं.’

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ठळक मुद्देउन्होंने एक बार कहा था, ‘हम सही काम करके ही चुनाव जीत सकते हैं.’वे शालीन हैं और विपरीत विचारों को स्वीकार करने के लिए तैयार रहती हैं.

सोनिया गांधी आज 75 वर्ष की हो गई हैं. उनकी जीवन यात्रा असाधारण रही है. 53 साल पहले अपने प्यार के लिए भारत के पहले परिवार में शादी करने के बाद, उन्होंने खुद को परिवार के लिए समर्पित करते हुए भारत को अपना घर बना लिया और फिर राजीव गांधी की दुखद हत्या के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में जनता की सेवा करते हुए उन्होंने राजनीतिक जगत में एक प्रमुख स्थान बनाया. 

इसके बाद एक महत्वाकांक्षी राजनीतिज्ञ के रूप में मेरा उनसे जुड़ाव शुरू हुआ. मेरा मानना है कि यह एक असाधारण व्यक्तित्व के योगदान को स्वीकारने का समय है जिसे अनुकरणीय शालीनता, गरिमा, उत्पीड़ितों के लिए सहानुभूति की गहरी भावना और मनुष्यों तथा मामलों की एक उल्लेखनीय समझ उपहार में मिली है.

मुझे पता है कि राजीव गांधी की शहादत के बाद का दुख असहनीय था. अपने घर के एकांत में उन्होंने जिस गरिमा और धैर्य के साथ कठोर दुख को सहन किया, वह राष्ट्रीय चेतना में अमिट रूप से अंकित है.

यह वह समय भी था जब पूरी पार्टी ने उनसे पार्टी अध्यक्ष के रूप में पदभार संभालने का पुरजोर आग्रह किया था, लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और एक संभावित राजनीतिक गुमनामी का चयन किया. सोनिया गांधी का मैंने तभी से अनुसरण किया है. 

प्रधानमंत्री पद और शुरुआत में पार्टी अध्यक्ष के पद का त्याग उनके आलोचकों का मुंह बंद करने के लिए पर्याप्त होना चाहिए, जो उनके इरादों पर गलत तरीके से हमला करते हैं. मेरे साथ बातचीत में उन्होंने एक बार कहा था, ‘हम सही काम करके ही चुनाव जीत सकते हैं.’

हमारे देश की वास्तविकता को दर्शाने वाले जटिल मुद्दों का उनका ज्ञान उनके व्यापक पठन और काम के दौरान हासिल उनके विशाल अनुभव को प्रतिबिंबित करता है. वे शालीन हैं और विपरीत विचारों को स्वीकार करने के लिए तैयार रहती हैं. 

यही कारण है कि महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए समितियों का गठन उनकी प्राथमिकता होती है और महत्वपूर्ण मसलों पर पार्टी में हरसंभव आंतरिक सर्वसम्मति बनाने के लिए वे अनवरत प्रयास करती हैं. 

जो लोग उन पर लोकतंत्र विरोधी होने का आरोप लगाते हैं, वे स्पष्ट रूप से उनके संकल्प और दृढ़ विश्वास की अपनी गलत समझ के कारण ऐसा करते हैं. पार्टी प्रमुख के रूप में अंतिम निर्णय लेने के लिए उन्हें शायद ही दोषी ठहराया जा सकता है.

पार्टी के किसी सहयोगी से परेशान होने पर वे उसे कठोर या अप्रिय शब्द कहने के बजाय, उस व्यक्ति से लम्बे समय तक नहीं मिलने का विकल्प चुनती हैं. इस प्रकार वे अस्वीकृति दर्शाने का नरम तरीका पसंद करती हैं. 

कभी भी अभद्र शब्द या तरीके का प्रयोग नहीं करना, सामाजिक व राजनीतिक प्रोटोकॉल और शिष्टाचार का कड़ाई से पालन, राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की आलोचना में कटुता से बचना और सार्वजनिक जीवन में ‘लक्ष्मण रेखा’ का पालन करना उनकी राजनीतिक विशिष्टता को दर्शाता है. 

अपनी सहमति या असहमति के बावजूद, उन्होंने व्यापक जनहित में व्यक्तिगत प्राथमिकताओं से ऊपर उठते हुए बार-बार अपनी विशालहृदयता का प्रदर्शन किया है. मैंने एक बार उनके एक प्रमुख आलोचक को एक राज्य मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के बारे में पूछा था. 

उनका जवाब था कि वे सबको साथ लेकर चलना चाहती हैं. वे उन लोगों के प्रति क्षमाशील होने से कहीं ज्यादा आगे जाती रही हैं जिन्होंने अलग-अलग समय पर पार्टी के भीतर उनकी खुलकर आलोचना की. हालिया घटनाएं इसका उदाहरण हैं.

कुछ यादें सोनियाजी की शालीनता, गरिमा, संवेदनशीलता और पूर्णता के प्रति प्रतिबद्धता की कहानी खुद कहती हैं. संप्रग के पूरे कार्यकाल के दौरान वे प्रधानमंत्री कार्यालय से जुड़े प्रोटोकॉल और संस्थानों के सम्मान के बारे में हमेशा सजग थीं. 

हर मौके पर उन्होंने डॉ. मनमोहन सिंह का स्वागत किया, हमेशा उनसे एक कदम पीछे रहीं और उनकी अगवानी तथा विदा करने के लिए पहले से ही स्वयं उपस्थित रहना सुनिश्चित किया. 

उनके आत्मसंयम को कभी-कभी व्यक्तिगत संवेदनशीलता के प्रति उदासीनता समझ लिया जाता है, जो कि सच्चाई से बहुत दूर है. मेरे जीवन के सबसे कठिन समय में से एक के दौरान, उन्होंने मुझे तसल्ली देते हुए कहा कि वे न सिर्फ मेरे बल्कि मेरे पूरे परिवार के बारे में सोच रही थीं और उन्होंने मेरा दर्द साझा किया. बच्चों के लिए उनका प्यार और मित्रों के परिवारों तथा साथ में काम करने वालों के कल्याण की, बिना कोई श्रेय लिए चिंता करना उनके स्वभाव में है. कैंसर से पीड़ित एक नेता को राज्यसभा की सीट प्रदान करना, ताकि संबंधित व्यक्ति सवरेत्तम उपचार का लाभ उठा सके, उनकी करुणा की गहरी भावना का मुखर प्रमाण है. एक अन्य अवसर पर, उन्हें यह कहते हुए पीड़ा हुई कि उत्तर प्रदेश के एक महत्वाकांक्षी राजनेता ने अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अपना एकमात्र घर बेच दिया था.

पूर्णता के प्रति प्रतिबद्धता उनकी छोटी-छोटी बातों में भी देखी जा सकती है. यहां तक कि उपहारों को खोलने में भी उनकी कला झलक जाती है. मैंने एक बार उन्हें ऐसा करते देखा था, जब उन्होंने यह सुनिश्चित करते हुए उपहार खोला कि नाजुक कागज खोलने के बाद भी सही सलामत रहे. उस कागज को दूसरी बार आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता था. किताबों से भरा उनके कार्यालय का सुंदर परिवेश उनके बारे में खुद ही बहुत कुछ कहता है.

सोनिया गांधी का जीवन परीक्षाओं से भरा रहा है. एक पत्नी, बहू, मां और सहानुभूति से पूर्ण गरिमामय नेता की यह एक अनूठी कहानी है, जिन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज पर सर्वोच्च पद का त्याग कर दिया. वे देश के सर्वोच्च सम्मान की पात्र हैं. ऐसा नहीं कहा जा सकता कि उनसे कभी चूक नहीं हुई. आखिरकार वे भी एक इंसान हैं और हममें से कौन है जो जिंदगी में हमेशा अचूक रहता है?भारत की एक महान बेटी के 75वें जन्मदिन पर मेरा नमन!

‘तुम जियो हजारों साल, बरस के दिन हों पचास हजार’’

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