ब्लॉग: सौर ऊर्जा निर्माण की क्षमता बढ़ाने के लिए सतत प्रयास जरूरी
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: June 1, 2024 12:21 PM2024-06-01T12:21:56+5:302024-06-01T12:23:39+5:30
देश में छतों पर लगने वाले सौर ऊर्जा संयंत्र (रूपटॉप सोलर) की लागत बढ़ने के कारण लोगों की उसमें रुचि घटने की खबरें निश्चित रूप से चिंता पैदा करने वाली हैं।

फाइल फोटो
देश में छतों पर लगने वाले सौर ऊर्जा संयंत्र (रूपटॉप सोलर) की लागत बढ़ने के कारण लोगों की उसमें रुचि घटने की खबरें निश्चित रूप से चिंता पैदा करने वाली हैं। शोध कंपनी मेरकॉम कैपिटल की रिपोर्ट के अनुसार, देश में पिछले साल पहली तिमाही के दौरान इस खंड में 485 मेगावाट की सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित की गई थी।
जबकि मार्च तिमाही में केवल 367 मेगावाट के संयंत्र स्थापित किए गए। इसमें अक्तूबर-दिसंबर, 2023 तिमाही के 406 मेगावाट की तुलना में लगभग 10 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि पिछले साल की समान तिमाही के 485 मेगावाट की तुलना में यह 24 प्रतिशत कम है। हैरानी की बात यह है कि क्षमता वृद्धि में सरकारी क्षेत्रों की हिस्सेदारी सबसे कम है।
तिमाही आधार पर क्षमता वृद्धि में औद्योगिक क्षेत्र का योगदान जहां कुल स्थापित क्षमता का लगभग 57 प्रतिशत था, वहीं वाणिज्यिक, आवासीय क्षेत्रों की हिस्सेदारी क्रमशः लगभग 28 प्रतिशत, 14 प्रतिशत और सरकारी क्षेत्र की मात्र 1.1 प्रतिशत रही।
जबकि सरकारी क्षेत्रों का तो सौर ऊर्जा निर्माण के क्षेत्र में हर संभव दोहन होना चाहिए। आज जबकि देश की अनेक बड़ी-बड़ी कंपनियां सौर ऊर्जा से अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर रही हैं, सौर ऊर्जा के निर्माण में सरकारी क्षेत्रों के पिछड़ने को किसी भी दृष्टि से उचित नहीं ठहराया जा सकता।
हालांकि सरकार सौर ऊर्जा को अधिकाधिक बढ़ावा दे रही है, इसमें कोई संदेह नहीं। भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही ‘पीएम सूर्य घर - मुफ्त बिजली योजना’ के तहत एक करोड़ घरों की छत पर सोलर पैनल लगाने का लक्ष्य है।
इस योजना के तहत अगर आप अपने घर की छत पर सोलर पैनल लगाते हैं तो सरकार लाभार्थियों को अलग-अलग कैटेगरी में 78,000 रुपए तक की सब्सिडी प्रदान करेगी। इस योजना को नागरिकों का अभूतपूर्व प्रतिसाद भी मिला है लेकिन घरेलू जरूरतें बढ़ने के कारण मॉड्यूल की कीमतों में भी वृद्धि हुई है।
उधर लाल सागर में उथल-पुथल के कारण भी सौर मॉड्यूल की कीमतों में करीब 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हालांकि भारत ने आयात पर निर्भरता घटाने के लिए स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देना शुरू किया है। इसी के चलते 2023 की पहली छमाही के दौरान चीन से सौर मॉड्यूल आयात में 76 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी।
फिर भी ध्यान रखना होगा कि रूफटॉप सोलर की लागत में वृद्धि न होने पाए, ताकि अधिकाधिक लोग सौर ऊर्जा के निर्माण के लिए प्रेरित हों। इसके अलावा सरकारी क्षेत्रों की क्षमता का भी सौर ऊर्जा के निर्माण में पूरा दोहन करना होगा ताकि स्वच्छ ऊर्जा के निर्माण में देश तेजी से आगे बढ़ सके।