Sikkim Flash Floods Updates: भारी बारिश और बाढ़ से सिक्किम के अधिकांश जिलों में तबाही, पेड़ों की कटाई और बेतहाशा निर्माण ला रहे प्राकृतिक आपदाएं, 1968 खौफनाक मंजर की याद...
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: October 6, 2023 01:19 PM2023-10-06T13:19:35+5:302023-10-06T13:20:48+5:30
Sikkim Flash Floods Updates: भारी बारिश और बाढ़ से सिक्किम के अधिकांश जिलों में तबाही मची है. सड़कें, बांध, पुल सभी को भारी नुकसान हुआ है.
Sikkim Flash Floods Updates: सिक्किम में आई बाढ़ में अब तक 21 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 103 लोग लापता हैं जिनमें 15 सैनिक भी शामिल हैं. मौसम विभाग ने सिक्किम में फिर से भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है. भारी बारिश और बाढ़ से सिक्किम के अधिकांश जिलों में तबाही मची है. सड़कें, बांध, पुल सभी को भारी नुकसान हुआ है.
सिक्किम में आई इस आपदा ने 1968 के खौफनाक मंजर की याद दिला दी है, जिसमें करीब 1000 लोगों ने जान गंवाई थी. साल दर साल मानसून का मौसम तबाही मचा रहा है, खासतौर पर पहाड़ों को यह अधिक नुकसान पहुंचा रहा है. मानसून में साल की सर्वाधिक बारिश रिकॉर्ड की जाती है जिस पर पहाड़ों की खेती और सामान्य जनजीवन निर्भर करता है.
मगर बीते कुछ वर्षों से मानसून में सामान्य बारिश नहीं, बल्कि भारी बारिश का अलर्ट ही जारी हो रहा है. भारी बारिश से पहाड़ों पर भूस्खलन होने लगता है, तो मैदानों में जलभराव की खबरें आने लगती हैं, बेहद कम समय में एक निर्धारित क्षेत्र में अत्यधिक बारिश होने से भूस्खलन व बाढ़ से तबाही जैसे हालात बन जाते हैं.
वैज्ञानिक इसके पीछे वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड गैस के इजाफे से तापमान में आ रही बढ़ोत्तरी को मुख्य कारण मानते हैं. मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, बीते कुछ वर्षों में पहाड़ों पर बढ़ते निर्माण कार्य, पेड़ों की कटाई, वाहनों का दबाव और अन्य मानवीय हस्तक्षेप का सीधा असर वातावरण पर पड़ रहा है.
वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड बढ़ रही है, जो कि तापमान बढ़ोत्तरी का सबसे बड़ा कारक है. पहाड़ों अथवा मैदानों पर अत्यधिक निर्माण कार्य, वाहनों के संचालन और वन क्षेत्र सिकुड़ने के कारण धरातल के वायुमंडल में हीट आइलैंड बन गए हैं, जिस कारण धरातल की नमी तेजी के साथ वाष्प बनकर वायुमंडल की ओर बढ़ती है.
एक नई स्टडी में पाया गया है कि हिमालय सहित दुनिया भर के पहाड़ों में अब अधिक बारिश हो रही है. यहां अतीत में अधिकतर बर्फबारी होती थी. इस बदलाव ने पहाड़ों को और अधिक खतरनाक बना दिया है, क्योंकि बढ़ता तापमान न केवल बारिश का कारण बन रहा है बल्कि बर्फ के पिघलने में भी तेजी आ रही है.
इस समस्या को पर्यटक भी बढ़ा रहे हैं. वे पहाड़ों पर घूमने जाते हैं और कूड़ा छोड़कर आते हैं. बर्फीले इलाकों में चिप्स के पैकेट, पानी की बोतल हजारों साल तक वैसी ही बनी रह सकती है. यानी वो सारा कूड़ा जो हम पहाड़ों पर छोड़कर आ रहे हैं वो मलबे में तब्दील हो रहा है. जरा सोचिए कि लाखों पर्यटकों के कारण पहाड़ों पर कितना कूड़ा इकट्ठा हो रहा है.