ब्लॉग: जीवन को संपूर्णता से जीने की कला सिखाते हैं श्रीकृष्ण

By विशाला शर्मा | Published: September 6, 2023 10:36 AM2023-09-06T10:36:38+5:302023-09-06T10:47:12+5:30

श्री कृष्ण ने इंद्र की पूजा का विरोध किया, माखन चुराया, और अर्जुन को गीता का उपदेश दिया। इन सभी घटनाओं से हमें जीवन के महत्वपूर्ण सबक मिलते हैं।

Shri Krishna teaches the art of living life to the fullest | ब्लॉग: जीवन को संपूर्णता से जीने की कला सिखाते हैं श्रीकृष्ण

फोटो सोर्स: ANI (प्रतिकात्मक फोटो)

Highlightsकृष्ण एक महान गुरु हैं, जिन्होंने अपने जीवन और कार्यों से दुनिया को बहुत कुछ सिखाया है।कृष्ण एक आदर्श गुरु हैं, जिन्होंने अपने जीवन में सभी प्रकार के अनुभव किए हैं।बता दें कि श्री कृष्ण एक ऐसे महामानव हैं जिन्होंने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।

कृष्ण से श्रेष्ठ गुरु खोजना कठिन है. इससे भी अधिक उनके जैसा महामानव खोजना संभव नहीं है. जिसके जीवन का हर पृष्ठ पूर्ण हो, जीवन जीने की कला जिससे सीखी जा सकती हो और जिससे हम सीखते हैं, वह गुरु होता है. पिता ने जेल से लाकर यशोदा की झोली में डाल दिया. बचपन गोकुल की गलियों में बीता. बचपन की हर घटना में उसका एक संदेश छिपा है. 

इंद्र के स्थान पर कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत का क्यों किया चयन

कृष्ण ने जब देखा कि मथुरा जैसे महानगर से प्रदूषित जल जो विष के समान है, ब्रज में आता है तो यहां कालिमा देह वाले जल को प्रदूषण से मुक्त करने की व्यवस्था की. विश्व गुरु बनने की प्रक्रिया में पहला कदम सुधारक की भूमिका का होता है. उन्होंने साहसिक अभियान का बीड़ा उठाया और कंस के विषधर रूप को नियंत्रित किया.

बालकृष्ण यदि इंद्र की पूजा का विरोध करते हैं तो इसका कारण धर्म को भय से मुक्त करना है क्योंकि धर्म का आधार प्रेम या श्रद्धा है, भय या स्वार्थ नहीं. इंद्र के स्थान पर उन्होंने गोवर्धन पर्वत का चयन किया जो पशुधन के लिए साधन उपलब्ध कराता है. यह घटना दो तरह से मानव जाति के लिए प्रेरणा स्रोत है. जहां यह प्रकृति और पर्यावरण के प्रति उसकी चेतना का प्रतीक है वहीं दूसरी ओर अनावृष्टि से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास का परिणाम भी है.

कृष्ण के माखन चोर की छवि का क्या अर्ध है

कृष्ण की माखन चोर वाली छवि भक्तों और चिंतकों के लिए अलग-अलग अर्थ रखती है. भक्त जहां घटनाओं में रसमय हो जाता है वहीं चिंतकों के लिए यह एक अलग संदेश देती है जो इस सत्य पर आधारित है कि उत्पादक जिन वस्तुओं का उत्पादन करता है उसके उपभोग पर पहला अधिकार उत्पादक के परिवार का है.

जब बालक कृष्ण ने देखा कि ब्रज में दूध-दही और मक्खन का प्रचुर उत्पादन होता है परंतु ब्रज के बालक इसके उपभोग से वंचित हैं, सारा उत्पाद मथुरा जैसे महानगर की पूर्ति हेतु चला जाता है, ऐसे में कृष्ण ने अपने सखाओं को घरों में घुसकर माखन चोरी का मार्ग बतलाया, जिसमें वे नायक होते थे. जब इतने पर भी बात नहीं बनी तो मथुरा जाने वाले गौ उत्पाद को रोकने के लिए मटकियां फोड़ने लगे. 

संगीत कला में कैसे हैं कृष्ण

कृष्ण संगीत कला में भी निपुण थे. उनके लिए प्रेम का आलम्बन मुरली है. संत इसे योग माया कहते हैं क्योंकि उसके स्वर संसार को स्तब्ध कर देते हैं. उसकी स्वर्गीय आनंद देने वाली ध्वनि ब्रज के हर प्राणी को अपनी ओर आकर्षित कर लेती है.

दृश्य बदलता है. वे रणक्षेत्र में अर्जुन के लिए सखा और गुरु दोनों रूपों में जिज्ञासा को शांत करते हैं. दोनों के संवाद को हम गीता कहते हैं. इसी ग्रंथ से हजारों लोगों ने अपनी जिज्ञासा को शांत कर जीवन के महाभारत में अपनी भूमिका का निर्वाह किया है.
 

Web Title: Shri Krishna teaches the art of living life to the fullest

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