शोभना जैन का ब्लॉगः भारत-नेपाल रिश्तों में ‘नोटबंदी’ जटिल मुद्दा
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 5, 2019 07:30 PM2019-01-05T19:30:03+5:302019-01-05T19:30:03+5:30
जरूरत इस बात की है कि इस मुद्दे का जल्द समाधान हो और बड़ी तादाद में इस्तेमाल की जा रही भारतीय मुद्रा का चलन भी जारी रहे.
‘नोटबंदी’ ने पड़ोसी देश नेपाल के साथ भारत के रिश्तों में उथल-पुथल मचा दी है. हाल ही में नेपाल द्वारा भारत के ‘बड़े नए नोटों’ को अपने यहां मान्यता नहीं दिए जाने के फैसले का असर न केवल द्विपक्षीय राजनयिक संबंधों बल्कि दोनों देशों की जनता के बीच गहन संपर्क, पर्यटन और व्यापार आदि अनेक क्षेत्नों पर भी पड़ेगा. गौरतलब है कि नेपाल ने हाल ही में एक सरकारी आदेश के जरिए भारत के नए 2 हजार रु पए, 5 सौ रुपए और 2 सौ के नए नोट के चलन पर पाबंदी लगा दी है. दरअसल यह मुद्दा इतना सामान्य नहीं है जितना दिख रहा है, भारत-नेपाल रिश्तों के लिए नोटबंदी का मुद्दा पेचीदा है, विशेष तौर पर भारत के लिए यह मुद्दा कालाधन और पाक गुप्तचर एजेंसी आईएसआई द्वारा नकली भारतीय करेंसी को बाजार में भरे जाने और आतंकवादी गतिविधियों को प्रश्रय दिए जाने के इतिहास से जुड़ा रहा है.
दो वर्ष पूर्व 8 नवंबर 2016 को जब भारत में सरकार ने बड़े नोटों की नोटबंदी लागू की थी तब से इस बात की चिंता जताई जा रही थी कि भारत में काम करने वाले नेपाली कामगारों और नेपाल जाने वाले भारतीय पर्यटकों को इससे भारी दिक्कत होगी. सवाल खड़े हुए थे कि नेपाल में चल रही ‘बड़ी भारतीय मुद्रा’ को कैसे बदला जाए, इसका कोई हल कैसे निकाला जाए. दोनों देशों के बीच इस बारे में कई दौर की बैठकें भी हुईं, लेकिन समाधान नहीं निकल सका.
ऐसे में यह अंदेशा भी व्यक्त किया जा रहा था कि नेपाल मुद्दे का हल नहीं निकलने पर प्रतिबंध जैसा कदम उठा सकता है. दरअसल यह भी माना जा रहा है कि चीन जिस तरह से नेपाल सहित इस क्षेत्न में अपना प्रभाव क्षेत्न बढ़ाने की हर जुगत कर रहा है, तो क्या वह इस कदम को अपनी मुद्रा युआन को नेपाल में प्रचलित करने के मौके के रूप में इस्तेमाल करने से चूकेगा. जरूरत इस बात की है कि इस मुद्दे का जल्द समाधान हो और बड़ी तादाद में इस्तेमाल की जा रही भारतीय मुद्रा का चलन भी जारी रहे.
भारत नेपाल का सबसे बड़ा व्यापार सहयोगी है और उसे अधिकतर उपभोक्ता सामान की आपूर्ति करता है. वैसे राहत की बात है कि नए निर्देशों के मुताबिक नेपाल सरकार ने भारत के सौ रुपए तक के नोटों को प्रचलन में रहने दिया है, ताकि बड़े पैमाने पर छोटी भारतीय मुद्रा का इस्तेमाल कर रहे नेपाल के गरीब और कमजोर वर्ग को असुविधा न हो.
नोटबंदी से नेपाल ही नहीं भूटान भी बड़े स्तर पर प्रभावित हुआ था क्योंकि वहां भी भारतीय मुद्रा का इस्तेमाल आम है. नेपाल तथा भूटान की अर्थव्यवस्था बड़े पैमाने पर भारतीय रुपए से प्रभावित होती है, जो कि दोनों देशों के विदेशी मुद्रा भंडार का बड़ा प्रतिशत है. जहां भूटान में भारतीय रुपए का चलन आधिकारिक है वहीं नेपाल में सामान्य तौर पर इसे रिटेल स्तर पर इस्तेमाल किया जाता है. भूटान में जहां दोनों देशों ने इस नए घटनाक्र म का समाधान कर लिया है, वहीं नेपाल ने इस मसले का समाधान नहीं होने से अब यह ऐलान कर दिया है कि वहां सौ रुपए के चलन को छोड़ कर कोई भारत की मुद्रा न रख पाएगा न उस मुद्रा में कोई कारोबार कर पाएगा. यह जुर्म होगा.