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शोभना जैन का ब्लॉग: भारत के खिलाफ पाक के आतंक पर लगाम लगेगी?

By शोभना जैन | Updated: May 4, 2019 06:22 IST

इस बार एक धारणा यह बनी है कि चीन के रुख में बदलाव लाने की ही मंशा से प्रतिबंध वाले प्रस्ताव में  पुलवामा और किसी अन्य आतंकी घटना में इस आतंकी का हाथ होने के उल्लेख से बचा गया.

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पाक स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के दुर्दात सरगना मसूद अजहर को भारत की नौ साल की जद्दोजहद के बाद आखिरकार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने वैश्विक आतंकी घोषित कर दिया. अब जबकि अजहर अपने संगठन के बाद स्वयं भी वैश्विक प्रतिबंधित आतंकी घोषित किया जा चुका है, वह कहीं यात्ना नहीं कर सकेगा. दुनिया भर में उसकी संपत्तियां जब्त हो जाएंगी और हथियारों की पहुंच भी उस तक नहीं हो सकेगी. इसके अलावा उसको किसी तरह की आर्थिक गतिविधि की भी इजाजत नहीं होगी, निश्चय ही यह कदम पाक के आतंक को रोकने और विश्व बिरादरी द्वारा खुल कर आतंक को संरक्षण देने वाले पाकिस्तान के खिलाफ आवाज उठाने के रूप में अहम फैसला साबित हो सकता है.    

वर्ष 1999 के बाद से जबकि अपहृत विमान यात्रियों को बचाने के एवज में भारत ने इस दुर्दात आतंकी को भारतीय जेल से रिहा कर दिया था, तभी से अजहर पाकिस्तान में भारत के खिलाफ पाकिस्तान सरकार की सरपरस्ती में बेधड़क होकर आतंकी गतिविधियों में लिप्त रहा है. भारत ने  पहली बार 2009 में मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने संबंधी प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र में पेश किया था. इसके बाद 2016 में भारत ने इस संबंध में पी-3 देशों यानी अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के साथ मिल कर संयुक्त राष्ट्र में मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने संबंधी प्रस्ताव फिर पेश किया था. इसके बाद 2017 में भारत ने पी- 3 देशों के साथ इसी प्रकार का प्रस्ताव फिर से पेश किया था लेकिन सभी मौकों पर वीटो का अधिकार रखने वाले चीन ने अपने अधिकार का इस्तेमाल करके इसमें अड़ंगा डाला था.

इस बार एक धारणा यह बनी है कि चीन के रुख में बदलाव लाने की ही मंशा से प्रतिबंध वाले प्रस्ताव में  पुलवामा और किसी अन्य आतंकी घटना में इस आतंकी का हाथ होने के उल्लेख से बचा गया. भारत में एक वर्ग इस स्थिति से निराश है कि तमाम सबूतों के बावजूद इन उल्लेखों से बचा क्यों गया. लेकिन जैसा कि एक पूर्व राजनयिक का कहना है, बड़ा मकसद इस आतंकी की गतिविधियों पर लगाम लगवाना था और वह काम आखिरकार हो गया.

भारत को अब विश्व बिरादरी के साथ मिल कर पाक पर राजनयिक रूप से दबाव बढ़ाना होगा. यह सच है कि अजहर पर रोक से रातोंरात पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियां रोक देने वाला नहीं है. आगामी जून में आतंकी गुटों की वित्तीय फंडिंग पर नजर रखने वाली अंतर्राष्ट्रीय निगरानी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स  की पेरिस में बैठक होने वाली है. भारत की नजर इस बात पर है कि इस अवधि में क्या पाकिस्तान अपने यहां से चलाई जाने वाली आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगाता है या नहीं. अन्यथा विश्व समुदाय से मिल कर उसे इस कार्यबल की ‘ग्रे सूची’ से ‘ब्लैक लिस्ट’  करने पर दबाव बढ़ाना होगा. ऐसे ही कदमों से पाक प्रायोजित आतंक से निपटा जा सकता है.

टॅग्स :मसूद अजहरजैश-ए-मोहम्मदचीनपाकिस्तान
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