शरद जोशी ब्लॉग : दो सौ वर्ष की जिंदगी का सवाल
By शरद जोशी | Published: December 7, 2019 08:57 AM2019-12-07T08:57:59+5:302019-12-07T08:57:59+5:30
आजकल मुङो अपने पर आश्चर्य हो रहा है, ‘खुश रहो अहले वतन हम तो सफर करते हैं’ की विदा वाणी या ‘हे राम’ कब अभिव्यक्त हो, कह नहीं सकता.
मेरी आयु को देखते हुए आजकल जिस शैया पर सोता हूं, उसी का मृत्यु-शैया हो जाना संभव है. अपनी कुंवारी साधों को बैलेंस किए मैं जी रहा हूं पर आंकिक मौत मैं मर गया, गणित के औसत ने मेरे प्राण ले लिए. पर मैं जी रहा हूं, सांसों की परिक्रमा अनवरत चालू है. जाने क्यों? मैं 25-26 के लगभग आ गया और कहीं मैंने पढ़ा कि औसत भारतीय इस उम्र में मर जाता है : यदि मैं जीता हूं तो मैं भारतीय शायद नहीं हूं और मैं मर जाना पसंद करूंगा, बजाय अभारतीय कहाने के.
आजकल मुङो अपने पर आश्चर्य हो रहा है, ‘खुश रहो अहले वतन हम तो सफर करते हैं’ की विदा वाणी या ‘हे राम’ कब अभिव्यक्त हो, कह नहीं सकता. पर अभी मुङो पता लगा कि विज्ञान ने मनुष्य की मृत्यु का कारण खोजकर ऐसी विधि प्रस्तुत की है जिससे मनुष्य दो सौ साल जीवित रह सकता है. सोचता हूं कि यदि ऐसा हुआ तो कैसा रहेगा? यह दो सौ साल का जीवन हमारे सामाजिक, पारिवारिक गठन, हमारी सभ्यता, संस्कृति और नैतिकता में कितना अंतर ला देगा, समझ में नहीं आता. हम अधिक कलाओं से परिचित हो जाएंगे. अपने जीवन की अनेक अधूरी इच्छाओं को पूरी कर लेंगे. आंखों की प्यास, मन की प्यास
अनबुझी नहीं रहेगी, पर साथ ही मनुष्य मनुष्य से अधिक दूर हो जाएगा.आज दो दिन की जिंदगानी के भय से हम प्रेम निभा लेते हैं पर लंबे दो सौ वर्ष में हमें अपनों से प्राय: विरक्ति हो जाएगी. उन लंबे दो सौ वर्षो तक मनुष्य क्या करेगा? उसका जीना दूभर हो जाएगा या पाव भर! आज तो पाव भर की जिंदगी है और सेर भर का आदमी है. संसार में दो ही तरह के लोग होते हैं. एक वे, जिनके दिन धीरे-धीरे गुजरते हैं, लंबी सांसों की तरह, और दूसरे वे, जिनके दिन पलक झपकते ही निकल जाते हैं.
मेरे खयाल से वे लोग खुशकिस्मत हैं जिनको जीना लंबा जान पड़ता है - हर दिन लंबा, हर रात लंबी. और बदकिस्मत हैं वे, जिनकी जिंदगी चुटकी बजाते गुजरी है.क्योंकि मरते समय एक प्रसन्न होगा कि यह कितना लंबा जीवन था मेरा, और दूसरा दुखी होगा - हाय, कितनी जल्दी मर रहा हूं मैं मुङो लगता है, जब टेबलेट की तरह जिंदगी सस्ती मिलेगी और जीना महंगा रहेगा, तब चाहे विज्ञान अपनी कितनी ही डींग मारे, पर मनुष्य आत्महत्या करके मर जाया करेगा. क्योंकि लंबी जिंदगी से महत्वपूर्ण प्रश्न है अच्छी जिंदगी का