वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः देशद्रोह- समझकर लगाएं आरोप  

By वेद प्रताप वैदिक | Published: January 16, 2019 08:59 PM2019-01-16T20:59:04+5:302019-01-16T20:59:04+5:30

विधि आयोग ने अंग्रेजों द्वारा बनाई गई इस धारा को अप्रासंगिक बताया है और उसने इसे सुधारने का सुझाव भी दिया है. हमारी सरकारें किसी पर भी देशद्रोह का बिल्ला चिपका देती हैं और फिर अदालत में मुंह की खाती हैं.

sedition case: jnu kanhaiya kumar Hiren Gohain Akhil Gogoi and Mannjeet Mahant | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः देशद्रोह- समझकर लगाएं आरोप  

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः देशद्रोह- समझकर लगाएं आरोप  

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कन्हैया कुमार और उनके साथियों पर सरकार ने देशद्रोह का मुकदमा दायर कर दिया है और ऐसा ही एक मुकदमा असम के एक विद्वान हीरेन गोहैन, अखिल गोगोई और पत्नकार मंजीत महंत पर पुलिस ने दायर किया है. इन दोनों मुकदमों में आरोप लगभग एक जैसे हैं. एक में कश्मीर की आजादी और भारत विरोधी नारे लगाए गए थे और दूसरे में नागरिकता विधेयक का विरोध करते हुए असम के अलगाव और संप्रभुता की मांग की गई थी. जाहिर है कि ये दोनों मांगें ही नहीं, इनका विचार तक भर्त्सना के योग्य है. ऐसे विचार भारत की एकता और अखंडता के विरुद्ध हैं. 

इन विचारों का जितना जबर्दस्त खंडन किया जा सके, जरूर किया जाना चाहिए लेकिन यह मेरी समझ में नहीं आता कि इस तरह के विचार रखने वालों को आप देशद्रोही कैसे कह सकते हैं? भारतीय दंड संहिता की धारा 124 (ए) के अनुसार यदि भारत की एकता या व्यवस्था को खंडित करने के लिए कोई हिंसा का सहारा ले तो उस पर देशद्रोह का मुकदमा जरूर चलाया जा सकता है.

विधि आयोग ने अंग्रेजों द्वारा बनाई गई इस धारा को अप्रासंगिक बताया है और उसने इसे सुधारने का सुझाव भी दिया है. हमारी सरकारें किसी पर भी देशद्रोह का बिल्ला चिपका देती हैं और फिर अदालत में मुंह की खाती हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने दो-तीन प्रसिद्ध मुकदमों में इस धारा 124 (ए) के दुरु पयोग को रोकने का फैसला भी दिया है. हमारे नेताओं की तर्कशक्ति प्राय: कमजोर होती है. वरना ऐसे अतिवादी विचारों के विरुद्ध वे अपने तर्क-तीरों की वर्षा करके उनको ध्वस्त कर सकते हैं. 

और फिर जो लोग कभी किसी भाषण में कुछ राष्ट्रविरोधी बातें कह देते हैं, हमें उनके ‘कारण’ में उतरना चाहिए. कई लोग क्रोध में आकर या जोश में आकर अपना संतुलन खो बैठते हैं. वे अपनी छवि खराब कर लेते हैं. उन्हें करने दीजिए. ऐसे लोग उनका गुस्सा ठंडा होने पर फिर हमारे साथ लौट आते हैं. क्या आपको पंजाब के मास्टर तारा सिंह, मिजोरम के लालडेंगा और तमिलनाडु के अन्नादुरई के किस्से याद नहीं हैं?

Web Title: sedition case: jnu kanhaiya kumar Hiren Gohain Akhil Gogoi and Mannjeet Mahant

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