ब्लॉग: आर्थिक विकास के श्वेत और स्याह पत्र पर विचार मंथन का दौर
By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Published: February 10, 2024 10:40 AM2024-02-10T10:40:47+5:302024-02-10T10:46:24+5:30
इस समय देश में 8 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा लोकसभा में मोदी सरकार के कार्यकाल में अर्थव्यवस्था को रफ्तार दिए जाने और संप्रग सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन पर पेश किए गए श्वेतपत्र तथा कांग्रेस के द्वारा प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से मोदी सरकार के 10 वर्षों की विफलताओं पर प्रस्तुत किए गए स्याह पत्र पर विचार मंथन किया जा रहा है।
इस समय देश में 8 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा लोकसभा में मोदी सरकार के कार्यकाल में अर्थव्यवस्था को रफ्तार दिए जाने और संप्रग सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन पर पेश किए गए श्वेतपत्र तथा कांग्रेस के द्वारा प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से मोदी सरकार के 10 वर्षों की विफलताओं पर प्रस्तुत किए गए स्याह पत्र पर विचार मंथन किया जा रहा है।
इसमें दो मत नहीं कि जहां मोदी सरकार आर्थिक विकास व स्वरोजगार के विभिन्न मापदंडों पर तेजी से आगे बढ़ी है, वहीं नौकरियों के सृजन व प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने में सरकार यथोचित सफलता से दूर है। गौरतलब है कि 7 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में अपने संबोधन में कहा कि विगत 10 वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था दुनिया की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गई है।
अब आगामी पांच वर्ष विकसित भारत की बुनियाद के होंगे। दुनिया भारत की युवाशक्ति का दम देखेगी। स्टार्टअप, पेटेंट और सेमीकंडक्टर सहित विभिन्न क्षेत्रों में आत्मनिर्भर भारत का परचम दुनिया में फहराते हुए दिखाई देगा। गौरतलब है कि इन दिनों प्रकाशित हो रही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों में भी कहा जा रहा कि भारत 2030 तक दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था और 2047 तक दुनिया का विकसित देश बनते दिख सकता है।
यद्यपि दुनियाभर में भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली आकर्षक अर्थव्यवस्था वाले देश के रूप में रेखांकित हो रहा है, फिर भी कई आर्थिक चुनौतियों पर ध्यान देना होगा। देश के सामने डॉलर की तुलना में रुपए के गिरते मूल्य की चुनौती है। भारत को आईएमएफ की उस चेतावनी पर भी ध्यान देना होगा जिसमें कहा गया है कि भारत में केंद्र और राज्यों का सामान्य सरकारी कर्ज जीडीपी के सौ फीसदी के पार पहुंच सकता है।
साथ ही भारत के आर्थिक रणनीतिकारों को वैश्विक आर्थिक प्रतिकूल परिस्थितियों के मद्देनजर रक्षात्मक रणनीति बनाने के लिए भी तैयार रहना होगा। हमें 2030 तक सात ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए सालाना 7-8 फीसदी विकास दर की जरूरत होगी।
साथ ही वैश्विक विकास का शक्ति केंद्र बनने और टिकाऊ विकास के लिए अब इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि हमारे स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय फ्यूचर की फैक्टरी बनें। दुनिया में जो देश विकसित और शक्तिशाली बने हैं तथा जो देश गहन संकट से बाहर निकले हैं, उनकी सफलता में अन्य चीजों के साथ राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण भी अहम रहा है।
ऐसे में हमें अब देश को तेजी से आगे बढ़ाने और विकसित भारत के लिए भारतीय मूल्यों, संस्कृतियों और अपने नायकों की वीरता की सराहना के साथ विविधता के बीच एकजुटता बढ़ानी होगी।