सड़क के गड्ढे भरने के अभिनव तरीके सीखने होंगे 

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: July 28, 2018 02:14 IST2018-07-28T02:14:06+5:302018-07-28T02:14:06+5:30

मौत चाहे किसी भी कारण से हो, उसे उचित नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन बारिश के दौरान सड़क के गड्ढों से होने वाली इन मौतों के प्रति सरकार और नागरिकों - दोनों की तरफ से एक निराशाजनक चुप्पी दिखाई देती है।

road potholes repair techniques should learn in maharashtra | सड़क के गड्ढे भरने के अभिनव तरीके सीखने होंगे 

सड़क के गड्ढे भरने के अभिनव तरीके सीखने होंगे 

डॉ. एस.एस. मंठा

सड़क के गड्ढों ने वर्ष 2017 में 3597 लोगों की जान ली; रोज लगभग दस लोगों की। यह वर्ष 2016 में दर्ज की गई संख्या से 50 प्रतिशत ज्यादा है। महाराष्ट्र में 726 मौतें दर्ज की गईं, जो साल-दर-साल तेजी से बढ़ती जा रही हैं। तथ्य यह है कि सड़क सुरक्षा खुद गंभीर संकट में है। इससे काफी कम संख्या में, करीब 800 लोगों की जान आतंकवाद और नक्सलवाद से गई है, इसलिए सड़क के गड्ढे निस्संदेह गहरी चिंता का विषय हैं। 

मौत चाहे किसी भी कारण से हो, उसे उचित नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन बारिश के दौरान सड़क के गड्ढों से होने वाली इन मौतों के प्रति सरकार और नागरिकों - दोनों की तरफ से एक निराशाजनक चुप्पी दिखाई देती है। नागरिकों द्वारा दिखाई जाने वाली उपेक्षा सबसे विचित्र है। जब कोई परिवार अचानक पाता है कि उसकी रोजी-रोटी जुटाने वाला अचानक ही वाहन से जाने के दौरान सड़क के गड्ढों की वजह से अपनी जान गंवा बैठा है तो एक पूरा परिवार राज्य द्वारा अपने को ठगा गया महसूस करता है। ऐसे समय में, जबकि सरकार सक्रिय रूप से लोगों के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना लागू करने का प्रयास कर रही है, क्या हम ऐसे कारण से होने वाली मौतों को बर्दाश्त कर सकते हैं जिसमें हमारी कोई गलती नहीं है? जबकि टैक्स के भुगतान के जरिए हम सरकार की योजनाओं के लिए अपने हिस्से की राशि ईमानदारी से अदा करते हैं!

कमजोर बुनियादी ढांचे के कारण होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए सरकार क्या कर सकती है? इस संदर्भ में सड़क के गड्ढों के पीछे की पृष्ठभूमि को थोड़ा समझना होगा। सड़क पर होने वाले गड्ढे संरचनात्मक विफलता हैं, जो कि आमतौर पर डामर की सड़कों पर होते हैं। अमेरिकी सेना की इंजीनियर्स कोर के अनुसार, गड्ढे दो चीजों के मेल से बनते हैं - पानी और यातायात। पानी रोड की निचली परत को कमजोर कर देता है, जबकि यातायात के भार से उसके कमजोर हिस्से में दरार पड़ जाती है। ये दरार आसपास के हिस्सों को धीरे-धीरे ढीला कर देती है और भारी वाहनों के गुजरने से वे हिस्से उखड़ने लगते हैं। गड्ढों के बनने का कारण सड़क की मोटाई कम होना और पानी निकासी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होना और दरारें पड़ने पर उनकी मरम्मत की ओर से अनदेखी करना हो सकता है।

सड़क के गड्ढे वैश्विक समस्या हैं। अमेरिका में गड्ढों की मरम्मत में करीब तीन बिलियन डॉलर प्रति वर्ष बर्बाद हो जाते हैं, जबकि ग्रेट ब्रिटेन में यह लागत 20 बिलियन डॉलर के करीब बैठती है। लेकिन हमारे देश में सड़क के गड्ढों की मरम्मत के प्रति आपराधिक लापरवाही बरती जाती है और यहां तक कि इसके लिए आवंटित बजट का भी पूरा उपयोग नहीं किया जाता। 

एक रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई के  स्थानीय प्रशासन ने सड़कों की मरम्मत के लिए 2011 से 2016 के बीच 14500 करोड़ रु। का प्रावधान किया था, जिसमें से 11000 करोड़ रु। खर्च किए गए। इसके बाद 2017 में 5183 करोड़ रु। आवंटित किए गए। लेकिन सवाल यह है कि जो पैसे खर्च किए गए, उनका क्या हुआ? संभवत: उससे घटिया दज्रे का काम किया गया, घटिया दज्रे की सामग्री इस्तेमाल की गई और बहुत ही खराब ढंग से उसका निरीक्षण किया गया। इसकी वजह से वाहनों के टायर फटने और एक्सल टूटने से जो नुकसान होता है वह समय और संसाधनों के नुकसान को और बढ़ा देता है। 

बारिश के दौरान सड़क के गड्ढों की वजह से जान-माल का जो नुकसान होता है, वह निश्चित रूप से सुशासन की निशानी नहीं है। यह नागरिकों और प्रशासकों के बीच के विश्वास को भी तोड़ता है। दर्दनाक झुंझलाहट, विशाल लागत और जनहानि के बावजूद गड्ढों की मरम्मत के बारे में जो तकनीक अपनाई जाती है वह भी निराशाजनक है। संबंधित कर्मचारी गड्ढे भरने के लिए गिट्टी में डामर मिलाकर डाल देते हैं जो कि एक महंगा और अस्थायी समाधान है। हमें समस्या के समाधान के लिए सभी रास्ते तलाशने की जरूरत है। सड़क के गड्ढे भरने का जो तरीका हमारे यहां नागरिक प्रशासन अपनाते हैं, दुनिया के देश दो साल पूर्व ही उसका इस्तेमाल बंद कर चुके हैं।

तुर्की के इस्तांबुल में एक आर्किटेक्चर और टेक्नोलॉजी फर्म ने इसके लिए एक काफी अभिनव तरीका खोजा है। एक बड़े ट्रक में कृत्रिम बुद्धिमत्ता से युक्त, इंटरनेट सक्षम सेंसर लगे होते हैं और एक रोबोटिक हाथ रहता है। गड्ढों को भरने के बदले यह मशीन उसे निर्धारित आकार में काट देती है। मलबे को वैक्यूम के जरिए मशीन में खींच लिया जाता है और रोबोटिक आर्म के जरिए उसमें उसी आकार का टुकड़ा फिट कर दिया जाता है। यह सारा काम एक सजर्न जैसी कुशलता और सफाई से किया जाता है, जिससे पता ही नहीं चलता है कि वहां कभी कोई गड्ढा भी था। यह मशीन एक गड्ढे को दो मिनट से भी कम समय में दुरुस्त कर सकती है और परंपरागत तरीके से गड्ढे भरने की तुलना में इसकी लागत भी पांच गुना कम है।

गड्ढों को भरने का एक अन्य तरीका प्लास्टिक के कचरे को मिलाकर भरने का है। इस तरीके में प्लास्टिक के बारीक टुकड़े करके उसे डामर के मिश्रण में मिलाया जाता है। सड़क डिजाइन के आधार पर प्रत्येक टन डामर में तीन से दस किलो तक प्लास्टिक का उपयोग किया जाता है। इस तरीके से बनाई गई सड़क पारंपरिक सड़क के मुकाबले 60 प्रतिशत ज्यादा मजबूत होती है और उस सड़क का जीवनकाल भी बढ़ जाता है।

इसलिए हमें पुराने तरीकों को छोड़कर सड़क के गड्ढों को भरने के लिए नए तरीके अपनाने पर ध्यान देना चाहिए। केवल तभी गड्ढों की वजह से होने वाले सड़क हादसों पर अंकुश लगाया जा सकता है और जान-माल की क्षति को रोका जा सकता है।  

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Web Title: road potholes repair techniques should learn in maharashtra

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