ब्लॉग: अतिक्रमण किए जाने का बदला बाढ़ से लेती है नदी

By पंकज चतुर्वेदी | Published: August 2, 2023 03:57 PM2023-08-02T15:57:47+5:302023-08-02T15:57:57+5:30

इन सभी इलाकों को नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने सेक्टर घोषित कर ग्रुप हाउसिंग सोसायटी को बांट दिया।

River takes revenge of encroachment by floods | ब्लॉग: अतिक्रमण किए जाने का बदला बाढ़ से लेती है नदी

फोटो क्रेडिट- फाइल फोटो

बाढ़ शब्द हर समय भय पैदा करता है, तबाही, विस्थापन, नुकसान लेकिन इस त्रासदी के बीच एक नदी ने यह जरूर बता दिया कि वह अभी जिंदा है। उसकी मौत की इबारत इंसान ने भले ही पुख्ता लिखी हो लेकिन वह अपनी राह, घर, अपने विस्तार को भूली नहीं है।

हिंडन नदी पर अभी सात जुलाई को ही एनजीटी में यह चर्चा हुई थी कि बीते दो दशकों में इसको साफ करने के जो भी उपाय हुए, उनका जमीन पर असर दिखा नहीं।

कुछ साल पहले उत्तर प्रदेश में यह स्थापित किया जाने लगा था कि हिंडन कोई नदी है ही नहीं, वह तो महज बरसाती नाला है और रास्ते में लगे कारखानों से निकलने वाले अपशिष्ट के कारण जल-निधि दिखती है। उस हिंडन की चर्चा अब बाढ़ग्रस्त नदियों में है। यदि गंभीरता से देखें तो हिंडन ने कहीं भी अपनी सीमा तो तोड़ी नहीं।

कहा जा रहा है कि सन्‌ 1978 के बाद हिंडन का यह विकराल रूप सामने आया है। बीते 45 साल में लोग यह भूल गए कि नदी एक जीवित–सजीव संरचना है जिसकी याददाश्त 200 साल की होती है।

दिल्ली से सटे गाजियाबाद की शान कहलाने वाली एलिवेटेड रोड के करीब कुछ साल पहले जिला प्रशासन ने एक सिटी फॉरेस्ट विकसित किया लोगों की तफरीह की जगह, कुछ हरियाली।

असल में यह बना हिंडन के डूब क्षेत्र में आज यहां दस फुट से अधिक पानी भरा है। जिले में मोरटा, सिंहनी, घूकना, मेवला, अस्लातपुर सहित कोई 30 गांव ऐसे हैं जो शायद बसे ही इसलिए थे कि वहां से हिंडन गुजरती थी। एनजीटी के कई आदेश हैं, लेकिन सभी से बेपरवाह इन गांवों में हिंडन की हदों में घुसकर लगभग 350 कॉलोनियां बसा दी गईं।

हिंडन एयर फोर्स स्टेशन से सटे गांव करहेड़ा में कभी हिंडन जल का एकमात्र आधार होती थी, जब से नल से जल आया, लोगों ने हिंडन को कूड़ा धोने का मार्ग बना लिया और उसके डूब क्षेत्र में एक किलोमीटर गहराई तक प्लॉट काट लिए। कनावनी, अर्थला जैसे गांवों के आसपास तो नदी में भराव कर कांक्रीट के जंगल उगाए गए।

आज ये सभी इलाके जलमग्न हैं और कई हजार लोग राहत शिविर में हैं। गाजियाबाद से निकल कर हिंडन नोएडा में मोम्नाथल में यमुना से मिलती है।

इन सभी इलाकों को नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने सेक्टर घोषित कर ग्रुप हाउसिंग सोसायटी को बांट दिया। इस रास्ते में पड़ने वाले छिजारसी, कुलेसरा, सुथ्याना, हैबतपुर, चोटपुर, बहलोलपुर, यूसुफपुर चक शाहबेरी इलाकों में बाढ़ का पानी पहुंचने से करीब 2.50 लाख लोग प्रभावित हुए हैं।

ये सभी गांव नोएडा के कारखानों में काम करने वाले श्रमिकों को सस्ता आवास मुहैया करवाते हैं और यहां नदी के चौड़े पाट को बीते एक दशक में नाले में बदल दिया गया।

Web Title: River takes revenge of encroachment by floods

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