रमेश ठाकुर का ब्लॉगः कछुओं पर कुदरती नहीं, कृत्रिम संकट
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: February 8, 2019 08:41 IST2019-02-08T08:41:19+5:302019-02-08T08:41:19+5:30
मिथ्या धारणाओं के चलते लोग कछुओं को निशाना बना रहे हैं. वन्यजीव (संरक्षण) कानून, 1972 के तहत कछुओं को नुकसान पहुंचाने पर सख्त सजा का प्रावधान है.

रमेश ठाकुर का ब्लॉगः कछुओं पर कुदरती नहीं, कृत्रिम संकट
कछुओं पर कुदरती कहर ने नहीं, बल्कि मानवीय हरकतों ने उनके जीवन को खतरे में डाल दिया है. समुद्र, तालाब, नदियों व अन्य संरक्षित जगहों से कछुओं की संख्या लगातार कम होती जा रही है. ओडिशा के केंद्रपाड़ा जिले के गहिरमाथा समुद्र के तट पर बने अभयारण्य में एक साथ हजारों कछुओं के मरने की खबर न सिर्फ पर्यावरणविदों को सोचने पर मजबूर करती है, बल्कि हम सबको भी चिंतित करती है. पिछले सप्ताह वन विभाग के अधिकारियों को समुद्र तट पर हजारों की संख्या में कछुओं के कंकाल मिलने से पूरे महकमे में खलबली मच गई.
जिस जगह पर मरे हुए कछुए बरामद हुए हैं दरअसल वह जगह कछुओं के लिए सुरक्षित और संरक्षित मानी जाती है. वहां दूसरी जगहों के मुकाबले सबसे ज्यादा कछुए पाए जाते हैं. विभिन्न तरह के दुर्लभ प्रजातियों के कछुओं के वास के लिए गहिरमाथा का समुद्र तट सबसे मुफीद जगहों में से एक है. लेकिन अब वहां भी मानवीय आफत आ गई है. लोगों में एक धारणा पैदा हो गई है कि कछुओं को खाने से इंसान तंदुरुस्त और जवान रहता है या कछुओं के तेल से कई बीमारियां खत्म होती हैं. ऐसी तमाम मिथ्या धारणाओं के चलते लोग कछुओं को निशाना बना रहे हैं. वन्यजीव (संरक्षण) कानून, 1972 के तहत कछुओं को नुकसान पहुंचाने पर सख्त सजा का प्रावधान है.
बावजूद इसके शिकारियों को किसी बात का भय नहीं. कछुओं के मिले कंकालों की वैज्ञानिक व फॉरेस्ट अधिनियम जांच प्रक्रिया के तहत पड़ताल की जा रही है. जांच रिपोर्ट आने पर ही सच्चई से पर्दा हटेगा. लेकिन अव्वल तो सच्चाई यही सामने आई है कि इन जीवों को किसी और ने नहीं, बल्कि इंसानों ने ही मारा है.
कछुओं को संरक्षित करने के लिए केंद्र सरकार ने उन सभी राज्यों को सख्त निर्देश दिए हैं जो समुद्र तट से लगे हैं और जहां कछुओं की संख्या बहुतायत में है. फिर भी लापरवाही बरती जा रही है. शिकारी समुद्र के किनारों पर जाल लेकर कछुओं के आने का इंतजार करते हैं. जैसे ही कछुए पानी से बाहर आते हैं उन्हें दबोच लेते हैं. मछुआरों को कछुओं से संबंधित एक बात ठीक से पता है कि वह समुद्र की गहराई में ही रहना ज्यादा पसंद करते हैं, लेकिन घंटे भर के अंतराल के बाद कछुए सांस लेने के लिए समुद्र की सतह पर आते हैं. जैसे वह बाहर आते हैं मछुआरे उन्हें कैद कर लेते हैं. इसमें उनका साथ समुद्र की रखवाली करने वाले सरकारी कर्मचारी भी देते हैं. बदले में उनको पैसे दिए जाते हैं.