रमेश ठाकुर का ब्लॉग: नागरिक सुरक्षा ढांचे में सुधार की जरूरत

By रमेश ठाकुर | Published: March 1, 2021 10:09 AM2021-03-01T10:09:59+5:302021-03-01T10:09:59+5:30

World Civil Defence Day: कोरोना काल में पूरे देश ने सिविल सिस्टम का साहस देखा। इसे और मजबूत करने की जरूरत है।

Ramesh Thakur blog on world civil defence day and its significance | रमेश ठाकुर का ब्लॉग: नागरिक सुरक्षा ढांचे में सुधार की जरूरत

एक मार्च को मनाया जाता है विश्व नागरिक सुरक्षा दिवस (प्रतीकात्मक तस्वीर)

आज एक मार्च को विश्व नागरिक सुरक्षा दिवस है जिसका  उद्देश्य नागरिकों को जागरूक करना और आम नागरिक सुरक्षा के महत्व के प्रति सचेत करना है. नागरिक सुरक्षा को लेकर हिंदुस्तान में कई स्वैच्छिक संगठन ईमानदारी से सक्रिय रूप से भूमिका निभा रहे हैं.

सिविल सिस्टम का कोरोना काल जैसे संकट में भी समूचे हिंदुस्तान ने साहस देखा. लॉकडाउन में जब हम घरों में कैद थे, तब भी ये लोग हमारी सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाले हुए थे. सिविल डिफेंस की स्थापना साल 1962 में हुई थी. इसने तब से लेकर आज तक लंबा सफर तय किया है. ये संगठन केंद्र सरकार के गृह विभाग के अधीन कार्यरत हैं.

पुलिस, सेना आदि सुरक्षा एजेंसियों के मुकाबले इन्हें कमतर नहीं आंक सकते. बेशक, उनके जैसी सरकारी सुविधाएं इन्हें नसीब न होती हों. बावजूद इनके कार्य करने की दीवानगी में कमी नहीं दिखती. सिविल डिफेंस का संपूर्ण इतिहास देखें तो प्रारंभ में केवल चार खंड हुआ करते थे. जैसे फायर सेक्शन, सिविल डिफेंस, होम गार्ड और कम्युनिकेशन सेक्शन. इनके दो खंडों को बाद में अलग तरह से परिभाषित किया गया.

 सिविल डिफेंस और होम गार्ड जैसे नागरिक सुरक्षा खंडों के अलावा नागरिक सुरक्षा का एक और मुख्य किरदार है अग्निशमन सेवा. अग्निसेवा विंग को भी कभी हल्के में नहीं लिया जा सकता. बहरहाल, नागरिक सुरक्षा को नए तरीके से परिभाषित करने की दरकार है.

हाल ही में देश के कई हिस्सों में मॉब लिंचिंग की कई दर्दनाक घटनाएं हुईं. वे घटनाएं रोकी भी जा सकती थीं, अगर सुरक्षा सिस्टम ठीक से काम करता. सिविल डिफेंस को विस्तार देने की आवश्यकता है. पुलिस-सेना की भांति अधिकृत रूप से सिविल डिफेंस की तैनाती हो और उन्हें थोड़े-बहुत अधिकार भी दिए जाएं.

सिविल डिफेंस को सीमित अधिकार दिए गए हैं. स्थिति अब और खराब हो गई है. इस संगठन से जुड़े लोगों को दिहाड़ी मजदूर जैसा समझा जाता है. जरूरत पड़ने पर ही इन्हें याद किया जाता है. यह एक अजीब और पुराना तरीका है जिसकी प्रासंगिकता समाज में स्थिरता आने और कानून-व्यवस्था के ऊपर भरोसे के लिहाज से समाप्त हो जाती है.

इसलिए जरूरी हो जाता है कि नागरिक सुरक्षा के लिहाज से सिविल डिफेंस की विश्वसनीयता बनी रहे. जब तक आम नागरिकों की सुरक्षा पर मंथन नहीं होगा, नागरिक सुरक्षा दिवस को मनाने के कोई मायने नहीं हो सकते.

आम लोगों की सुरक्षा किसी भी हुकूमत के लिए पहली प्राथमिकता होनी चाहिए.  नागरिक सुरक्षा के लिए बनाया हुआ तंत्न हिंदुस्तान में बहुत पुराना हो चुका है, इसमें थोड़ा बदलाव करने की आवश्यकता है.

Web Title: Ramesh Thakur blog on world civil defence day and its significance

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