राम ठाकुर का ब्लॉग: खैरात में खेल रत्न से कैसे बचेगी प्रतिष्ठा?

By राम ठाकुर | Published: August 25, 2020 04:39 PM2020-08-25T16:39:26+5:302020-08-25T16:39:26+5:30

Ram Thakur's blog: How will reputation be saved from the Khel Ratna in the bailout? | राम ठाकुर का ब्लॉग: खैरात में खेल रत्न से कैसे बचेगी प्रतिष्ठा?

राम ठाकुर का ब्लॉग: खैरात में खेल रत्न से कैसे बचेगी प्रतिष्ठा?

Highlights पिछले कुछ वर्षो में इन राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों का महत्व घटता जा रहा है.खिलाड़ियों को अपनी प्रतिष्ठा का भी ध्यान रखना चाहिए.

भारतीय क्रिकेट के दिग्गज महेंद्र सिंह धोनी के संन्यास की घोषणा के बीच देश में राष्ट्रीय पुरस्कारों की खासी चर्चा रही. हालांकि इस तरह की चर्चा का यह पहला अवसर नहीं है. अगस्त माह के आते-आते राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों को लेकर भारतीय खेल जगत में खूब आपाधापी मची रहती है. पुरस्कार मिलने पर खुशी का इजहार किया जाता है लेकिन नहीं मिलने पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चलता है. शायद इस बार इससे बचने की पूरी कोशिश की गई. खासतौर से देश के सबसे प्रतिष्ठित खेल पुरस्कार-राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार को लेकर ‘सबका हो भला’ वाली नीति अपनाई गई. अब जब सभी का ध्यान रखना है तो इसकी फेहरिस्त लंबी होना लाजमी है. नाम जुड़ते चले गए.

पहले चार लोगों के नामों की घोषणा की गई. शाम ढलते-ढलते पांचवां नाम भी जुड़ गया. पहले चार में भारतीय क्रिकेट के दिग्गज क्रिकेटर रोहित शर्मा के अलावा राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता विनेश फोगट, रियो ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता पैरालंपियन मरियप्पन थंगवेलु, राष्ट्रमंडल में देश को पहला स्वर्ण दिलाने वाली टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्र का समावेश था. पांचवें नाम के रूप में टोकियो ओलंपिक में टीम को प्रवेश दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाली महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल को शामिल किया गया.

ये सारे दिग्गज हैं और पुरस्कार के तगड़े दावेदार भी. लेकिन एक पुरस्कार के इतने दावेदार? आप देश का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार दे रहे हैं, लिहाजा पुरस्कार पाने वाले को भी इस बात का आनंद होना चाहिए कि वह इस वर्ष का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी है. यदि आपने इस तरह पुरस्कारों को खैरात में बांटना शुरू कर दिया तो इसकी महत्ता अवश्य कम होगी. दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि पिछले कुछ वर्षो में इन राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों का महत्व घटता जा रहा है.

मजे की बात तो यह है कि इस बार खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित पहलवान साक्षी मलिक और भारोत्ताेलक मीराबाई चानू ने अजरुन पुरस्कार के लिए आवेदन कर दिया. चूंकि ये दोनों देश का सर्वोच्च खेल पुरस्कार प्राप्त कर चुकी हैं लिहाजा खेल मंत्रलय ने इन्हें अजरुन पुरस्कार नहीं देने का निर्णय किया.

खेल मंत्रलय के इस फैसले से साक्षी मलिक खासी नाराज हो गईं और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और खेल मंत्री किरण रिजिजु को पत्र भेज दिया. अब इसे क्या कहा जाए? खेल मंत्रलय का फैसला बिल्कुल सही है लेकिन साक्षी को कौन समझाए?

खिलाड़ियों को अपनी प्रतिष्ठा का भी ध्यान रखना चाहिए. इसमें कोई शक नहीं कि उन्हें शानदार प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत किया जाना चाहिए, लेकिन महज पुरस्कार पाने की लालसा में अपनी छवि का भी ध्यान रखने की आवश्यकता है.

 

Web Title: Ram Thakur's blog: How will reputation be saved from the Khel Ratna in the bailout?

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