राजेश कुमार यादव का नजरियाः अदालती आदेश से प्रतिष्ठित हिंदी 

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: March 23, 2019 07:17 IST2019-03-23T07:17:13+5:302019-03-23T07:17:13+5:30

अदालत ने हिंदी को बढ़ावा देने के लिए राजभाषा नीति के तहत हिंदी में सरकारी काम करने पर भी बल दिया है. कोर्ट ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा परिषद भविष्य की परीक्षाओं के अंकपत्न में अंग्रेजी के साथ हिंदी देवनागरी भाषा में नाम लिखे.

Rajesh Kumar Yadav's vision: From the court order reputed Hindi | राजेश कुमार यादव का नजरियाः अदालती आदेश से प्रतिष्ठित हिंदी 

राजेश कुमार यादव का नजरियाः अदालती आदेश से प्रतिष्ठित हिंदी 

राजेश कुमार यादव

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में हिंदी को बढ़ावा देने के संबंध में महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं. हिंदी भाषा में सुनाए गए अपने फैसले में न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने कहा कि भारतीय संविधान में राजभाषा देवनागरी हिंदी में सरकारी कामकाज करने की व्यवस्था दी गई है. हिंदी के पूर्ण रूप से स्थापित होने तक 15 वर्षो के लिए अंग्रेजी भाषा में कामकाज की छूट दी गई थी, जिसे आज तक जारी रखा गया है. 

अदालत ने हिंदी को बढ़ावा देने के लिए राजभाषा नीति के तहत हिंदी में सरकारी काम करने पर भी बल दिया है. कोर्ट ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा परिषद भविष्य की परीक्षाओं के अंकपत्न में अंग्रेजी के साथ हिंदी देवनागरी भाषा में नाम लिखे. कोर्ट ने  कहा है कि इसके लिए जरूरी होने पर नियमों में संशोधन किया जाए. 

पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने अपने अनुभवों के आधार पर एक बार कहा था कि ‘मैं अच्छा वैज्ञानिक इसलिए बना क्योंकि मैंने गणित और विज्ञान की शिक्षा अपनी मातृभाषा में प्राप्त की थी.’ दुनिया के कई विकसित और विकासशील देश मातृभाषा की बदौलत ऊंचाइयों को छू रहे हैं. प्रति व्यक्ति आय की दृष्टि से विश्व के वही देश अग्रणी हैं, जो अपनी जनभाषा में काम करते हैं. हमारे संविधान निर्माताओं की आकांक्षा थी कि स्वतंत्नता के बाद देश का शासन हमारी अपनी भाषाओं में चले ताकि आम जनता शासन से जुड़ी रहे और समाज में एक सामंजस्य स्थापित हो सके.  

हिंदी प्रेमियों के लिए यह खुशी की बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी कोर्ट के फैसलों के अनुवाद की प्रमाणित प्रतियां हिंदी में मुहैया कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसके अलावा देश के कुछ हाईकोर्ट भी वादियों को स्थानीय भाषाओं में अनुवाद की गई प्रामाणिक प्रतियां मुहैया करा रहे हैं. हिंदी की बढ़ती वैश्विक स्वीकार्यता का ही परिणाम है कि संयुक्त अरब अमीरात ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए अरबी और अंग्रेजी के बाद हिंदी को अपनी अदालतों में तीसरी आधिकारिक भाषा के रूप में शामिल किया है. इसका मकसद हिंदी भाषी लोगों को मुकदमे की प्रक्रि या, उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जानने में मदद करना है.

Web Title: Rajesh Kumar Yadav's vision: From the court order reputed Hindi

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