राजेंद्र दर्डा का ब्लॉग: गांधी के विचार दुनिया के लिए आशा की किरण

By राजेंद्र दर्डा | Published: October 2, 2019 05:37 AM2019-10-02T05:37:22+5:302019-10-02T05:37:22+5:30

आइंस्टीन ने कहा था, ‘बीसवीं सदी ने दुनिया को दो शक्तियां दी हैं. एक, परमाणु बम और दूसरी महात्मा गांधी.’ विन्स्टन चर्चिल ने दक्षिण अफ्रीका के गवर्नर जनरल स्मट्स से कहा था, ‘जेल में तुमने अगर गांधी को मार दिया होता तो दुनिया में हमारा साम्राज्य और भी कई सदियों तक कायम रहता.’

Rajendra Darda blog: Gandhi's thoughts a ray of hope for the world | राजेंद्र दर्डा का ब्लॉग: गांधी के विचार दुनिया के लिए आशा की किरण

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी। (फाइल फोटो)

वियतनाम का सबसे बड़ा शहर है हो ची मिन्ह. चंद्र नववर्ष के उपलक्ष्य में वहां फूलों की बड़ी प्रदर्शनी लगी थी. उसी में पुस्तक मेला भी था. प्रदर्शनी में घूमते हुए अचानक मेरी नजर महात्मा गांधी से संबंधित पुस्तक पर पड़ी. वहां की भाषा में उस किताब का नाम था- ‘दुनिया की एक ही आशा - महात्मा गांधी’ आज गांधीजी की 150वीं जयंती है. निश्चित रूप से आज भी पूरी दुनिया महात्मा गांधी के विचारों से  प्रभावित है.

यूनाइटेड स्टेट्स एक्सप्रेस नामक पत्रिका ने सन 2000 में दुनिया भर के दस हजार विचारकों, नेताओं, वैज्ञानिकों, नोबल पुरस्कार विजेताओं और कुलगुरुओं से एक प्रश्न पूछा था : ‘पिछले एक हजार वर्षो में दुनिया में सबसे बड़ा महापुरुष कौन हुआ है?’ उनमें से 8886 लोगों का एक ही उत्तर था- ‘महात्मा गांधी’.

आइंस्टीन ने कहा था, ‘बीसवीं सदी ने दुनिया को दो शक्तियां दी हैं. एक, परमाणु बम और दूसरी महात्मा गांधी.’ विन्स्टन चर्चिल ने दक्षिण अफ्रीका के गवर्नर जनरल स्मट्स से कहा था, ‘जेल में तुमने अगर गांधी को मार दिया होता तो दुनिया में हमारा साम्राज्य और भी कई सदियों तक कायम रहता.’

निहत्थे गांधी में यह सामर्थ्य कहां से आया? भारतीय जनता हथियार के बल पर साम्राज्य से लड़ नहीं सकती, यह समझ चुके महात्मा गांधी ने देखा कि सहनशक्ति ही भारतीयों की ताकत है और उस सहनशक्ति को संगठित करके उन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह नामक असरकारी हथियार मनुष्य के हाथ में दिया. उनके नेतृत्व में संगठित होकर सिर्फ भारत ही स्वतंत्र नहीं हुआ, बल्कि आधी दुनिया ने उनसे प्रेरणा लेकर आजादी हासिल की. इसीलिए बराक ओबामा ने कहा था कि ‘आपके देश में अगर गांधी जन्म नहीं लेते तो मैं कभी भी अमेरिका का राष्ट्रपति नहीं बन पाता.’

महात्मा गांधी 1930 में दांडी यात्रा के लिए साबरमती आश्रम से निकले थे. तब उन्होंने दृढ़ निश्चय किया था कि संपूर्ण स्वराज्य प्राप्त किए बिना मैं साबरमती आश्रम नहीं लौटूंगा. इसके बाद 1936 में गांधीजी ने विदर्भ में सेवाग्राम नामक एक छोटे से गांव को अपना निवास स्थान बनाया. सेवाग्राम में बापू कुटी स्वतंत्रता आंदोलन का केंद्र बिंदु बन गई थी. 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन का शंखनाद सेवाग्राम से ही हुआ था. सेवाग्राम आश्रम ही नहीं, बल्कि गांधीजी के विधायी कार्यक्रमों की कर्मभूमि था. गांधीजी के आश्रम में चरखा, झाड़ और सामुदायिक प्रार्थना का महत्वपूर्ण स्थान था.

उस समय के युवाओं में स्वतंत्रता आंदोलन में अपने को झोंक देने की उत्स्फूर्त भावना थी. गांधीजी ने नियम बनाया था कि सत्याग्रही की उम्र कम से कम 20 वर्ष होनी चाहिए. उस समय हमारे बाबूजी जवाहरलालजी दर्डा 19 वर्ष के थे. व्यक्तिगत सत्याग्रह की अनुमति हासिल करने के लिए वे सेवाग्राम पहुंच गए थे. गांधीजी से सत्याग्रह की अनुमति मिली. बाबूजी ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ सक्रिय हुए, गिरफ्तार हुए और पौने दो वर्ष की सजा मिली. स्वतंत्रता मिलने के बाद भी गांधीजी के विचारों का घर में इतना प्रभाव था कि बचपन से ही विजय भैया और मेरे लिए हर रविवार को एक बार चरखे पर सूतकताई करना अनिवार्य था. हमारे बाबूजी अक्सर कहते थे, ‘बापू से मुलाकात जिंदगी का सबसे रोमांचक क्षण था’.

आज दुनियाभर में गांधी विचार को युद्ध का विकल्प माना जाता है. संयुक्त राष्ट्र ने गांधीजी के जन्म दिवस को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में घोषित किया है. भगवान महावीर, बुद्ध, ईसा मसीह, कबीर और संत परंपरा द्वारा दुनिया को प्रदान किए गए मनुष्य धर्म के संदेश पर ही गांधीजी जीवन भर चले.

गांधी जैसे लोग सिर्फ देह से विदा लेते हैं. उनके विचार अजर-अमर रहते हैं. जब तक दुनिया अस्तित्व में रहेगी, मनुष्यता जीवंत रहेगी और मानवीय सद्भाव बना रहेगा, तब तक दुनिया में गांधी प्रासंगिक बने रहेंगे.

लंदन में पढ़ाई करते हुए मैं फिट्जरॉय स्क्वेयर पर वायएमसीए हॉस्टल में रहता था. उसकी तलमंजिल पर स्थित सभागृह का नाम महात्मा गांधी सभागृह था. वह लंदन में भारतीय सांस्कृतिक आयोजनों का केंद्र था.

कैरेबियन द्वीप पर पोर्ट ऑफ स्पेन में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ यात्र करने का मौका मिला था. 1999 में वाजपेयीजी ने वहां पांच एकड़ में महात्मा गांधी सांस्कृतिक केंद्र की इमारत का भूमिपूजन किया था. यह केंद्र आज भारतीय संस्कृति को वृद्धिगत करने का काम कर रहा है.

गांधीजी ने अपने विचार ग्रंथबद्ध नहीं किए. कहते थे कि ‘वे अभी भी प्रयोगावस्था में हैं’. अनुयायियों ने जब बहुत आग्रह किया तो उन्होंने कहा, ‘मेरा जीवन ही मेरा संदेश है.’

गांधी किसी एक धर्म, देश, वर्ग या पंथ के नहीं बल्कि सभी के थे. ऐसे महात्मा ने हमारी भूमि में जन्म लिया और इस भूमि व भूमिपुत्रों का 79 वर्ष की आयु तक नेतृत्व किया, यह इस देश और हम सबका सौभाग्य है. गांधीजी की स्मृति को हमारा कोटि-कोटि प्रणाम.

Web Title: Rajendra Darda blog: Gandhi's thoughts a ray of hope for the world

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे