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ब्लॉग: असम के प्राथमिक विद्यालयों से हिंदी को हटाने की तैयारी !

By उमेश चतुर्वेदी | Updated: October 18, 2023 10:58 IST

अंग्रेजों ने जब चाय के बागानों को विकसित किया तो उसमें काम करने के लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान और उड़ीसा (ओडिशा) से भारी संख्या में मजदूर लाए गए।

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ठळक मुद्देअंग्रेजों के समय चाय बागानों में काम पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान और उड़ीसा (ओडिशा) के मजदूर थेअसम की ख्याति उसके चाय बागानों को लेकर हैइसे लेकर यहां का हिंदीभाषी समुदाय सकते में है

इसे विडंबना ही कहेंगे कि नई शिक्षा नीति में प्राथमिक शिक्षा में मातृभाषाओं पर जोर दिए जाने के बावजूद असम के हिंदी भाषी समूहों को अपनी मातृभाषा हिंदी के लिए संघर्षरत होना पड़ रहा है। असम की बराक घाटी के सैकड़ों उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षण से हिंदी को विदा करने की तैयारी है।

इसे लेकर यहां का हिंदीभाषी समुदाय सकते में है। वह असम सरकार से अपनी चिंता साझा करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन उनकी बात सुनने को कोई तैयार नहीं है। असम की ख्याति उसके चाय बागानों को लेकर है। अंग्रेजों ने जब चाय के बागानों को विकसित किया तो उसमें काम करने के लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान और उड़ीसा (ओडिशा) से भारी संख्या में मजदूर लाए गए।

इन मजदूरों की अब यहां तीसरी पीढ़ी है। यहां के करीब तीन सौ चाय बागानों में काम करने वाले लोग बुनियादी रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड से हैं। राज्य की ब्रह्मपुत्र घाटी के भी कुछ जिलों मसलन गुवाहाटी, तिनसुकिया, होजाई जिलों में भी हिंदीभाषी विशेषकर भोजपुरी भाषी काफी संख्या में हैं।

इन जिलों में कारोबारी तबके के तौर पर राजस्थानी मूल के लोगों की भी अच्छी-खासी संख्या है। बेशक, इन जिलों में काम करने वाले लोग अब असम के औपचारिक नागरिक हैं, लेकिन उनकी जड़ें चूंकि बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि में हैं, लिहाजा उनका नाता अपनी भाषा, अपनी सांस्कृतिक परंपराओं आदि से बना हुआ है।

आजादी के बाद से ही इस वर्ग के बच्चों की पढ़ाई के लिए राज्य में त्रिभाषा फॉर्मूले के तहत राज्य की ब्रह्मपुत्र घाटी में असमिया, अपनी भाषा यानी हिंदी और अंग्रेजी की पढ़ाई होती थी। इसी तरह बराक घाटी में असमिया की जगह बांग्ला और बोडोलैंड इलाके में बोडो पढ़ाई जाती थी। लेकिन, असम के प्राथमिक शिक्षा विभाग ने राज्य के उच्च प्राथमिक या मिडिल स्कूलों में अब नई व्यवस्था लागू करने की तैयारी की है। 

17 अगस्त 2023 को प्राथमिक शिक्षा निदेशालय की बैठक हुई, जिसमें मिडिल एजुकेशन स्कूल यानी उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 2011 से 2016 और 2016 से 2021 के बीच हिंदी अध्यापकों की हुई भर्ती के आंकड़े जुटाने का आदेश दिया गया है। इसी बैठक में तय किया गया है कि अब राज्य के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में त्रिभाषा फॉर्मूले के तहत असमिया और दूसरी भाषा के रूप में अंग्रेजी पढ़ाने की तैयारी है।

दरअसल, राज्य सरकार द्वारा संचालित इन स्कूलों में सबसे ज्यादा निम्न मध्यवर्गीय लोगों और चाय मजदूरों के बच्चे ही पढ़ते हैं। इन हिंदी भाषियों के बच्चों को राज्य के कई इलाकों विशेषकर बराक घाटी के सैकड़ों स्कूलों में त्रिभाषा फॉर्मूले के तहत बांग्ला भाषा पढ़ना पड़ रहा है। 

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