प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: डेयरी उत्पाद समझौते से बचें

By प्रमोद भार्गव | Published: February 25, 2020 07:16 AM2020-02-25T07:16:21+5:302020-02-25T07:16:21+5:30

भारत में प्रतिवर्ष 18.5 करोड़ टन दूध और उसके सह-उत्पादों का उत्पादन होता है. यह दुनिया में सर्वाधिक है. इसी वजह से इन उत्पादकों की मासिक आय लगभग 9000 रुपए है. देश की 30 लाख करोड़ रुपए की कृषि जीडीपी में दूध व पोल्ट्री क्षेत्र की भागीदारी 30 प्रतिशत है. साफ है, हमें किसी अन्य देश से दुग्ध उत्पादों के आयात की जरूरत ही नहीं है.

Pramod Bhargava's Blog: Avoid Dairy Products Agreement | प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: डेयरी उत्पाद समझौते से बचें

प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: डेयरी उत्पाद समझौते से बचें

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की इस यात्र में यह आशंका जताई जा रही है कि अमेरिका और भारत के बीच डेयरी, पोल्ट्री व अन्य कृषि उत्पादों के आयात से संबंधित कोई समझौता हो सकता है. भारत को अपने किसान व दुग्ध उत्पादकों के हित संरक्षण की दृष्टि से ऐसे किसी समझौते से बचने की जरूरत है. दरअसल अमेरिका ने इस मकसद पूर्ति का वातावरण पहले से ही बनाना शुरू कर दिया है.  

अमेरिका की इस मंशा को समझने के लिए भारत और अमेरिका के बीच होने वाले आयात-निर्यात को समझना होगा. 2018 में दोनों देशों के बीच 143 अरब डॉलर यानी 10 लाख करोड़ का व्यापार हुआ. इसमें अमेरिका को 25 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हुआ है. इसकी भरपाई वह दुग्ध और पोल्ट्री उत्पादों का भारत में निर्यात करके करना चाहता है. इस नाते उसकी कोशिश है कि इन वस्तुओं व अन्य कृषि उत्पादों पर भारत आयात शुल्क घटाने के साथ उन दुग्ध उत्पादों को बेचने की छूट भी दे, जो पशुओं को मांस खिलाकर तैयार किए जाते हैं.

दरअसल अमेरिका में इस समय दूध का उत्पादन तो बढ़ रहा है, लेकिन उस अनुपात में कीमतें नहीं बढ़ रही हैं. दूसरे, अमेरिकी लोगों में दूध की जगह अन्य तरल-पेय पीने का चलन बढ़ने से दूध की खपत घट गई है. इस कारण किसान आर्थिक बदहाली का शिकार हो रहे हैं. यह स्थिति तब है जब अमेरिका अपने किसानों को प्रति किसान 60,600 डॉलर अर्थात 43 लाख रुपए की वार्षिक सब्सिडी देता है.

इसके उलट भारत में सब मदों में मिलाकर किसान को बमुश्किल 16000 रुपए की प्रतिवर्ष सब्सिडी दी जाती है. ऐसे में यदि अमेरिकी हितों को ध्यान में रखते हुए डेयरी उत्पादों के निर्यात की छूट दे दी गई तो भारतीय डेयरी उत्पादक अमेरिकी किसानों से किसी भी स्थिति में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगे. वैसे भी बीते पांच साल में हमारी औसत कृषि विकास दर तीन प्रतिशत से भी कम रही है.

भारत में प्रतिवर्ष 18.5 करोड़ टन दूध और उसके सह-उत्पादों का उत्पादन होता है. यह दुनिया में सर्वाधिक है. इसी वजह से इन उत्पादकों की मासिक आय लगभग 9000 रुपए है. देश की 30 लाख करोड़ रुपए की कृषि जीडीपी में दूध व पोल्ट्री क्षेत्र की भागीदारी 30 प्रतिशत है. साफ है, हमें किसी अन्य देश से दुग्ध उत्पादों के आयात की जरूरत ही नहीं है.

Web Title: Pramod Bhargava's Blog: Avoid Dairy Products Agreement

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