वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः बंगाल में ‘कट मनी’ की राजनीति

By वेद प्रताप वैदिक | Published: July 3, 2019 08:29 AM2019-07-03T08:29:34+5:302019-07-03T08:29:34+5:30

तृणमूल कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि भाजपा ने यह फिजूल का जाल बिछाया हुआ है. भाजपा नेताओं का कहना है कि ‘कट मनी’ की कुप्रथा कम्युनिस्टों के समय से जरूर चली हुई है लेकिन तृणमूल कांग्रेस के राज में इसने नई ऊंचाइयां छू ली हैं, क्योंकि भाजपा नेताओं के अनुसार तृणमूल का उच्च नेतृत्व स्वयं भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है. 

politics of 'cut money' in bengal mamata banerjee trinamool congress | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः बंगाल में ‘कट मनी’ की राजनीति

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्नी और तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने वह काम कर दिखाया है, जिस तरह के काम महात्मा गांधी और माओत्से तुंग जैसे बड़े नेता किया करते थे. उन्होंने राज्य के सभी नागरिकों से कहा है कि उनकी पार्टी के नेताओं ने उनसे जो भी रिश्वतें ली हैं, उसे वे उन नेताओं से वसूल कर लें. बंगाल में ये नेता, लोगों के छोटे-मोटे काम कराने के लिए ‘कट मनी’ मांगते हैं, जो लोगों को मजबूरन देना पड़ता है. किसी को बैंक से कर्ज लेना है, किसी को अपना गरीबी-रेखा कार्ड बनवाना है, किसी को कोई छोटी-मोटी नौकरी पकड़ना है, किसी को सरकारी मकान अपने नाम अलाट करवाना है. यानी हर काम के लिए लोग नेताओं को ‘कट मनी’  देते हैं.

यह रिवाज पुराना है. कम्युनिस्ट शासन में स्थानीय नेता लोगों से रिश्वत वसूलने में कोई कमी नहीं करते थे. अब जबकि ममता बनर्जी को संसदीय चुनाव में भाजपा ने कमरतोड़ मार लगा दी है, तब ममता ने यह नया दांव खेला है. आम आदमियों की नाराजगी का भाजपा ने जो फायदा उठाया है, उसने ममता को इस नई पहल के लिए मजबूर किया है. 

इस पहल का नतीजा भी गजब कर रहा है. अपने आप को तुर्रम खान समझने वाले स्थानीय नेता भागे-भागे फिर रहे हैं. आम लोग अपनी ‘कट मनी’ वापस लेने के लिए उनके घर घेर ले रहे हैं और कुछ नेताओं की पिटाई भी कर रहे हैं. कुछ नेताओं ने लोगों को रिश्वत के पैसे वापस देना भी शुरू कर दिया है. जो नेता पैसे वापस नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें पिटवाने और पकड़वाने में भाजपा के कार्यकर्ता लोगों की मदद कर रहे हैं. 

तृणमूल कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि भाजपा ने यह फिजूल का जाल बिछाया हुआ है. भाजपा नेताओं का कहना है कि ‘कट मनी’ की कुप्रथा कम्युनिस्टों के समय से जरूर चली हुई है लेकिन तृणमूल कांग्रेस के राज में इसने नई ऊंचाइयां छू ली हैं, क्योंकि भाजपा नेताओं के अनुसार तृणमूल का उच्च नेतृत्व स्वयं भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है. 

प. बंगाल में ये दोनों दल एक-दूसरे पर कीचड़ उछाल रहे हैं लेकिन सार्वजनिक जीवन से रिश्वत-मुक्ति कुछ हद तक हो रही है, यह अच्छी बात है. जब देश के बड़े नेता और बड़े अफसर रिश्वत के बिना नहीं जी सकते तो स्थानीय नेता कैसे जिएंगे? बड़ों का अनुकरण तो छोटे अपने आप करने ही लगते हैं. 

Web Title: politics of 'cut money' in bengal mamata banerjee trinamool congress

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