PM Modi in Manipur: विकास से मणिपुर के आंसू पोंछने की कोशिश, 7000 करोड़ रुपए की परियोजनाओं का उद्घाटन
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: September 15, 2025 05:47 IST2025-09-15T05:47:34+5:302025-09-15T05:47:34+5:30
PM Modi in Manipur: माना जा रहा है कि केंद्र ने पहले सुरक्षा बलों के माध्यम से शांति स्थापना पर जोर दिया और उसके बाद बातचीत के लिए लोगों को तैयार किया.

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PM Modi in Manipur: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बहुप्रतीक्षित मणिपुर दौरा आखिर हो ही गया. पिछले 28 माह से हिंसा प्रभावित इलाके के दौरे की प्रधानमंत्री से अपेक्षा की जा रही थी. समूचा विपक्ष और कुछ बुद्धिजीवी उनके मणिपुर नहीं जाने पर आलोचना करते थे. हालांकि दौरे के बाद भी उनके सुर नहीं बदले हैं. यह जानते हुए कि मणिपुर की समस्या जितनी आसान समझी जाती है, उतनी नहीं है. यह माना जा रहा है कि केंद्र ने पहले सुरक्षा बलों के माध्यम से शांति स्थापना पर जोर दिया और उसके बाद बातचीत के लिए लोगों को तैयार किया.
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दौरे से पहले हुए समझौतों का जिक्र कर संतोष व्यक्त किया कि पहाड़ और घाटी के अलग-अलग समूहों के बीच समझौतों की कोशिश हुई है. प्रधानमंत्री ने शांति की पहल के साथ विकास की राह को मजबूत बनाने पर जोर दिया. उन्होंने सैकड़ों गांवों के सड़कों से जुड़ने का जिक्र किया और मणिपुर में रेल के विस्तार का हवाला देते हुए बहुत जल्द राजधानी इंफाल को नेशनल रेल नेटवर्क से जोड़ने की घोषणा की. उन्होंने अपने दौरे में 7000 करोड़ रुपए की परियोजनाओं का उद्घाटन किया.
दरअसल राज्य में 27 मार्च 2023 को मणिपुर उच्च न्यायालय के राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति(एसटी) की सूची में शामिल करने पर जल्दी विचार करने के लिए कहने पर 3 मई 2023 को कुकी और मैतेई समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़की थी. इसके बाद अराजकता चरम पर रही. पुलिस और सुरक्षा बलों को अनेक स्थानों पर हताश होना पड़ा.
आखिरकार सेना के हस्तक्षेप के बाद स्थिति को नियंत्रण में लाया गया. उधर, राजनीतिक मोर्चे पर राज्य सरकार कुछ नहीं कर पाई, जिसके चलते मुख्यमंत्री बीरेंन सिंह का इस्तीफा हुआ और बाद में राष्ट्रपति शासन लगा. इस बीच, फरवरी 2024 में उच्च न्यायालय ने अपने आदेश से मैतेई के लिए एसटी दर्जा देने का अंश हटा दिया.
मगर चिंगारी जो सुलगी, वह बुझने का नाम नहीं ले रही है. दरअसल लगभग 30-35 लाख की आबादी वाले मणिपुर में तीन मुख्य समुदाय मैतेई, नगा और कुकी हैं, जिनमें मैतेई सबसे ज्यादा हैं. उनके अलावा राज्य के नगा और कुकी जनजाति में आते हैं. किंतु मैतेई लंबे समय से एसटी में शामिल करने की मांग कर रहे हैं.
हालांकि राजनीति में उनका वर्चस्व है. राज्य के 10 प्रतिशत भूभाग पर मैतेई समुदाय का दबदबा है. लिहाजा वह हर दृष्टि से मजबूत है, लेकिन उसे एसटी का दर्जा हासिल कर अन्य लाभ भी चाहिए. इसको लेकर नगा और कुकी विरोध कर रहे हैं, क्योंकि उनका हिस्सा कम हो जाएगा. फिलहाल सरकार और राज्य के दोनों समूह किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं.
केंद्र की मंशा है कि विकास की राह से समस्याओं का हल निकला तो कुछ हद तक परिस्थितियां सामान्य बन जाएंगी. मगर समस्या की जड़ पर काम करने की जरूरत बनी रहेगी, क्योंकि पुराना संघर्ष सामुदायिक है. जिसका गहरा नुकसान नई पीढ़ी उठा रही है. शायद प्रधानमंत्री के दौरे से आंसू पोंछने के बाद चेहरों पर मुस्कान आएगी.